एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "०"।

"प्रयोग:Asha1" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 +
==भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम==
 +
विकासशील अर्थव्‍यवस्‍था और उससे जुड़ी समस्‍याओं से घिरे होने के बावज़ूद भारत ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को प्रभावी ढंग से विकसित किया है और उसे अपने तीव्र विकास के लिए इस्‍तेमाल भी किया है तथा आज विश्‍व के अन्‍य देशों को विभिन्‍न अंतरिक्ष सेवाएं उपलब्‍ध करा रहा है। 1960 के दशक के प्रारंभिक वर्षों में अंतरिक्ष अनुसंधान की शुरूआत भारत में मुख्‍यत: साउंडिंग रॉकेटों की मदद से हुई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की स्‍थापना 1969 में की गई। भारत सरकार द्वारा 1972 में 'अंतरिक्ष आयोग' और 'अंतरिक्ष विभाग' के गठन से अंतरिक्ष शोध गतिविधियों को अतिरिक्‍त गति प्राप्‍त हुई। 'इसरो' को अंतरिक्ष विभाग के नियंत्रण में रखा गया। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के इतिहास में 70 का दशक प्रयोगात्‍मक युग था जिस दौरान 'आर्यभट्ट', 'भास्‍कर', 'रोहिणी' तथा 'एप्‍पल' जैसे प्रयोगात्‍मक उपग्रह कार्यक्रम चलाए गए। इन कार्यक्रमों की सफलता के बाद 80 का दशक संचालनात्‍मक युग बना जबकि 'इन्सेट' तथा 'आईआरएस' जैसे उपग्रह कार्यक्रम शुरू हुए। आज इन्सेट तथा आईआरएस इसरो के प्रमुख कार्यक्रम हैं।
 +
अंतरिक्ष यान के स्‍वदेश में ही प्रक्षेपण के लिए भारत का मजबूत प्रक्षेपण यान कार्यक्रम है। यह अब इतना परिपक्‍व हो गया है कि प्रक्षेपण की सेवाएं अन्‍य देशों को भी उपलब्‍ध कराता है। इसरो की व्‍यावसायिक शाखा एंट्रिक्‍स, भारतीय अंतरिक्ष सेवाओं का विपणन विश्‍व भर में करती है। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की खास विशेषता अंतरिक्ष में जाने वाले अन्‍य देशों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और विकासशील देशों के साथ प्रभावी सहयोग है।
 +
*वर्ष 2005-06 में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की सबसे प्रमुख उपलब्‍धि 'पीएसएलवीसी 6' का सफल प्रक्षेपण रही है।
 +
*5 मई, 2005 को 'पोलर उपग्रह प्रक्षेपण यान' (पीएसएलवी-एफसी 6) की नौवीं उड़ान ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से सफलतापूर्वक दो उपग्रहों - 1560 कि.ग्रा. के कार्टोस्‍टार-1 तथा 42 कि.ग्रा. के हेमसेट को पूर्व-निर्धारित पोलर सन सिन्‍क्रोनन आर्बिट (एसएसओ) में पहुंचाया। लगातार सातवीं प्रक्षेपण सफलता के बाद पीएसएलवी-सी 6 की सफलता ने पीएसएलवी की विश्‍वसनीयता को आगे बढ़ाया तथा 600 कि.मी. ऊंचे पोलर एसएसओ में 1600 कि.ग्रा. भार तक के नीतभार को रखने की क्षमता को दर्शाया है।
 +
*22 दिसंबर 2005 को इन्सेट-4ए का सफल प्रक्षेपण, जो कि भारत द्वारा अब तक बनाए गए सभी उपग्रहों में सबसे भारी तथा शक्‍तिशाली है, वर्ष 2005-06 की अन्‍य बड़ी उपलब्‍धि थी। 
 +
*इन्सेट-4ए डाररेक्‍ट-टू-होम (डीटीएच) टेलीविजन प्रसारण सेवाएं प्रदान करने में सक्षम है।
 +
*इसके अतिरिक्‍त, नौ ग्रामीण संसाधन केंद्रों (वीआरसीज) के दूसरे समूह की स्‍थापना करना अंतरिक्ष विभाग की वर्ष के दौरान महत्‍वपूर्ण मौजूदा पहल है। वीआरसी की धारणा ग्रामीण समुदायों की बदलती तथा महत्‍वपूर्ण आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए अंतरिक्ष व्‍यवस्‍थाओं तथा अन्‍य आईटी औजारों से निकलने वाली विभिन्‍न प्रकार की जानकारी प्रदान करने के लिए संचार साधनों तथा भूमि अवलोकन उपग्रहों की क्षमताओं को संघटित करती है।
 
==भारतीय अंतरिक्ष केन्द्र और इकाइयां==
 
==भारतीय अंतरिक्ष केन्द्र और इकाइयां==
  

11:54, 12 अगस्त 2010 का अवतरण

भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम

विकासशील अर्थव्‍यवस्‍था और उससे जुड़ी समस्‍याओं से घिरे होने के बावज़ूद भारत ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को प्रभावी ढंग से विकसित किया है और उसे अपने तीव्र विकास के लिए इस्‍तेमाल भी किया है तथा आज विश्‍व के अन्‍य देशों को विभिन्‍न अंतरिक्ष सेवाएं उपलब्‍ध करा रहा है। 1960 के दशक के प्रारंभिक वर्षों में अंतरिक्ष अनुसंधान की शुरूआत भारत में मुख्‍यत: साउंडिंग रॉकेटों की मदद से हुई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की स्‍थापना 1969 में की गई। भारत सरकार द्वारा 1972 में 'अंतरिक्ष आयोग' और 'अंतरिक्ष विभाग' के गठन से अंतरिक्ष शोध गतिविधियों को अतिरिक्‍त गति प्राप्‍त हुई। 'इसरो' को अंतरिक्ष विभाग के नियंत्रण में रखा गया। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के इतिहास में 70 का दशक प्रयोगात्‍मक युग था जिस दौरान 'आर्यभट्ट', 'भास्‍कर', 'रोहिणी' तथा 'एप्‍पल' जैसे प्रयोगात्‍मक उपग्रह कार्यक्रम चलाए गए। इन कार्यक्रमों की सफलता के बाद 80 का दशक संचालनात्‍मक युग बना जबकि 'इन्सेट' तथा 'आईआरएस' जैसे उपग्रह कार्यक्रम शुरू हुए। आज इन्सेट तथा आईआरएस इसरो के प्रमुख कार्यक्रम हैं। अंतरिक्ष यान के स्‍वदेश में ही प्रक्षेपण के लिए भारत का मजबूत प्रक्षेपण यान कार्यक्रम है। यह अब इतना परिपक्‍व हो गया है कि प्रक्षेपण की सेवाएं अन्‍य देशों को भी उपलब्‍ध कराता है। इसरो की व्‍यावसायिक शाखा एंट्रिक्‍स, भारतीय अंतरिक्ष सेवाओं का विपणन विश्‍व भर में करती है। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की खास विशेषता अंतरिक्ष में जाने वाले अन्‍य देशों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और विकासशील देशों के साथ प्रभावी सहयोग है।

  • वर्ष 2005-06 में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की सबसे प्रमुख उपलब्‍धि 'पीएसएलवीसी 6' का सफल प्रक्षेपण रही है।
  • 5 मई, 2005 को 'पोलर उपग्रह प्रक्षेपण यान' (पीएसएलवी-एफसी 6) की नौवीं उड़ान ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से सफलतापूर्वक दो उपग्रहों - 1560 कि.ग्रा. के कार्टोस्‍टार-1 तथा 42 कि.ग्रा. के हेमसेट को पूर्व-निर्धारित पोलर सन सिन्‍क्रोनन आर्बिट (एसएसओ) में पहुंचाया। लगातार सातवीं प्रक्षेपण सफलता के बाद पीएसएलवी-सी 6 की सफलता ने पीएसएलवी की विश्‍वसनीयता को आगे बढ़ाया तथा 600 कि.मी. ऊंचे पोलर एसएसओ में 1600 कि.ग्रा. भार तक के नीतभार को रखने की क्षमता को दर्शाया है।
  • 22 दिसंबर 2005 को इन्सेट-4ए का सफल प्रक्षेपण, जो कि भारत द्वारा अब तक बनाए गए सभी उपग्रहों में सबसे भारी तथा शक्‍तिशाली है, वर्ष 2005-06 की अन्‍य बड़ी उपलब्‍धि थी।
  • इन्सेट-4ए डाररेक्‍ट-टू-होम (डीटीएच) टेलीविजन प्रसारण सेवाएं प्रदान करने में सक्षम है।
  • इसके अतिरिक्‍त, नौ ग्रामीण संसाधन केंद्रों (वीआरसीज) के दूसरे समूह की स्‍थापना करना अंतरिक्ष विभाग की वर्ष के दौरान महत्‍वपूर्ण मौजूदा पहल है। वीआरसी की धारणा ग्रामीण समुदायों की बदलती तथा महत्‍वपूर्ण आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए अंतरिक्ष व्‍यवस्‍थाओं तथा अन्‍य आईटी औजारों से निकलने वाली विभिन्‍न प्रकार की जानकारी प्रदान करने के लिए संचार साधनों तथा भूमि अवलोकन उपग्रहों की क्षमताओं को संघटित करती है।

