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* यहाँ हम भारत के विभिन्न धर्मों से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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* भारतीय संस्कृति की मूल विशेषता यह रही है कि व्यक्ति अपनी परिस्थितियों के अनुरूप मूल्यों की रक्षा करते हुए कोई भी मत, विचार अथवा धर्म अपना सकता है।  
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* यहाँ हम [[भारत]] के विभिन्न धर्मों से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। भारतीय [[संस्कृति]] की मूल विशेषता यह रही है कि व्यक्ति अपनी परिस्थितियों के अनुरूप मूल्यों की रक्षा करते हुए कोई भी मत, विचार अथवा धर्म अपना सकता है।  
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* यहाँ [[हिन्दू धर्म]] के अगणित रूपों और संप्रदायों के अतिरिक्त, [[बौद्ध धर्म|बौद्ध]], [[जैन धर्म|जैन]], [[सिक्ख धर्म|सिक्ख]], [[इस्लाम धर्म|इस्लाम]], [[ईसाई धर्म|ईसाई]], [[यहूदी धर्म|यहूदी]] आदि धर्मों की विविधता का भी एक सांस्कृतिक समायोजन देखने को मिलता है। आध्यात्मिकता हमारी संस्कृति का प्राणतत्त्व है। इनमें ऐहिक अथवा भौतिक सुखों की तुलना में आत्मिक अथवा पारलौकिक सुख के प्रति आग्रह देखा जा सकता है।
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* यहाँ हिन्दू धर्म के अगणित रूपों और संप्रदायों के अतिरिक्त, बौद्ध, जैन, सिक्ख, इस्लाम, ईसाई, यहूदी आदि धर्मों की विविधता का भी एक सांस्कृतिक समायोजन देखने को मिलता है।
 
* आध्यात्मिकता हमारी संस्कृति का प्राणतत्त्व है। इनमें ऐहिक अथवा भौतिक सुखों की तुलना में आत्मिक अथवा पारलौकिक सुख के प्रति आग्रह देखा जा सकता है।
 
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<div style="padding-left:8px; background:#ecd9c5; border:thin solid #b79876;">'''विशेष आलेख'''</div>
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[कृष्ण]]'''</div>
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<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[हिन्दू धर्म]]'''</div>
<div id="rollnone"> [[चित्र:Krishn-title-4.gif|right|150px|कृष्ण|link=कृष्ण]] </div>
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<div id="rollnone"> [[चित्र:Swt red.jpg|right|120px|स्वस्तिक|link=हिन्दू धर्म]] </div>
*सनातन धर्म के अनुसार भगवान [[विष्णु]] सर्वपापहारी पवित्र और समस्त मनुष्यों को भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाले प्रमुख देवता हैं। कृष्ण [[हिन्दू धर्म]] में विष्णु के अवतार माने जाते हैं।
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*[[छांदोग्य उपनिषद]] (3,17,6), जिसमें [[देवकी]] पुत्र कृष्ण का उल्लेख है और उन्हें घोर [[आंगिरस]] का शिष्य कहा है। परवर्ती साहित्य में श्रीकृष्ण को देव या [[विष्णु]] रूप में प्रदर्शित करने का भाव मिलता है।<balloon title="(दे0 तैत्तिरीय आरण्यक, 10, 1, 6; पाणिनि-अष्टाध्यायी, 4, 3, 98 आदि)" style=color:blue>*</balloon>
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        '''[[हिन्दू धर्म]]''' [[भारत]] का सर्वप्रमुख धर्म है, जिसे इसकी प्राचीनता एवं विशालता के कारण 'सनातन धर्म' भी कहा जाता है। [[ईसाई धर्म|ईसाई]], [[इस्लाम धर्म|इस्लाम]], [[बौद्ध धर्म|बौद्ध]], [[जैन धर्म|जैन]] आदि धर्मों के समान हिन्दू धर्म किसी पैगम्बर या व्यक्ति विशेष द्वारा स्थापित धर्म नहीं है, बल्कि यह प्राचीन काल से चले आ रहे विभिन्न धर्मों, मतमतांतरों, आस्थाओं एवं विश्वासों का समुच्चय है। एक विकासशील धर्म होने के कारण विभिन्न कालों में इसमें नये-नये आयाम जुड़ते गये। वास्तव में हिन्दू धर्म इतने विशाल परिदृश्य वाला धर्म है कि उसमें आदिम ग्राम [[देवता|देवताओं]], भूत-पिशाची, स्थानीय देवी-देवताओं, झाड़-फूँक, तंत्र-मत्र से लेकर त्रिदेव एवं अन्य देवताओं तथा निराकार ब्रह्म और अत्यंत गूढ़ दर्शन तक, सभी बिना किसी अन्तर्विरोध के समाहित हैं और स्थान एवं व्यक्ति विशेष के अनुसार सभी की आराधना होती है। वास्तव में हिन्दू धर्म लघु एवं महान् परम्पराओं का उत्तम समन्वय दर्शाता है। एक ओर इसमें वैदिक तथा पुराणकालीन देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना होती है, तो दूसरी ओर कापलिक और अवधूतों द्वारा भी अत्यंत भयावह कर्मकांडीय आराधना की जाती है। '''[[हिन्दू धर्म|.... और पढ़ें]]'''
*[[महाभारत]] तथा [[हरिवंश पुराण|हरिवंश]], [[विष्णु पुराण|विष्णु]], [[ब्रह्म पुराण|ब्रह्म]], [[वायु पुराण|वायु]], [[भागवत पुराण|भागवत]], [[पद्म पुराण|पद्म]], देवी भागवत [[अग्नि पुराण|अग्नि]] तथा [[ब्रह्मावर्त|ब्रह्मवर्त]] [[पुराण|पुराणों]] में उन्हें प्राय: भगवान के रूप में ही दिखाया गया है।
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*कृष्ण की स्तुति लगभग सारे [[भारत]] में किसी न किसी रूप में की जाती है। वे लोग जिन्हें हम साधारण रूप में नास्तिक या धर्म निरपेक्ष की श्रेणी में रखते हैं निश्चित रूप से [[गीता|भगवत गीता]] से प्रभावित हैं।
 
*यह मत भी भ्रामक है कि [[ब्रज]] के कृष्ण, [[द्वारका]] के कृष्ण तथा महाभारत के कृष्ण एक न होकर अलग-अलग व्यक्ति थे।<balloon title="(श्रीकृष्ण की ऐतिहासिकता तथा तत्संबंधी अन्य समस्याओं के लिए देखिए- राय चौधरी-अर्ली हिस्ट्री आफ वैष्णव सेक्ट, पृ0 39, 52; आर0जी0 भंडारकार-ग्रंथमाला, जिल्द 2, पृ0 58-291; विंटरनीज-हिस्ट्री आफ इंडियन लिटरेचर, जिल्द 1, पृ0 456; मैकडॉनल तथा कीथ-वैदिक इंडेक्स, जि0 1, पृ0 184; ग्रियर्सन-एनसाइक्लोपीडिया आफ रिलीजंस (`भक्ति' पर निबंध); भगवानदास-कृष्ण; तदपत्रिकर-दि कृष्ण प्रायलम; पार्जीटर-ऎश्यंट इंडियन हिस्टारिकल ट्रेडीशन आदि।)" style=color:blue>*</balloon> '''[[कृष्ण|.... और पढ़ें]]'''
 
 
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<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[पुराण]]'''</div>
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<div style="padding-left:8px; background:#f6e5d3; border:thin solid #c1a280;">'''चयनित लेख'''</div>
<div id="rollnone"> [[चित्र:Puran-1.png|right|150px|पुराण|link=पुराण]] </div>
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<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[गणेश]]'''</div>
*पुराणों की रचना वैदिक काल के काफ़ी बाद की है, ये स्मृति विभाग में रखे जाते हैं। पुराणों को '''मनुष्य के भूत, भविष्य, वर्तमान का दर्पण''' भी कहा जा सकता है।  
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<div id="rollnone"> [[चित्र:Ganesa-Mathura-Museum-35.jpg|right|120px|गणेश, राजकीय संग्रहालय मथुरा|link=गणेश]] </div>
*पुराणों में हिन्दू देवी-देवताओं का और पौराणिक मिथकों का बहुत अच्छा वर्णन है। इनकी '''भाषा सरल और कथा कहानी''' की तरह है।
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<poem>
*पुराण वस्तुतः वेदों का विस्तार हैं। वेद बहुत ही जटिल तथा शुष्क भाषा-शैली में लिखे गए हैं। [[वेदव्यास]] जी ने पुराणों की रचना और पुनर्रचना की।
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        '''[[गणेश]]''' [[भारत]] के अति प्राचीन देवता हैं। [[ऋग्वेद]] में गणपति शब्द आया है। [[यजुर्वेद]] में भी इनका उल्लेख है। पुराणों में गणेश के संबंध में अनेक आख्यान वर्णित है। एक के अनुसार [[शनि देव|शनि]] की दृष्टि पड़ने से शिशु गणेश का सिर जल कर भस्म हो गया। इस