बैमफ़ील्ड फ़ुलर

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बैमफ़ील्ड फ़ुलर 1905 ई. में वाइसराय लॉर्ड कर्ज़न द्वारा बंगाल और आसाम को मिलाकर बनाये गये पूर्वी प्रान्त का पहला अंग्रेज़ लेफ़्टीनेंट गवर्नर था। वह भारत के लोगों की राष्ट्रीय आकांक्षाओं का घोर विरोधी था।  

  • फ़ुलर 'इंडियन सिविल सर्विस' और भारतीयों की राष्ट्रीय आकांक्षाओं का विरोधी था।
  • इस नये प्रान्त का शासन चलाने में उसने जानबूझकर हिन्दू विरोधी रवैया अपनाया।
  • बंग भंग विरोधी आंदोलन से मुसलमानों को अलग करने के लिए उन्हें सरकार की 'चहेती बेग़म' ऐलान किया।
  • अंग्रेज़ों द्वारा इस आंदोलन को किसी भी प्रकार से दबाया नहीं जा सका।
  • इस आंदोलन के समर्थकों में स्कूली छात्रों की संख्या बहुत बड़ी थी।
  • छात्रों को आंदोलन से रोकने के लिए फ़ुलर ने स्कूलों को एक परिपत्र भेजा, जिसमें धमकी दी गई थी कि अगर छात्रों ने राजनीतिक आंदोलनों में भाग लिया तो उनको मिलने वाली राजकीय सहायता बंद और उनकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी।
  • दो स्कूलों को इस आदेश के उल्लंघन का दोषी समझा गया।
  • फ़ुलर उनकी मान्यता रद्द करना चाहता था, किन्तु भारत सरकार ने भारतमंत्री जॉन मार्ले की सहमति से उससे अनुरोध किया कि वह उक्त दो स्कूलों की मान्यता समाप्त करने का अपना फ़ैसला वापस ले ले।
  • फ़ुलर को इस पर इतना आक्रोश हुआ कि उसने अपना त्यागपत्र ही दे दिया और उसका इस्तीफ़ा तुरन्त ही स्वीकार कर लिया गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 258 |


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