बगुला

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
बगुला

बगुला (अंग्रेज़ी: Herons) पक्षियों की एक प्रजाति है। यह नदियों, झीलों और समुद्रों के किनारे मिलने वाले लम्बी टांगों व गर्दनों वाले चिड़िया का एक कुल है। इस पक्षी की 64 प्रजातियां हैं। बगुला संसार भर में पाया जाता है। एशिया, अफ़्रीका, अमेरिका, यूरोप महाद्वीप पर यह पक्षी मिल जाता है। भारत में भी इस पक्षी की मौजूदगी है। यह बड़ी ही चालाकी से पानी में मछलियों का शिकार करता है। यह पानी में काफ़ी देर तक बिना हिले-डुले सीधा खड़ा रहता है। यही कारण है कि इसे 'ध्यानस्थ योगी' कहा जाता है।

आकार-प्रकार

बगुला बहुत ही चालाक पक्षी है। यह बड़ी ही चालाकी से पानी में मछलियों का शिकार करता है। यह पानी में बिना हिले डुले सीधा खड़ा रहता है। इसकी रेंज में शिकार आने पर यह झपट्टा मारकर उसको निगल जाता है। यह पक्षी उड़ने में भी माहिर है। यह आकाश में 48 किलोमीटर प्रति घण्टा की रफ्तार उड़ता है। बगुला का रंग सफेद, भूरा, नीला, काला होता है। इसकी आँखेंंं बहुत तेज होती हैंं। यह रात को भी शिकार कर लेता है। इस पक्षी का आकार 140 सेंटीमीटर के करीब होता है। कुछ प्रजाति इससे आकार में छोटी भी होती हैंं। इनका वजन 3 किलोग्राम तक होता है। इससे कम वजन की प्रजाति भी मिलती है। बगुला की टांगे लम्बी और पतली होती हैंं। इसकी चोंच भी लम्बी है। बगुला की गर्दन भी लम्बी और मुड़ी हुई होती है। इसकी गर्दन S की आकृति में होती है।

प्राकृतिक आवास व भोजन

बगुला के पंख आकार में करीब 6 फ़ीट तक होते हैंं। यह उनके शरीर से भी ज्यादा है। कुछ प्रजाति के बगुले के पंख इससे छोटे भी होते हैंं। इसका निवास स्थान तालाबों के आसपास होता है। यह दलदली या कम पानी वाले इलाकों में ज्यादातर रहते है। ये झुंड में रहना पसंद करते है। इन पक्षियों का घोंसला पेडों की पत्तियों, टहनियों से बना होता है। बगुला अपना घोंसला वृक्षों या ऊंची चट्टानों पर बनाते है। ऐसा वो शिकारियों से बचने के लिए करते हैंं। मादा बगुला पक्षी अंडे देती है। यह एक बार में करीब 4 से 5 अंडे देती है। करीब 1 महीने तक सेहने के बाद बच्चे निकलते हैंं। बगुला का भोजन मुख्यतः मछली है। यह एक माहिर शिकारी है जो मछलियों का आसानी से शिकार कर लेता है। मछली के अलावा मेंढक, इन्सेक्ट भी खाता है। शिकारी भी शिकार होता है। लोमड़ी, रैकून जैसे जानवर बगुला का शिकार करते हैंं। उनके अंडे भी चुराकर खा जाते हैंं। बगुला छोटे आकार की मछलियों को ही अपना शिकार बनाता है, क्योंकि बड़े आकार की मछली उसकी गर्दन में फंस सकती है। बगुला का औसत जीवनकाल 15 से 20 साल होता है।

धार्मिक महत्त्व

धार्मिक ग्रंथों में बगुले से जुड़ी अनेक कथाओं का उल्लेख मिलता है। पंचतंत्र में एक कहानी है बगुला भगत। बगुला भगत पंचतंत्र की प्रसिद्ध कहानियों में से एक है जिसके रचयिता आचार्य विष्णु शर्मा हैं। बगुला के नाम पर एक देवी का नाम भी है जिसे बगुलामुखी कहते हैं। बगुला ध्यान भी होता है अर्थात् बगुले की तरह एकटक ध्यान लगाना। बगुले के संबंध में कहा जाता है कि ये जिस भी घर के पास ‍के किसी वृक्ष आदि पर रहते हैं वहां शांति रहती है और किसी प्रकार की अकाल मृत्यु नहीं होती।

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख