मतंगेस्वर मन्दिर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
मतंगेस्वर मन्दिर
मतंगेस्वर मन्दिर
विवरण 'मतंगेस्वर मन्दिर' खजुराहो, मध्य प्रदेश का एक मात्र ऐसा मन्दिर है, जहाँ आदि काल से निरंतर पूजा होती चली आ रही है।
राज्य मध्य प्रदेश
निर्माणकर्ता चन्देल वंश के राजा
मान्यता मान्यता है कि इस मन्दिर के शिवलिंग के नीचे एक ऐसी मणि है, जो हर मनोकामना पूरी करती है।
विशेष यहाँ भक्त लोग उल्टे हाथ लगाकर अपनी मनोकामना व्यक्त करते हैं और मनोकामना पूर्ण होने के बाद सीधे हाथ लगाते हैं।
संबंधित लेख मतंग ऋषि, शिव
अन्य जानकारी माना जाता है कि मतंग ऋषि यहाँ शिवलिंग की पूजा करते थे। इसका 'मतंगेस्वर' नाम स्वयं भगवान श्रीराम ने मतंग ऋषि के नाम पर रखा था।

मतंगेस्वर मन्दिर खजुराहो, मध्य प्रदेश के विख्यात मन्दिरों में से एक है। यह मन्दिर हिन्दू आस्था का प्रमुख केन्द्र है। यही एक मात्र ऐसा मन्दिर है, जहाँ आदि काल से निरंतर पूजा होती चली आ रही है। माना जाता है कि चंदेल वंशी राजाओं द्वारा नौवीं सदी में बनाये गए इस मन्दिर के शिवलिंग के नीचे एक ऐसी मणि है, जो हर मनोकामना पूरी करती है। मान्यता है कि किसी समय यहाँ भगवान श्रीराम ने भी पूजा की थी। 'शिवरात्रि' के दिन यहाँ भगवान शिव के भक्तों का तांता लगा रहता है। खजुराहो के सभी मन्दिरों में सबसे ऊँची जगह पर बने इस मन्दिर में जो भी आता है, वह भक्ति में डूब जाता है, चाहे वह भारतीय हो या फिर विदेशी। कहते हैं की मन्दिर का शिवलिंग किसी ने बनवाया नहीं है, बल्कि यह स्वयंभू है।

मतंग का पूजा स्थल

किंवदंतियों के अनुसार यह माना जाता है कि मतंग ऋषि यहाँ शिवलिंग की पूजा करते थे। इसका मतंगेस्वर नाम स्वयं भगवान श्रीराम ने मतंग ऋषि के नाम पर रखा था। यहाँ पर मूर्ति पहले से स्थापित थी। त्रेता युग में इसका उलेख मिलता है। रामायण में भी इसका उल्लेख हुआ है। यहाँ मतंग ऋषि से मिलने राम आए थे। उन्होंने भगवान शिव की पूजा-अर्चना की और मतंग के नाम पर ही भगवान शिव को 'मतंगेस्वर' नाम दिया।

मरकत मणि

यंहाँ के चंदेल राजाओं को 'मरकत मणि' चन्द्र वंशी होने के कारण विरासत में मिली थी। चंदेल राजाओं ने इस मणि की सुरक्षा और उसकी नियमित पूजा-अर्चना के लिए इसे शिवलिंग के नीचे रखवा दिया था। लोक मान्यता है कि जो भी व्यक्ति 'मरकत मणि' की पूजा करता है, उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। देवराज इन्द्र के द्वारा 'मरकत मणि' पाण्डव धर्मराज युधिष्ठिर को दी गई थी। कालक्रम में यह मणि यशोवर्मन, चन्द्रवर्मन के पास रही। उन्होंने उसकी सुरक्षा करने के हिसाब से और इसकी पूजा-अर्चना होती रहे, इसीलिए शिवलिंग के नीचे स्थापित करा दिया था।

आस्था

वर्तमान समय में खजुराहो के इस मन्दिर में हर कोई एक मनोकामना लेकर आता है। भगवान शिव हर किसी की मनोकामना पूर्ण भी करते है, ऐसा विश्वास यहाँ के लोगों का है। मतंगेस्वर मन्दिर के प्रति लोगों की गहरी आस्थाएँ हैं, तभी तो यहाँ प्रत्येक शिवरात्रि और अमावस्या पर हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यहाँ आने वाले भक्त लोग उल्टे हाथ लगाकर अपनी मनोकामना व्यक्त करते हैं। मनोकामना पूर्ण होने के बाद सीधे हाथ लगाते हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख