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पेट पीठ दोनों मिलकर हैं एक,
 
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चल रहा लकुटिया टेक,
 
चल रहा लकुटिया टेक,
मुट्ठी भर दाने को-- भूख मिटाने को
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मुट्ठी भर दाने को ‌‌- भूख मिटाने को
मुँह फटी पुरानी झोली का फैलाता--
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मुँह फटी पुरानी झोली का फैलाता-
 
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।
 
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।
  

14:04, 24 अगस्त 2011 का अवतरण

भिक्षुक -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
जन्म 21 फ़रवरी, 1896
जन्म स्थान मेदनीपुर ज़िला, बंगाल (पश्चिम बंगाल)
मृत्यु 15 अक्टूबर, सन 1961
मृत्यु स्थान प्रयाग, भारत
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला की रचनाएँ

वह आता--
दो टूक कलेजे के करता पछताता
पथ पर आता।

पेट पीठ दोनों मिलकर हैं एक,
चल रहा लकुटिया टेक,
मुट्ठी भर दाने को ‌‌- भूख मिटाने को
मुँह फटी पुरानी झोली का फैलाता-
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।

साथ दो बच्चे भी हैं सदा हाथ फैलाये,
बायें से वे मलते हुए पेट को चलते,
और दाहिना दया दृष्टि-पाने की ओर बढ़ाये।
भूख से सूख ओठ जब जाते
दाता-भाग्य विधाता से क्या पाते?--
घूँट आँसुओं के पीकर रह जाते।
चाट रहे जूठी पत्तल वे सभी सड़क पर खड़े हुए,
और झपट लेने को उनसे कुत्ते भी हैं अड़े हुए!




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