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==भील जनजाति==
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* [[सहरिया जनजाति|सहरिया]]
* कर्नल जेम्स टोड ने भीलों को वनपुत्र कहा था.
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* [[कंजर]]
* ‘भील’ शब्द की उत्पति ‘बील’ से हुई है जिसका अर्थ है ‘ कमान; है.
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* [[डामोर]]
* सबसे प्राचीन जनजाति
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* [[कथौडी]]
* बासवाडा, डूंगरपुर, उदयपुर (सर्वाधिक), चित्तौड़गढ़ जिलो में निवास करती है.
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* [[कालबेलिया जाति|कालबेलिया]]
* दूसरी सबसे बड़ी जनजाति
 
* प्रथाएँ
 
इस जनजाति के बड़े गाँव को पाल तथा छोटे गाँव को फला कहा जाता है.
 
पाल का नेता मुखिया या ग्रामपति कहलाता है.
 
  
* अटक –किसी एक हि पूर्वज से उत्पन्न गौत्रो को भील जनजाति में अटक कहते है.
 
* कू – भीलों के घरों को कू कहा जाता है.
 
* टापरा - भीलों के घरों को टापरा भी कहते है.
 
* झूमटी(दाजिया)-आदिवासियों द्वारा मैदानी भागों को जलाकर जो कृषि की जाती उसे झूमटी कहते है.
 
* चिमाता- भीलों द्वारा पहाड़ी ढालों पर की जाने वाली कृषि को चिमाता कहते है.
 
* गमेती- भीलों के गाँवो के मुखिया को गमेती कहते है.
 
* भील केसरिनाथ के चढ़ी हुई केसर का पानी पीकर कभी झूट नहीं बोलते है.
 
* ठेपाडा- भील जनजाति के लोग जो तंग धोती पहनते है.
 
* पोत्या-सफेद साफा जो सिर पर पहनते है.
 
* पिरिया- भील जाती में विवाह के अवसर पर दुल्हन जो पीले रंग का जो लहंगा पहनती है. लाल रंग की साड़ी को ‘सिंदूरी’ कहा जाता है.
 
* भराड़ी – वैवाहिक अवसर पर जिस लोक देवी का भित्ति चित्र बनाया जाता है.
 
* फाइरो -फाइररो भील जनजाति का रणघोष
 
* टोटम à भील जनजाति के लोग टोटम (कुलदेवता) की पूजा करते है.
 
ये लोग झूम कृषि भी करते है.
 
 
==मीणा जनजाति==
 
मीणा –
 
* मीणा का शाब्दिक अर्थ ‘मछली’ है. मीणा ‘मीन’ धातु से बना है.
 
* सबसे बड़ी जनजाति
 
* सबसे अधिक मीणा जयपुर(सर्वाधिक), सवाई माधोपुर, उदयपुर, आदि जिलो में निवास करती है.
 
* मीणा पुराण – रचियता –आचार्य मुनि मगन सागर
 
* लोक देवी – जीणमाता (रैवासा, सीकर)
 
* नाता प्रथा – इस प्रथा में स्त्री अपने पति, बच्चो को छोड़कर दूसरे पुरष से विवाह कर लेती है.
 
मीणा जनजाति के मुख्यत: दो वर्ग है - प्रथम वर्ग जमीदारो का है तथा द्वितीय वर्ग चौकीदारो का है .
 
मीणा जनजाति २४ खापो में विभाजित है.
 
मीणा जनजाति के बहिभाट को 'जागा' कहा जाता है.
 
मीणा जनजाति में संयुक्त परिवार प्रणाली पाई जाती है.
 
ये लोग मांसाहारी होते है.
 
इनका नेता - पटेल कहलाता है.
 
गाँव का पटेल पंच पटेल कहलाता है.
 
विवाह - राक्षस विवाह, ब्रह्मा विवाह, गांधर्व विवाह
 
ये लोग दुर्गा माता और शिवजी की पूजा करते है.
 
==गरासिया जनजाति==
 
 
गरासिया जनजाति अपने को चौहान राजपूतो का वंशज मानती है
 
ये लोग शिव दुर्गा और भैरव की पूजा करते है
 
* सिरोही, गोगुन्दा (उदयपुर), बाली(पाली), जिलो में निवास करती है.
 
* सोहरी – जिन कोठियों में गरासिया अपने अन्नाज का भंडारण करते है. उसे सोहरी कहते है.
 
* हूरें – व्यक्ति की मृत्यु होने पर स्मारक बनाते है.
 
* सहलोत – मुखिया को सहलोत कहते है.
 
* मोर बंधिया – विशेष प्रकार का विवाह जिसमे हिन्दुओ की भांति फेरे लिए जाते है.
 
* पहराबना विवाह – नाममात्र के फेरे लिए जाते है , इस विवाह में ब्राह्मण की आवश्यकता नही पडती है.
 
* ताणना विवाह – इसमें न सगाई के जाती है, न फेरे है . इस विवाह में वर पक्ष वाले कन्या पक्ष वाले को कन्या मूल्य वैवाहिक भेंट के रूप में प्रदान करता है.
 
