"रत्नागिरी" के अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) छो (Adding category Category:महाराष्ट्र (को हटा दिया गया हैं।)) |
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) छो (Adding category Category:महाराष्ट्र के ऐतिहासिक स्थान (को हटा दिया गया हैं।)) |
||
पंक्ति 21: | पंक्ति 21: | ||
[[Category:शिवाजी]] | [[Category:शिवाजी]] | ||
[[Category:महाराष्ट्र]] | [[Category:महाराष्ट्र]] | ||
+ | [[Category:महाराष्ट्र के ऐतिहासिक स्थान]] |
13:32, 27 फ़रवरी 2011 का अवतरण
- रत्नगिरि, रत्नदुर्ग या भगवती दुर्ग के रूप में जाना जाने वाला एक दुर्ग है। यह मुंबई से 220 किमी. दक्षिण में स्थित है।
- सोलहवीं सदी में बीजापुर के सुल्तानों ने इसका निर्माण करवाया था। शिवाजी ने 1670 ई. में इसका पुननिर्माण कराकर मराठा नौसेना का प्रमुख केन्द्र बनाया।
- इस दुर्ग में तीन सुदृढ़ चोटियाँ हैं। दक्षिण की ओर स्थित सबसे बड़ी चोटी पारकोट के नाम से जानी जाती है।
- मध्य चोटी पर बाले नामक क़िला है, जिसमें प्रसिद्ध भगवती मंदिर आज भी सुरक्षित है।
- तीसरी चोटी मंदिर के पीछे ढलान पर है, जहाँ से कहा जाता है कि दंडित बंदियों को नीचे धकेलकर मार दिया जाता था। चोटी के पश्चिम में कुछ पुरानी गुफाएँ भी हैं।
- बर्मा (म्यांमार) के अंतिम राजा थिबॉ को अंग्रेजों ने 1885 ई. में देश निकाला देकर यहीं भेजा था तथा उसे विशेष रूप से नज़रबंद करके रखा गया था।
|
|
|
|
|