बन्नू

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

बन्नू ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रदेश, पाकिस्तान का एक ज़िला है। प्राचीन समय में इस क्षेत्र को 'वर्णु' कहा जाता था। इस ज़िले के मुख्य शहर का नाम भी 'बन्नू' है। यहाँ बहुत-सी शुष्क पहाड़ियाँ हैं, हालांकि ज़िले में बहुत हरियाली दिखाई देती है और यहाँ की धरती बहुत उपजाऊ है। ब्रिटिश शासन काल में यहाँ के सौंदर्य के कारण बन्नू की तुलना स्वर्ग से की जाती थी।

क्षेत्रफल

इसका क्षेत्रफल क़रीब 1,227 वर्ग कि,मी, है। यहाँ पानी मुख्य तौर पर वज़ीरिस्तान की पहाड़ियों से उत्पन्न होने वाली कुर्रम नदी और गम्बीला[1] से आता है। बन्नू पहाड़ी इलाक़ा है, जिसके बीच में 100 कि.मी. लम्बी और 60 कि.मी. चौड़ी बन्नू वादी विस्तृत है।

इतिहास

सर्वप्रथम संस्कृत के प्रसिद्ध वैयाकरणाचार्य पाणिनि ने चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में बन्नू का ज़िक्र किया था और उसका प्राचीन नाम 'वर्णु' बताया था। सातवीं सदी ईसवी में भारतीय उपमहाद्वीप आये प्रसिद्ध चीनी धर्मयात्री युवानच्वांग ने भी बन्नू का दौरा किया और वर्तमान अफ़ग़ानिस्तान में स्थित ग़ज़नी की नगरी तक गया। इतिहासकारों को बन्नू के 'अकरा' नामक क्षेत्र में मौजूद टीलों में अति प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता के अवशेष मिले हैं और मध्य एशिया से आये बहुत-से हमलावरों द्वारा छोड़े गए तरह-तरह के चिह्न भी प्राप्त हुए हैं।

ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन

जब पंजाब से सिक्ख साम्राज्य फैला तो बन्नू ज़िला भी उसका भाग बन गया, हालांकि यह एक पश्तून इलाक़ा है। जब अंग्रेज़ों ने पंजाब को ब्रिटिश राज का हिस्सा बनाया, तो बन्नू भी उसमें शामिल किया गया। यहाँ के फ़ौजी अड्डों से सेना की टुकड़ियां अक्सर टोची घाटी और वज़ीरिस्तान के क़बाइली क्षेत्रों में समय-समय पर क़ाबू पाने के लिए भेजी जाती थीं। ब्रिटिश ज़माने में ही फ़ौज के प्रयोग के लिए डेरा ग़ाज़ी ख़ान से बन्नू तक एक सड़क तैयार की गई थी।

पारसी ग्रंथ में उल्लेख

पारसी धर्म ग्रन्थ 'अवेस्ता' में भी बन्नू को 'वरन' के नाम से सम्बोधित किया गया और कहा गया है कि 'अहुर मज़्दा'[2] द्वारा दुनिया में बनाए गए 16 सर्वोताम जगहों में से यह एक है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. उर्फ़ टोची नदी
  2. यानि परमात्मा

संबंधित लेख