भारतीय अंतरिक्ष केन्द्र और इकाइयां

क्रम स्थान केन्द्र और इकाइयां
1 बंगलौर इसरो मुख्यालय, अंतरिक्ष आयोग, अंतरिक्ष विभाग, इस्ट्रैक मुख्यालय, उपग्रह नियंत्रण केन्द्र, एन.एन.आर.एम.एस सचिवालय, द्रव नोदन प्रणाली केंद्र
2 हासन इन्सैट प्रधान नियंत्रण सुविधा
3 अहमदाबाद भौतिक अनुसंधान उपयोग केंद्र, प्रयोगशाला विकास, शैक्षिक एवं संचार इकाई
4 श्रीहरिकोटा शार केंद्र
5 महेंद्रगिरि द्रव नोदन जांच सुविधाएं
6 नागपुर केन्द्रीय प्र.रा.सं. से केंद्र
7 मुम्बई इसरो सम्पर्क कार्यालय
8 तिरुअनन्तपुरम विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र, द्रव नोदन प्रणाली केंद्र, सी.एल.एल.वी. सुविधाएं, इसरो जड़त्वीय प्रणाली इकाई
9 हैदराबाद राष्ट्रीय सुदूर संवेदन एजेंसी
10 नई दिल्ली अंतरिक्ष विभाग शाखा, इसरो शाखा कार्यालय, दिल्ली भू-केंद्र
11 देहरादून भारतीय सुदूर संवेदन, उत्तरी 5 सं.सं. से केंद्र
12 लखनऊ इस्ट्रैक भू-केंद्र
13 बालासोर मौसम विज्ञानी रॉकेट केंद्र
14 कवलूर उपग्रह अनुवर्तन तथा सर्वेक्षण केंद्र
15 अलवाय अमोनियम परक्लोरेट प्रायोगिक संयंत्र
16 उदयपुर सौर वेधशाला
17 जोधपुर पश्चिमी प्र.सं.सं. से केंद्र
18 खड़गपुर पूर्वी प्र.सं.सं. से केंद्र


भारत के सुदूर संवेदी उपग्रह

क्रम उपग्रह प्रक्षेपण तिथि प्रक्षेपक यान परिणाम स्थिति
1 आईआरएस-1ए 17 मार्च, 1988 वोस्तोक, सोवियत संघ सफल अभियान पूर्ण
2 आईआरएस-1बी 29 अगस्त, 1991 वोस्तोक, सोवियत संघ सफल अभियान पूर्ण
3 आईआरएस-पी1/1ई 20 सितम्बर, 1993 पीएसएलवी-डी1 असफल प्रक्षेपक यान में ख़्राबी के कारण उपग्रह दुर्घटनाग्रस्त
4 आईआरएस-पी2 15 अक्टूबर, 1994 पीएसएलवी-डी2 सफल अभियान पूर्ण
5 आईआरएस-1सी 28 दिसम्बर, 1995 मोलनिया, रूस सफल अभियान पूर्ण
6 आईआरएस-पी3 21 मार्च, 1996 पीएसएलवी-डी3 सफल अभियान पूर्ण
7 आईआरएस-1डी 29 सितम्बर, 1997 पीएसएलवी-सी1 सफल सेवा में कार्यशील
8 आईआरएस-पी4 (ओशन सैट) 27 मई, 1999 पीएसएलवी-सी2 सफल कार्यशील
9 टीईएस (प्रौद्यौगिकी परीक्षण उपग्रह) 22 अक्टूबर 2001 पीएसएलवी-सी3 सफल कार्यशील
10 आईआरएस-पी6 (सिसोर्ससैट-1) 17 अक्टूबर, 2003 पीएसएलवी-सी5 सफल कार्यशील
11 आईआरएस-पी5 (कार्टोसैट-1) 5 मई, 2005 पीएसएलवी-सी6 सफल कार्यशील
12 आईआरएस-पी7 (कार्टोसैट-2) 10 जनवरी, 2007 पीएसएलवी-सी7 सफल कार्यशील
13 कार्टोसैट-2ए 28 अप्रॅल, 2008 पीएसएलवी-सी9 सफल कार्यशील
14 आईएमएस-7 (IMS-1) 28 अप्रॅल, 2008 पीएसएलवी-सी9 सफल कार्यशील
15 ओशनसैट-2 23 सितम्बर, 2009 पीएसएलवी-सी14 सफल कार्यशील

