भद्दिलपुर

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भद्दिलपुर मध्य प्रदेश के विदिशा में स्थित है। यह जैनियों के दसवें तीर्थंकर भगवान शीतलनाथ की जन्मभूमि होने के कारण जैनियों के लिए विशेष महत्व का है। यहाँ कई प्राचीन जैन मंदिर है; लेकिन किसी स्थान विशेष पर शीतलनाथ के जन्मभूमि के बारे में कोई साहित्यिक प्रमाण नहीं मिलता, लेकिन विजय मंदिर के निकट स्थित हवेली के नीचे से मिलीं कई जैन प्रतिमाएँ यहाँ के प्राचीनतम मंदिर का साक्ष्य देती हैं। इससे इसी स्थान पर तीर्थंकर शीतलनाथ का जन्म होने की संभावना बढ़ जाती है।

  • भद्दिलपुर तीर्थ दसवें तीर्थंकर परमात्मा शीतलनाथ की कल्याणक भूमि है, जहाँ उनके 4 कल्याणक- च्यवन, जन्म, दीक्षा एवं कैवल्य ज्ञान घटित हुए।
  • यहाँ के राजा दृढ़रथ एक अत्यन्त धर्मनिष्ठ, न्यायी एवं प्रजा वत्सल शासक थे। उनकी महारानी नन्दादेवी की रत्नकुक्षि में वैशाख कृष्ण षष्ठी को प्रभु शीतलनाथ का च्यवन (गर्भ अवतरण) हुआ। समय बीतने पर माघ कृष्ण द्वादशी को प्रभु का जन्म भद्दिलपुर में हुआ।
  • गर्भावस्था काल में किसी रोग के कारण राजा दृढ़रथ का शरीर दारूण तप्त हो गया था, परन्तु महारानी के स्पर्श मात्र से तप्त वेदना शांत हो गयी थी, इसलिये नवजात पुत्र का नामकरण शीतलनाथ रखा गया।
  • उचित वय में शीतलनाथ का पाणिग्रहण हुआ एवं उसके कुछ समय उपरान्त राजा दृढ़रथ ने राज्य-भार शीतलनाथ को देकर प्रवज्या ग्रहण की। वे निस्पृह भाव से अत्यन्त कुशलता एवं वात्सल्यपूर्वक राजकार्य का दायित्व वहन करते रहे। कुछ समय उपरान्त संसार की असारता को समझते हुए उन्होंने लौकिक सुखों को त्याग कर दीक्षा ग्रहण करने का निर्णय लिया। उन्होंने भद्दिलपुर में माघ कृष्ण द्वादशी को दीक्षा ग्रहण की एवं तप, आराधना तथा ध्यान में निमग्न रहते हुए पौष कृष्ण चतुर्दशी को पलाश वृक्ष के नीचे कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया। कैवल्य ज्ञान प्राप्ति के उपरान्त उन्होंने देश के विभिन्न क्षेत्रों में विहार करते हुए सत्य, अहिंसा एवं [[जैन धर्म का प्रचार किया।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में श्री भद्दिलपुर तीर्थ का महत्व (हिंदी) sthulibhadrasandesh.page। अभिगमन तिथि: 17 जुलाई, 2020।

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