राजस्थान की जनजातियाँ

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मीणा जनजाति

मीणा –

  • मीणा का शाब्दिक अर्थ ‘मछली’ है. मीणा ‘मीन’ धातु से बना है.
  • सबसे बड़ी जनजाति
  • सबसे अधिक मीणा जयपुर(सर्वाधिक), सवाई माधोपुर, उदयपुर, आदि जिलो में निवास करती है.
  • मीणा पुराण – रचियता –आचार्य मुनि मगन सागर
  • लोक देवी – जीणमाता (रैवासा, सीकर)
  • नाता प्रथा – इस प्रथा में स्त्री अपने पति, बच्चो को छोड़कर दूसरे पुरष से विवाह कर लेती है.

मीणा जनजाति के मुख्यत: दो वर्ग है - प्रथम वर्ग जमीदारो का है तथा द्वितीय वर्ग चौकीदारो का है . मीणा जनजाति २४ खापो में विभाजित है. मीणा जनजाति के बहिभाट को 'जागा' कहा जाता है. मीणा जनजाति में संयुक्त परिवार प्रणाली पाई जाती है. ये लोग मांसाहारी होते है. इनका नेता - पटेल कहलाता है. गाँव का पटेल पंच पटेल कहलाता है. विवाह - राक्षस विवाह, ब्रह्मा विवाह, गांधर्व विवाह ये लोग दुर्गा माता और शिवजी की पूजा करते है.

गरासिया जनजाति

गरासिया जनजाति अपने को चौहान राजपूतो का वंशज मानती है ये लोग शिव दुर्गा और भैरव की पूजा करते है

  • सिरोही, गोगुन्दा (उदयपुर), बाली(पाली), जिलो में निवास करती है.
  • सोहरी – जिन कोठियों में गरासिया अपने अन्नाज का भंडारण करते है. उसे सोहरी कहते है.
  • हूरें – व्यक्ति की मृत्यु होने पर स्मारक बनाते है.
  • सहलोत – मुखिया को सहलोत कहते है.
  • मोर बंधिया – विशेष प्रकार का विवाह जिसमे हिन्दुओ की भांति फेरे लिए जाते है.
  • पहराबना विवाह – नाममात्र के फेरे लिए जाते है , इस विवाह में ब्राह्मण की आवश्यकता नही पडती है.
  • ताणना विवाह – इसमें न सगाई के जाती है, न फेरे है . इस विवाह में वर पक्ष वाले कन्या पक्ष वाले को कन्या मूल्य वैवाहिक भेंट के रूप में प्रदान करता है.

इनमे सफेद रंग के पशुओं को पवित्र माना जाता है.

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