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भूविज्ञान में पृथ्वी की उत्पत्ति, संरचना तथा उसके संघटन एवं शैलों द्वारा व्यक्त उसके इतिहास की विवेचना की जाती है। यह विज्ञान उन प्रक्रमों पर भी प्रकाश डालता है जिनसे शैलों में परिवर्तन आते रहते हैं। इसमें अभिनव जीवों के साथ प्रागैतिहासिक जीवों का संबंध तथा उनकी उत्पत्ति और उनके विकास का अध्ययन भी सम्मिलित है। इसके अंतर्गत पृथ्वी के संघटक पदार्थों, उन पर क्रियाशील शक्तियों तथा उनसे उत्पन्न संरचनाओं, भूपटल की शैलों के वितरण, पृथ्वी के इतिहास आदि के अध्ययन को सम्मिलित किया जाता है।
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08:10, 28 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण

भूविज्ञान (अंग्रेज़ी:Geology) वह विज्ञान है जिसमें पृथ्वी, पृथ्वी का निर्माण करने वाले शैलों तथा शैलों के विकास की प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। इसके अंतर्गत पृथ्वी संबंधी अनेकानेक विषय आ जाते हैं, जिनमें से एक मुख्य प्रकरण उन क्रियाओं की विवेचना हैं जो प्राचीन काल से धरातल पर होती चली आ रही हैं एवं जिनके फलस्वरूप भूपृष्ठ का रूप निरुतर परिवर्तित होता रहता है, यद्यपि उसकी गति साधारणतया बहुत ही मंद होती है। अन्य प्रकरणों में पृथ्वी की आयु, भूगर्भ, ज्वालामुखी क्रीड़ा, भूसंचलन, भूकंप और पर्वत निर्माण, महादेशीय विस्थापन, भौमिकीय काल में जलवायु परिवर्तन तथा हिमनदी युग विशेष उल्लेखनीय हैं। भूविज्ञान में पृथ्वी की उत्पत्ति, संरचना तथा उसके संघटन एवं शैलों द्वारा व्यक्त उसके इतिहास की विवेचना की जाती है। यह विज्ञान उन प्रक्रमों पर भी प्रकाश डालता है जिनसे शैलों में परिवर्तन आते रहते हैं। इसमें अभिनव जीवों के साथ प्रागैतिहासिक जीवों का संबंध तथा उनकी उत्पत्ति और उनके विकास का अध्ययन भी सम्मिलित है। इसके अंतर्गत पृथ्वी के संघटक पदार्थों, उन पर क्रियाशील शक्तियों तथा उनसे उत्पन्न संरचनाओं, भूपटल की शैलों के वितरण, पृथ्वी के इतिहास आदि के अध्ययन को सम्मिलित किया जाता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

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