पर दुःखी [[पार्वती]] से [[ब्रह्मा]] ने कहा- जिसका सिर सर्वप्रथम मिले उसे गणेश के सिर पर लगा दो। पहला सिर [[हाथी]] के बच्चे का ही मिला। इस प्रकार गणेश ‘गजानन’ बन गए। धार्मिक मान्यतानुसार [[हिन्दू धर्म]] में गणेश जी सर्वोपरि स्थान रखते हैं। सभी [[देवता|देवताओं]] में इनकी पूजा-अर्चना सर्वप्रथम की जाती है। [[भाद्रपद]] [[शुक्ल पक्ष|शुक्ल]] [[चतुर्थी]] को मध्याह्न के समय गणेश जी का जन्म हुआ था। ये भगवान [[शिव]] और [[पार्वती देवी|पार्वती]] के दूसरे पुत्र हैं। भगवान गणेश का स्वरूप अत्यन्त ही मनोहर एवं मंगलदायक है। वे एकदन्त और चतुर्बाहु हैं। अपने चारों हाथों में वे क्रमश: पाश, अंकुश, मोदकपात्र तथा वरमुद्रा धारण करते हैं। वे रक्तवर्ण, लम्बोदर, शूर्पकर्ण तथा पीतवस्त्रधारी हैं।  '''[[गणेश|.... और पढ़ें]]'''
*पुराण शब्द ‘पुरा’ एवं ‘अण’ शब्दों की संधि से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ -‘पुराना’ अथवा ‘प्राचीन’ होता है। ‘पुरा’ शब्द का अर्थ है - अनागत एवं अतीत और ‘अण’ शब्द का अर्थ होता है- कहना या बतलाना।
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</poem>
*संसार की रचना करते समय [[ब्रह्मा]] जी ने एक ही पुराण की रचना की थी। जिसमें एक '''अरब श्लोक''' थे। यह पुराण बहुत ही विशाल और कठिन था। '''[[पुराण|.... और पढ़ें]]'''
 
 
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<div style="padding-left:8px; background:#e9d1fc; border:thin solid #d196ff">'''कुछ चुने हुए लेख'''</div>
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<div style="padding-left:8px; background:#f6e5d3; border:thin solid #c1a280;">'''कुछ लेख'''</div>
 
* [[हिन्दू धर्म]]
 
* [[हिन्दू धर्म]]
 
* [[इस्लाम धर्म]]
 
* [[इस्लाम धर्म]]
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* [[महाभारत]]
 
* [[महाभारत]]
 
* [[वेद]]
 
* [[वेद]]
* [[ईद-उल-फ़ितर]]
 
* [[दर्शन शास्त्र]]
 
* [[बौद्ध दर्शन]]
 
 
* [[गीता]]
 
* [[गीता]]
 
* [[उपनिषद]]
 
* [[उपनिषद]]
 
* [[ब्राह्मण साहित्य|ब्राह्मण ग्रन्थ]]
 
* [[ब्राह्मण साहित्य|ब्राह्मण ग्रन्थ]]
* [[गुरु नानक|नानक देव, गुरु]]
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* [[जैन दर्शन और उसका उद्देश्य|जैन दर्शन]]
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11:22, 8 सितम्बर 2017 का अवतरण

