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आज का दिन - 19 मार्च 2024 (भारतीय समयानुसार)
- राष्ट्रीय शाके 1945, 29 गते 06, फाल्गुन, मंगलवार
- विक्रम सम्वत् 2080, फाल्गुन, शुक्ल पक्ष, दशमी, मंगलवार, पुनर्वसु
- इस्लामी हिजरी 1445, 08, रमज़ान, मंगल, ज़िराअ
- लट्ठमार होली, नंदगाँव, जगदीप (जन्म), नारायण भास्कर खरे (जन्म), गीतकार योगेश (जन्म), माधुरी बड़थ्वाल (जन्म), जे. बी. कृपलानी (मृत्यु), एम. ए. अय्यंगार (मृत्यु), ई. एम. एस. नमबूद्रिपद (मृत्यु), पण्डित गुरुदत्त विद्यार्थी (मृत्यु), नवीन निश्चल (मृत्यु), सूरजभान सिंह (मृत्यु), केदारनाथ सिंह (मृत्यु)
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भारतकोश हलचल
आमलक्य एकादशी (20 मार्च) • लट्ठमार होली-जन्मभूमि मथुरा (20 मार्च) • मेला खाटू श्याम जी राजस्थान (20 मार्च) • विश्व गौरैया दिवस (20 मार्च) • लट्ठमार होली नंदगाँव (19 मार्च) • लट्ठमार होली बरसाना (18 मार्च) • आयुध निर्माण दिवस (18 मार्च) • होलाष्टक प्रारम्भ (17 मार्च) • लड्डू होली श्रीजी मंदिर, वृन्दावन (17 मार्च) • दादू दयाल जयन्ती (17 मार्च) • विश्व नींद दिवस (15 मार्च) • मीन संक्रांति (14 मार्च) • पाई दिवस (14 मार्च) • विश्व किडनी दिवस (14 मार्च) • विनायक चतुर्थी (13 मार्च) • फुलैरा दौज (12 मार्च) • रामकृष्ण परमहंस जयन्ती (12 मार्च) • रमज़ान पाक रोज़े प्रारम्भ (12 मार्च) • डांडी कूच दिवस (12 मार्च) • फाल्गुन अमावस्या (10 मार्च) • महाशिवरात्रि (08 मार्च) • प्रदोष व्रत (08 मार्च) • मासिक शिवरात्रि (08 मार्च) • अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (08 मार्च) • विजया एकादशी (07 मार्च) • समर्थ गुरु रामदास जयन्ती (05 मार्च) • दयानंद सरस्वती जयन्ती (05 मार्च) • जानकी जयन्ती (04 मार्च) • राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस (04 मार्च) • भानु सप्तमी (03 मार्च) • शबरी जयन्ती (03 मार्च) • कालाष्टमी (03 मार्च) • संकष्टी चतुर्थी (28 फ़रवरी) • राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (28 फ़रवरी) • शबबरात (26 फ़रवरी) • माघ पूर्णिमा (24 फ़रवरी) • गुरु रविदास जयंती (24 फ़रवरी)
जन्म
अर्जुन अटवाल (20 मार्च) • दारा शिकोह (20 मार्च) • कर्नल टॉड (20 मार्च) • अलका याग्निक (20 मार्च) • गीतकार योगेश (19 मार्च) • नारायण भास्कर खरे (19 मार्च) • जगदीप (19 मार्च) • जॉन मार्शल (19 मार्च) • माधुरी बड़थ्वाल (19 मार्च)
मृत्यु
एस. सत्यमूर्ति (20 मार्च) • जयपाल सिंह (20 मार्च) • प्रेमनाथ डोगरा (20 मार्च) • खुशवंत सिंह (20 मार्च) • आइज़ैक न्यूटन (20 मार्च) • बॉब क्रिस्टो (20 मार्च) • रोहित मेहता (20 मार्च) • शशिभूषण रथ (20 मार्च) • पण्डित गुरुदत्त विद्यार्थी (19 मार्च) • एम. ए. अय्यंगार (19 मार्च) • जे. बी. कृपलानी (19 मार्च) • ई. एम. एस. नंबूदरीपाद (19 मार्च) • नवीन निश्चल (19 मार्च) • सूरजभान सिंह (19 मार्च) • केदारनाथ सिंह (19 मार्च)
भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी
यह एक तरह की ध्यानावस्था ही है। यह एक ऐसा ध्यान है जो किया नहीं जाता या धारण नहीं करना होता बल्कि स्वत: ही धारित हो जाता है... बस लग जाता है। मनोविश्लेषण की पुरानी अवधारणा के अनुसार कहें तो अवचेतन मस्तिष्क (सब कॉन्शस) में कहीं स्थापित हो जाता है। दिमाग़ में बादाम जितने आकार के दो हिस्से, जिन्हें ऍमिग्डाला (Amygdala) कहते हैं, कुछ ऐसा ही व्यवहार करते हैं। ये दोनों कभी-कभी दिमाग़ को अनदेखा कर शरीर के किसी भी हिस्से को सक्रिय कर देते हैं। असल में इनकी मुख्य भूमिका संवेदनात्मक आपातकालिक संदेश देने की होती है। इस तरह की ही कोई प्रणाली संभवत: अवचेतन के संदेशों के निगमन को संचालित करती है। ऍमिग्डाला की प्रक्रिया को 'डेनियल गोलमॅन' ने अपनी किताब इमोशनल इंटेलीजेन्स में बहुत अच्छी तरह समझाया है। ...पूरा पढ़ें
पिछले सभी लेख → | सफलता का शॉर्ट-कट -आदित्य चौधरी | शहीद मुकुल द्विवेदी के नाम पत्र | शर्मदार की मौत |
एक आलेख
संसद भवन नई दिल्ली में स्थित सर्वाधिक भव्य भवनों में से एक है, जहाँ विश्व में किसी भी देश में मौजूद वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूनों की उज्ज्वल छवि मिलती है। राजधानी में आने वाले भ्रमणार्थी इस भवन को देखने ज़रूर आते हैं जैसा कि संसद के दोनों सभाएं लोक सभा और राज्य सभा इसी भवन के अहाते में स्थित हैं। संसद भवन संपदा के अंतर्गत संसद भवन, स्वागत कार्यालय भवन, संसदीय ज्ञानपीठ (संसद ग्रंथालय भवन) संसदीय सौध और इसके आस-पास के विस्तृत लॉन, जहां फ़व्वारे वाले तालाब हैं, शामिल हैं। संसद भवन की अभिकल्पना दो मशहूर वास्तुकारों - सर एडविन लुटय़न्स और सर हर्बर्ट बेकर ने तैयार की थी जो नई दिल्ली की आयोजना और निर्माण के लिए उत्तरदायी थे। संसद भवन की आधारशिला 12 फ़रवरी, 1921 को महामहिम द डय़ूक ऑफ कनाट ने रखी थी । इस भवन के निर्माण में छह वर्ष लगे और इसका उद्घाटन समारोह भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इर्विन ने 18 जनवरी, 1927 को आयोजित किया। इसके निर्माण पर 83 लाख रुपये की लागत आई। ... और पढ़ें
पिछले आलेख → | राष्ट्रपति | रसखान की भाषा | मौर्य काल |
एक पर्यटन स्थल
डल झील का प्रमुख आकर्षण केन्द्र तैरते हुए बग़ीचे हैं। पौराणिक मुग़ल किलों में यहाँ की संस्कृति तथा इतिहास के दर्शन होते हैं। डल झील के पास ही मुग़लों के सुंदर एवं प्रसिद्ध पुष्प वाटिका से डल झील की आकृति और उभरकर सामने आती है। कश्मीर के प्रसिद्ध विश्वविद्यालय झील के तट पर स्थित है। शिकारे के माध्यम से सैलानी नेहरू पार्क, कानुटुर खाना, चारचीनारी, कुछ द्वीप जो यहाँ पर स्थित हैं, उन्हें देख सकते हैं। श्रद्घालुओं के लिए हज़रतबल तीर्थस्थल के दर्शन करे बिना उनकी यात्रा अधूरी रह जाती है। शिकारे के माध्यम से श्रद्धालु इस तीर्थस्थल के दर्शन कर सकते हैं। दुनिया भर में यह झील विशेष रूप से शिकारों या हाऊस बोट के लिए जानी जाती है। डल झील के आस-पास की प्राकृतिक सुंदरता अधिक संख्या में लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। ... और पढ़ें
पिछले पर्यटन स्थल → | लक्षद्वीप | चंडीगढ़ | लाल क़िला |
एक व्यक्तित्व
महापण्डित राहुल सांकृत्यायन को हिन्दी यात्रा साहित्य का जनक माना जाता है। वे एक प्रतिष्ठित बहुभाषाविद थे और 20वीं सदी के पूर्वार्द्ध में उन्होंने यात्रा वृतांत तथा विश्व-दर्शन के क्षेत्र में साहित्यिक योगदान किए। बौद्ध धर्म पर उनका शोध हिन्दी साहित्य में युगान्तरकारी माना जाता है, जिसके लिए उन्होंने तिब्बत से लेकर श्रीलंका तक भ्रमण किया था। बौद्ध धर्म की ओर जब झुकाव हुआ तो पाली, प्राकृत, अपभ्रंश, तिब्बती, चीनी, जापानी, एवं सिंहली भाषाओं की जानकारी लेते हुए सम्पूर्ण बौद्ध ग्रन्थों का मनन किया और सर्वश्रेष्ठ उपाधि 'त्रिपिटिका चार्य' की पदवी पायी। साम्यवाद के क्रोड़ में जब राहुल जी गये तो कार्ल मार्क्स, लेनिन तथा स्तालिन के दर्शन से पूर्ण परिचय हुआ। प्रकारान्तर से राहुल जी इतिहास, पुरातत्त्व, स्थापत्य, भाषाशास्त्र एवं राजनीति शास्त्र के अच्छे ज्ञाता थे। ... और पढ़ें
पिछले लेख → | पण्डित ओंकारनाथ ठाकुर | जे. आर. डी. टाटा | आर. के. लक्ष्मण |
पृथ्वीराज रासो हिन्दी भाषा में लिखा गया एक महाकाव्य है, जिसमें पृथ्वीराज चौहान के जीवन-चरित्र का वर्णन किया गया है। यह महाकवि चंदबरदाई की रचना है, जो पृथ्वीराज के अभिन्न मित्र तथा राजकवि थे। इसमें दिल्लीश्वर पृथ्वीराज के जीवन की घटनाओं का विशद वर्णन है। यह तेरहवीं शती की रचना है। डॉ. माताप्रसाद गुप्त इसे 1400 विक्रमी संवत के लगभग की रचना मानते हैं। इसमें पृथ्वीराज व उनकी प्रेमिका संयोगिता के परिणय का सुन्दर वर्णन है। यह ग्रंथ ऐतिहासिक कम काल्पनिक अधिक है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने 'हिन्दी साहित्य का इतिहास' में लिखा है- 'पृथ्वीराज रासो ढाई हज़ार पृष्ठों का बहुत बड़ा ग्रंथ है जिसमें 69 समय (सर्ग या अध्याय) हैं। प्राचीन समय में प्रचलित प्राय: सभी छंदों का व्यवहार हुआ है। मुख्य छंद हैं कवित्त (छप्पय), दूहा, तोमर, त्रोटक, गाहा और आर्या। ...और पढ़ें
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सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
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कुछ लेख
गया • भारतीय संस्कृति • अमीर ख़ुसरो • बाबर • राज्य संरचना • गणेश • इंडिया गेट • गुरु गोबिन्द सिंह • तुलसी • आदि शंकराचार्य |
भारतकोश ज्ञान का हिन्दी-महासागर
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ब्रज डिस्कवरी
ब्रज डिस्कवरी पर हम आपको एक ऐसी यात्रा का भागीदार बनाना चाहते हैं जिसका रिश्ता ब्रज के इतिहास, संस्कृति, समाज, पुरातत्व, कला, धर्म-संप्रदाय, पर्यटन स्थल, प्रतिभाओं आदि से है।
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