भारतीय प्रक्षेपण यानों द्वारा उपग्रह प्रक्षेपण

क्रम प्रक्षेपक यान उपग्रह प्रक्षेपण तिथि परिणाम
1 एसएलवी-3 रोहिणी 10अगस्त, 1979 आंशिक सफल
2 एसएलवी-3 रोहिणी 18जुलाई, 1980 सफल
3 एसएलवी-3 रोहिणी 31मई, 1981 असफल
4 एसएलवी-3 रोहिणी 17अप्रॅल, 1983 सफल
5 एएसएलवी-डी1 स्त्रोस-1 24मार्च, 1987 असफल
6 एएसएलवी-डी2 स्त्रोस-2 13जुलाई, 1988 असफल
7 एएसएलवी-डी3 स्त्रोस-3 20मई, 1992 सफल
8 पीएसएलवी-डी1 आईआरएस-1ई॰ 20सितम्बर, 1993 असफल
9 एएसएलवी-डी4 स्त्रोस-4 04अप्रॅल, 1994 सफल
10 पीएसएलवी-डी2 आईआरएस-पी2 15अक्टूबर, 1994 सफल
11 पीएसएलवी-डी3 आईआरएस-पी3 21मार्च, 1996 सफल
12 पीएसएलवी-सी1 आईआरएसडी-1डी 29सितम्बर, 1997 सफल
13 पीएसएलवी-सी2 आईआरएस-पी4, किटसैट(द॰कोरिया) व टपसैट(जर्मनी) 26मई, 1999 सफल
14 जीएसएलवी-डी1 जी सैट 18मई, 2001 सफल
15 पीएसएलवी-सी3 टीईएस(भारत), प्रोबा(बेल्जियम) व बर्ड(जर्मनी) 20अक्टूबर, 2001 सफल
16 पीएसएलवी-सी4 मैटसैट (कल्पना-1) 12सितम्बर2002 सफल
17 पीएसएलवी-डी2 जी सैट-2 08मई, 2003 सफल
18 पीएसएलवी-सी5 आईआरएस-पी6 17अक्टूबर, 2003 सफल
19 जीएसएलवीएफ-1 एडूसैट 20सितम्बर, 2004 सफल
20 पीएसएलवी-सी6 कार्टोसैट व हैमसैट 05मई, 2005 सफल
21 जीएसएलवी-4सी इन्सैट-4सी 10जुलाई, 2006 असफल
22 पीएसएलवी-एफ2 एसआरई-1(भारत), कार्टोसैट-2(भारत), लापान ट्यूबसैट(इन्डोनेशिया), पेहुएन सैट-1(अर्जेंटीना) 10जनवरी, 2007 सफल
23 पीएसएलवी-सी8 एजाइल(इटली) 23अप्रॅल, 2007 सफल
24 पीएसएलवी-सी10 टेकसार(इस्त्रायल) 21जनवरी, 2008 सफल
25 पीएसएलवी-सी9 कार्टोसैट-2ए, IMS-1 व8 अन्य विदेशी नैनों उपग्रह 28अप्रॅल, 2008 सफल
26 पीएसएलवी-सी11 चन्द्रयान-1 22अक्टूबर, 2008 सफल
27 पीएसएलवी-सी12 रीसैट-2 व अनुसैट 20अप्रॅल, 2009 सफल
28 पीएसएलवी-सी14 ओशसैट-2 23सितम्बर, 2009 सफल