इनमे सफेद रंग के पशुओं को पवित्र माना जाता है.
 
===साँसी जनजाति===
 
*भरतपुर जिले में निवास करती है.
 
यह एक खानाबदोश जीवन व्यतीत करने वाली जनजाति है.
 
* साँसी जनजाति की उत्पति सांसमल नामक व्यक्ति से मानी जाती है.
 
* विवाह – युवक-युवतियों के वैवाहिक संबंध उनके माता-पिता द्वारा किये जाते है. विवाह पूर्व यौन संबंध को अत्यन्त गंभीरता से लिया जाता है.
 
* सगाई – यह रस्म इनमे अनोखी होती है , जब दो खानाबदोश समूह संयोग से घूमते-घूमते एक स्थान पर मिल जाते है, तो सगाई हो जाती है.
 
* साँसी जनजाति को दो भागों में विभिक्त है à बीजा और माला .
 
इनमे होली और दिवाली के अवसर पर देवी माता के सम्मुख बकरों की बली दी जाती है.
 
ये लोग वृक्षों की पूजा करते है.
 
मांस और शराब इनका प्रिय भोजन है.
 
मांस में ये लोमड़ी और सांड का मांस पसन्द करते है.
 
==सहरिया जनजाति==
 
सहरिया –
 
* बारां जिले की किशनगंज तथा शाहाबाद तहसीलों में निवास करती है.
 
* सहराना – इनकी बस्ती को सहराना कहते है.
 
इनमे वधूमूल्य तथा बहुपत्नी प्रथा का प्रचलन है.
 
ये लोग काली माता की पूजा करते है.
 
ये दुर्गा पूजा विशेष उत्साह के साथ करते है.
 
* कोतवाल – मुखिया को कोतवाल कहते है.
 
* ये लोग स्थानांतरित खेती करते है.
 
* ये लो जंगलो से जड़ी-बूटियों को एकत्रत कर विभिन्न प्रकार की दवाएं बनाने में दक्ष होते है.
 
ये राजस्थान की एकमात्र आदिम जनजाति है.
 
* सहरिया जनजाति राज्य की सर्वाधिक पिछड़ी जनजाति होने के कारण भारत सरकार ने राज्य की केवल इसी जनजाति को आदिम जनजाति समूह की सूची में रखा गया है.
 
* सहरिया शब्द की उत्पति ‘सहर’ से हुई है जिसका अर्थ जगह होता है.
 
इस जनजाति के लोग जंगलो से कंदमूल एवं शहद एकत्रित कर अपनी जीविका चलाते है.
 
ये लोग मदिरा पान भी करते है.
 
==कंजर जनजाति==
 
* ‘कंजर’ शब्द की उत्पति ‘काननचार’/’कनकचार’ से हुई है जिसका अर्थ है ‘ जंगलो में विचरण करने वाला’.
 
* झालावाड, बारां, कोटा ओर उदयपुर जिलो में रहती है.
 
* कंजर एक अपराध प्रवृति के लिए कुख्यात है.
 
* पटेल – कंजर जनजाति के मुखिया
 
* पाती माँगना –ये अपराध करने से पूर्व इश्वर का आशीर्वाद लेते है.उसको पाती माँगना कहा जाता है.
 
* हाकम राजा का प्याला – ये हाकम राजा क प्याला पीकर  कभी झूठ नही बोलते है.
 
इन लोगो के घरों में भागने के लिए पीछे की तरफ खिडकी होती है परन्तु दरवाजे पर किवाड़ नही होते है.
 
ये लोग हनुमान और चौथ माता की पूजा करते है.
 
==डामोर==
 
*बाँसवाड़ा और डूंगरपुर जिले की सीमलवाडा पंचायत समिति में निवास करती है.
 
*मुखी – डामोर जनजाति की पंचायत का मुखिया
 
*ये लोग अंधविश्वासी होते है.
 
*ये लोग मांस और शराब के काफी शौक़ीन होते है.
 
==कथौडी==
 
*यह जनजाति बारां जिले और दक्षिणी-पश्चिम राजस्थान में निवास करते है.
 
*मुख्य व्यवसाय – खेर के वृक्षों से कत्था तैयार करना.
 
 
==कालबेलिया==
 
*मुख्य व्यवसाय – साँप पकडना है.
 
*इस जनजाति के लोग सफेरे होते है.
 
*ये साँप का खेल दिखाकर अपना पेट भरते है.
 
*राजस्थान का कालबेलिया नृत्य यूनेस्को की विरासत सूची में (पारंपरिक छाऊ नृत्य )
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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==बाहरी कड़ियाँ==
 
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==संबंधित लेख==
 
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[[Category:नया पन्ना जनवरी-2013]]
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[[Category:राजस्थान]]
 
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14:20, 30 मार्च 2015 का अवतरण

राजस्थान की प्रमुख जनजातियाँ निम्नलिखित हैं-


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