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फ़रीदकोट नगर, ज़िला, पश्चिमोत्तर [[भारत]] के दक्षिण-पश्चिमी [[पंजाब]] राज्य है। [[लुधियाना]] नगर से 116 किमी दूर पश्चिम में स्थित है। फ़रीदकोट सूफ़ी संत बाबा शेख़ फ़रीद से संबद्ध एक मध्यकालीन शहर है। 1947 से पहले यह एक छोटी सी रियासत की राजधानी था।  
 
फ़रीदकोट नगर, ज़िला, पश्चिमोत्तर [[भारत]] के दक्षिण-पश्चिमी [[पंजाब]] राज्य है। [[लुधियाना]] नगर से 116 किमी दूर पश्चिम में स्थित है। फ़रीदकोट सूफ़ी संत बाबा शेख़ फ़रीद से संबद्ध एक मध्यकालीन शहर है। 1947 से पहले यह एक छोटी सी रियासत की राजधानी था।  
 
==इतिहास==
 
==इतिहास==
इस शहर की स्थापना 16वीं शताब्दी में जाट (उत्तर भारत का एक योद्धा समुदाय) 'भल्लन' ने मुग़ल बादशाह [[अकबर]] के शासनकाल में की थी, लेकिन बाद में यह ब्रिटिश शासन के तहत आ गया। 1803 में इस पर [[पंजाब]] के सिक्ख शासक [[रणजीत सिंह]] ने कब्ज़ा कर लिया और बाद में 1809 में [[अमृतसर]] की संधि के माध्यम से इसे फिर से अंग्रेज़ों को वापस कर दिया गया।  
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इस शहर की स्थापना 16वीं शताब्दी में जाट (उत्तर [[भारत]] का एक योद्धा समुदाय) 'भल्लन' ने मुग़ल बादशाह [[अकबर]] के शासनकाल में की थी, लेकिन बाद में यह ब्रिटिश शासन के तहत आ गया। 1803 में इस पर [[पंजाब]] के सिक्ख शासक [[रणजीत सिंह]] ने कब्ज़ा कर लिया और बाद में 1809 में [[अमृतसर]] की संधि के माध्यम से इसे फिर से अंग्रेज़ों को वापस कर दिया गया।  
 
==कृषि==
 
==कृषि==
 
कपास उत्पादक क्षेत्र में स्थित इस नगर के उद्योगों में कपास की ओटाई और गांठें बनाने, विद्युतचालित करघे से बुनाई, इस्पात रोलिंग और धातुकर्म शामिल हैं। ज़िले के लगभग 85 प्रतिशत भूभाग पर खेती होती है, जिसका अधिकांश हिस्सा सिंचित है। गेहूं, चावल कपास यहां की प्रमुख फ़सलें हैं।  
 
कपास उत्पादक क्षेत्र में स्थित इस नगर के उद्योगों में कपास की ओटाई और गांठें बनाने, विद्युतचालित करघे से बुनाई, इस्पात रोलिंग और धातुकर्म शामिल हैं। ज़िले के लगभग 85 प्रतिशत भूभाग पर खेती होती है, जिसका अधिकांश हिस्सा सिंचित है। गेहूं, चावल कपास यहां की प्रमुख फ़सलें हैं।  

09:44, 20 सितम्बर 2010 का अवतरण

फ़रीदकोट नगर, ज़िला, पश्चिमोत्तर भारत के दक्षिण-पश्चिमी पंजाब राज्य है। लुधियाना नगर से 116 किमी दूर पश्चिम में स्थित है। फ़रीदकोट सूफ़ी संत बाबा शेख़ फ़रीद से संबद्ध एक मध्यकालीन शहर है। 1947 से पहले यह एक छोटी सी रियासत की राजधानी था।

इतिहास

इस शहर की स्थापना 16वीं शताब्दी में जाट (उत्तर भारत का एक योद्धा समुदाय) 'भल्लन' ने मुग़ल बादशाह अकबर के शासनकाल में की थी, लेकिन बाद में यह ब्रिटिश शासन के तहत आ गया। 1803 में इस पर पंजाब के सिक्ख शासक रणजीत सिंह ने कब्ज़ा कर लिया और बाद में 1809 में अमृतसर की संधि के माध्यम से इसे फिर से अंग्रेज़ों को वापस कर दिया गया।

कृषि

कपास उत्पादक क्षेत्र में स्थित इस नगर के उद्योगों में कपास की ओटाई और गांठें बनाने, विद्युतचालित करघे से बुनाई, इस्पात रोलिंग और धातुकर्म शामिल हैं। ज़िले के लगभग 85 प्रतिशत भूभाग पर खेती होती है, जिसका अधिकांश हिस्सा सिंचित है। गेहूं, चावल कपास यहां की प्रमुख फ़सलें हैं।

उद्योग

यहां कृषि उपकरण, मशीनी औज़ार, साइकिल और सिलाई मशीनों का निर्माण होता है।

सिंचाई और बिजली

अधिकांश घरों में बिजली उपलब्ध है।

शिक्षा

कई अन्य शैक्षिक संस्थानों के अलावा यहां बाबा फ़रीद यूनिवर्सिटी ऑफ़ हेल्थ साइंसेज़ भी स्थित है।

जनसंख्या

जनसंख्या (1991) न.पा. क्षेत्र 71,986; ज़िला कुल 5,52,466।

परिवहन

इसके सभी गांव सड़कों से जुड़े हैं।

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