भारत का मिसाइल भंडार

क्रम नाम स्थिति रेंज(कि॰मी॰) पैलोड(कि॰ग्रा॰) मूल विशेष
1 पृथ्वी 150 सक्रिय 150 1000 भारत-रूस रशियन एसए-2 से
2 पृथ्वी 250 सक्रिय 250 500-750 भारत-रूस रशियन एसए-2 से
3 धनुष विकास/परीक्षण 250 1000 भारत पृथ्वी से
4 सागरिका विकास/परीक्षण 250-350 500 भारत पृथ्वी से
5 पृथ्वी 350 विकास 600-750 500-1000 भारत-रूस रसियन एसए-2 से
6 अग्नि-1 सक्रिय 700-800 1000 भारत-फ्रांस-अमेरिका आख़िरी परीक्षण-09॰01॰2003
7 अग्नि-2 सक्रिय 1500-2000 1000 भारत-फ्रांस-अमेरिका आख़िरी परीक्षण-29॰08॰2004
8 अग्नि-3 विकास 3000 1500 भारत परीक्षण सफल-12॰04॰2007
9 शौर्य विकास/परीक्षण 600 भारत प्रथम परीक्षण- 12॰11॰2008

भारत के प्रक्षेपास्त्र

क्रम प्रक्षेपास्त्र प्रकार मारक क्षमता आयुध वजन क्षमता प्रथम परीक्षण लागत विकास स्थिति
1 अग्नि-1 सतह से सतह पर मारक(इंटरमीडिएट बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र) 1200 से 1500 कि॰मी॰ 1000 कि॰ग्रा॰ 22मई, 1989 8 करोड़ रू॰ विकसित एवं तैनात
2 अग्नि-2 सतह से सतह पर मारक(इंटरमीडिएट बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र) 1500 से 2000 कि॰मी॰ 1000 कि॰ग्रा॰ (परम्परागत एवं परमाण्विक) 11अप्रॅल, 1999 8 करोड़ रू॰ विकसित एवं प्रदर्शित
3 अग्नि-3 इंटरमीडिएट बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र 3000 कि॰मी॰ 1500 कि॰ग्रा॰ 9जुलाई, 2006 (असफल), 12अप्रॅल, 2007 (प्रथम सफल परीक्षण) निर्माणाधीन
4 पृथ्वी सतह से सतह पर मारक अल्प दूरी के टैक्टिकल बैटल फील्ड प्रक्षेपास्त्र 150 से 250 कि॰मी॰ 500 कि॰ग्रा॰ 25फरवरी, 1989 3 करोड़ रू॰ विकसित एवं तैनात
5 त्रिशूल सतह से वायु में मारक लो लेवेल क्लीन रिएक्शन अल्प दूरी के प्रक्षेपास्त्र 500मी॰ से 9 कि॰मी॰ 15 कि॰ग्रा॰ 5जून, 1989 45 लाख रू॰ विकसित एवं तैनात
6 नाग सतह से सतह पर मारक टैंक भेदी प्रक्षेपास्त्र 4 कि॰मी॰ 10 कि॰ग्रा॰ 29नवम्बर, 1991 25 लाख रू॰ विकसित एवं तैनात
7 आकाश सतह से वायु में मारक बहुलक्षक प्रक्षेपास्त्र 25 से 30 कि॰मी॰ 55 कि॰ग्रा॰ 15अगस्त, 1990 1 करोड़ रू॰ विकसित एवं तैनात
8 अस्त्र वायु से वायु में मारक प्रक्षेपास्त्र 25 से 40 कि॰मी॰ 300 कि॰ग्रा॰ 9मई, 2003 निर्माणाधीन
9 ब्रह्मोस पोतभेदी सुपर सोनिक क्रूज़ प्रक्षेपास्त्र 290 कि॰मी॰ 12जून, 2001 विकसित एवं तैनात
10 शौर्य सतह से सतह पर मारक बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र 600 कि॰मी॰ 12नवम्बर, 2008 विकासशील एवं परीक्षणाधीन