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  • यहाँ हम भारत के विभिन्न धर्मों से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। भारतीय संस्कृति की मूल विशेषता यह रही है कि व्यक्ति अपनी परिस्थितियों के अनुरूप मूल्यों की रक्षा करते हुए कोई भी मत, विचार अथवा धर्म अपना सकता है।
  • यहाँ हिन्दू धर्म के अगणित रूपों और संप्रदायों के अतिरिक्त, बौद्ध, जैन, सिक्ख, इस्लाम, ईसाई, यहूदी आदि धर्मों की विविधता का भी एक सांस्कृतिक समायोजन देखने को मिलता है। आध्यात्मिकता हमारी संस्कृति का प्राणतत्त्व है। इनमें ऐहिक अथवा भौतिक सुखों की तुलना में आत्मिक अथवा पारलौकिक सुख के प्रति आग्रह देखा जा सकता है।
मुख्य आकर्षण- महाभारत सामान्य ज्ञान · रामायण सामान्य ज्ञान · धर्म कोश
  • भारतकोश पर लेखों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती रहती है जो आप देख रहे वह "प्रारम्भ मात्र" ही है...
विशेष आलेख
स्वस्तिक

        हिन्दू धर्म भारत का सर्वप्रमुख धर्म है, जिसे इसकी प्राचीनता एवं विशालता के कारण 'सनातन धर्म' भी कहा जाता है। ईसाई, इस्लाम, बौद्ध, जैन आदि धर्मों के समान हिन्दू धर्म किसी पैगम्बर या व्यक्ति विशेष द्वारा स्थापित धर्म नहीं है, बल्कि यह प्राचीन काल से चले आ रहे विभिन्न धर्मों, मतमतांतरों, आस्थाओं एवं विश्वासों का समुच्चय है। एक विकासशील धर्म होने के कारण विभिन्न कालों में इसमें नये-नये आयाम जुड़ते गये। वास्तव में हिन्दू धर्म इतने विशाल परिदृश्य वाला धर्म है कि उसमें आदिम ग्राम देवताओं, भूत-पिशाची, स्थानीय देवी-देवताओं, झाड़-फूँक, तंत्र-मत्र से लेकर त्रिदेव एवं अन्य देवताओं तथा निराकार ब्रह्म और अत्यंत गूढ़ दर्शन तक, सभी बिना किसी अन्तर्विरोध के समाहित हैं और स्थान एवं व्यक्ति विशेष के अनुसार सभी की आराधना होती है। वास्तव में हिन्दू धर्म लघु एवं महान् परम्पराओं का उत्तम समन्वय दर्शाता है। एक ओर इसमें वैदिक तथा पुराणकालीन देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना होती है, तो दूसरी ओर कापलिक और अवधूतों द्वारा भी अत्यंत भयावह कर्मकांडीय आराधना की जाती है। .... और पढ़ें

चयनित लेख
गणेश, राजकीय संग्रहालय मथुरा

        गणेश भारत के अति प्राचीन देवता हैं। ऋग्वेद में गणपति शब्द आया है। यजुर्वेद में भी इनका उल्लेख है। पुराणों में गणेश के संबंध में अनेक आख्यान वर्णित है। एक के अनुसार शनि की दृष्टि पड़ने से शिशु गणेश का सिर जल कर भस्म हो गया। इस पर दुःखी पार्वती से ब्रह्मा ने कहा- जिसका सिर सर्वप्रथम मिले उसे गणेश के सिर पर लगा दो। पहला सिर हाथी के बच्चे का ही मिला। इस प्रकार गणेश ‘गजानन’ बन गए। धार्मिक मान्यतानुसार हिन्दू धर्म में गणेश जी सर्वोपरि स्थान रखते हैं। सभी देवताओं में इनकी पूजा-अर्चना सर्वप्रथम की जाती है। भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मध्याह्न के समय गणेश जी का जन्म हुआ था। ये भगवान शिव और पार्वती के दूसरे पुत्र हैं। भगवान गणेश का स्वरूप अत्यन्त ही मनोहर एवं मंगलदायक है। वे एकदन्त और चतुर्बाहु हैं। अपने चारों हाथों में वे क्रमश: पाश, अंकुश, मोदकपात्र तथा वरमुद्रा धारण करते हैं। वे रक्तवर्ण, लम्बोदर, शूर्पकर्ण तथा पीतवस्त्रधारी हैं। .... और पढ़ें

कुछ लेख
धर्म श्रेणी वृक्ष
चयनित चित्र

राधाकुण्ड, गोवर्धन

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