बृहदारण्यकोपनिषद अध्याय-5 ब्राह्मण-5 से 12

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रेणु (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:27, 5 सितम्बर 2011 का अवतरण ('*बृहदारण्यकोपनिषद के [[बृहदारण्यकोपनिषद अध्याय-5|अ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
  • बृहदारण्यकोपनिषद के अध्याय पांचवाँ का यह पांचवाँ से बारहवाँ ब्राह्मण है।
  • पांचवें से आठवें ब्राह्मण तक 'सत्य' को आदित्य-रूप ब्रह्म के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है।
  • तदुपरान्त उसे मनोमय पुरुष, विद्युत वाक्, गाय, अग्नि, मरणोत्तर ऊर्ध्व गति, अन्न व प्राण-रूप में 'ब्रह्म' को स्वीकार कर उसकी उपासना की बात कही गयी है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख