राष्‍ट्रगान

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राष्‍ट्रगान

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पूर्ण और संक्षिप्‍त संस्‍करण

स्‍वर्गीय कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा संक्षिप्त "जन गण मन" के नाम से प्रख्‍यात शब्दों और संगीत की रचना, भारत का राष्‍ट्रगान है। इसे इस प्रकार पढ़ा जाएगा:

जन-गण-मन अधिनायक, जय हे
भारत-भाग्‍य-विधाता,
पंजाब-सिंधु गुजरात-मराठा,
द्रविड़-उत्‍कल बंग,
विन्‍ध्‍य-हिमाचल-यमुना गंगा,
उच्‍छल-जलधि-तरंग,
तव शुभ नामे जागे,
तव शुभ आशिष मांगे,
गाहे तव जय गाथा,
जन-गण-मंगल दायक जय हे
भारत-भाग्‍य-विधाता
जय हे, जय हे, जय हे
जय जय जय जय हे।


राष्‍ट्र गान की पहली और अंतिम पंक्तियों के साथ एक संक्षिप्‍त संस्‍करण भी कुछ विशिष्‍ट अवसरों पर बजाया जाता है। इसे इस प्रकार

पढ़ा जाता है:
जन-गण-मन अधिनायक, जय हे
भारत-भाग्‍य-विधाता,
जय हे, जय हे, जय हे
जय जय जय जय हे।

संक्षिप्‍त संस्‍करण को चलाने की अवधि लगभग 20 सेकंड है।

राष्‍ट्रगान का अर्थ

जन गण मन अधिनायक जय हे,
(हे भारत के जन गण और मन के नायक(जिनके हम अधीन हैं)
भारत-भाग्य-विधाता
(आप भारत के भाग्य के विधाता हैं)
पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा,
(वह भारत जो पंजाब, सिंध, गुजरात, महाराष्ट्र,)
द्वाविड़, उत्कल, बंग
(तमिलनाडु, उड़ीसा, और बंगाल जैसे प्रदेश से बना है)
विन्ध्य, हिमाचल, यमुना-गंगा,
(जहाँ विन्ध्याचल तथा हिमालय जैसे पर्वत हैं और यमुना-गंगा जैसी नदियाँ हैं)
उच्छल जलधि तरंगा
(और जिनकी तरंगे उच्छश्रृंखल होकर उठतीं हैं)
तव शुभ नामे जागे
(आपका शुभ नाम लेकर ही प्रातः उठते हैं )
तव शुभ आशिष माँगे
(और आपके आर्शीवाद की याचना करते हैं )
जन-गण-मंगलदायक जय हे,
(आप हम सभी जनों का मंगल करने वाले हैं, आपकी जय हो)
गाहे तव जयगाथा,
(सभी आपकी ही जय की गाथा गायें)
जन-गण-मंगलदायक जय हे
(हे जनों का मंगल करने वाले आपकी जय हो)
भारत भाग्य विधाता
(आप भारत के भाग्य विधाता हैं)
जय हे, जय हे, जय हे,
(आपकी जय हो, जय हो, जय हो,)
जय, जय, जय, जय हे
(जय, जय, जय, जय हो)

राष्ट्रगान की परिभाषा

ऐसी स्तुति या गान, जो राष्ट्रप्रेम की भावना अभिव्यक्त करता हो तथा शासकीय रूप से आधिकारिक राष्ट्रगान के रूप में स्वीकृत हो या जनसाधारण में लोकप्रिर हो। सबसे पुराना राष्ट्रगान ग्रेट ब्रिटेन का ‘गॉड सेव द क्वीन’ है, जिसे 1825 में राष्ट्रगान के रूप में वर्णित किया गया था, हालांकि 18वीं सदी के मध्य से ही यह देशप्रेम के गीत के रूप में लोकप्रिय रहा तथा राजसी समारोहों में गाया जाता था।

19वीं तथा 20वीं सदी के आरंभ में अधिकांश यूरोपीय देशों ने ब्रिटिन का अनुसरण किया, कुछ राष्ट्रगान ख़ास उद्देश्य से लिखे गए, जबकि अन्य को पहले से मौजूद धुनों से अपनाया गया।

राष्ट्रगानों की भावनाएं अलग होती हैं, इनमें शासकों के लिए प्रार्थना से लेकर राष्ट्रीय महत्व के युद्धों या बग़ावतों के संकेत (द स्टार-स्पेंगल्ड बैनर, संयुक्त राज्य अमेरिका, ला मार्सेलेज़ फ़्रांस) से लेकर राष्ट्रभक्ति की भावना (ओ कैनेडा) की अभिव्यक्ति होती है। संगीतात्मक गुणों की दृष्टि से राष्ट्रगान में अत्यधिक भिन्नता होती हक़ि; यह आवश्यक नहीं है कि संगीत की तरह ही पाठ या पद्य उसी राष्ट्र या देश के नागरिक द्वारा लिखा गया हो। राजनीतिक अथवा अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में परिवर्तन के कारण अक्सर पाठ परिवर्तित किया जाता है या नए राष्ट्रगान को अपना लिया जाता है। उदाहरणार्थ, भूतपूर्व सोवियत संघ ने 19वीं सदी के अंत में दो फ़्रांसीसी मज़दूरों द्वारा रचित एवं संगीतबद्ध कम्युनिस्ट इंटरनेशनल की जगह 1944 में गिम्न सोवेतस्कोगो सोयुन (सोवियत संघ की स्तृति) को राष्ट्रगान के रूप में अपनाया।

अन्य राष्ट्रों के राष्ट्रगान

कुछ ही राष्ट्रगान विख्यात कवियों या रचयिताओं द्वारा लिखे गए हैं। प्रथम ऑस्ट्रियाई राष्ट्रगान गॉड एरहाल्ते फ़्रेंज़ डेन कैसर (ईश्वर सम्राट फ़्रांसीसी की रक्षा करे) इसका विशिष्ट अपवाद है। इसकी रचना 1797 में जोज़ेफ़ हेडन ने की थी तथा बाद में (1929) पाठ को बदलकर सेई गेसनेट ओन एन्डे (हमेशा सौभाग्यशाली रहें) गाया गया। हेडन की धुन का जर्मन राष्ट्रगान ड्युश्लैंड, ड्युश्लैंड ऊबर ऐले (जर्मनी, जर्मनी सबसे ऊपर) में भी उपयोग किया गया था। जिसे 1922 में अंगीकार किया गया था। इसके तीसरे छंद ईनिकी अंड रेश अंड फ्रीही (एकता, अधिकार और स्वतंत्रता) से आरंभ करके इसका नाम बदलकर ड्यूश्लैंडलेड के नाम से जर्मनी के राष्ट्रगान के रूप में उपयोग जारी है। 1922 के पूर्व जर्मनी का राष्ट्रगान हील डिर इम सीगक्रांज़ (विजय की माला धारण करने वालों का अभिवाद) था। यह गॉड सेव द क्वीन की धुन पर गाया जाता था।

भारत का राष्‍ट्र गान अनेक अवसरों पर बजाया या गाया जाता है। राष्‍ट्र गान के सही संस्‍करण के बारे में समय समय पर अनुदेश जारी किए गए हैं, इनमें वे अवसर जिन पर इसे बजाया या गाया जाना चाहिए और इन अवसरों पर उचित गौरव का पालन करने के लिए राष्‍ट्र गान को सम्‍मान देने की आवश्‍यकता के बारे में बताया जाता है। सामान्‍य सूचना और मार्गदर्शन के लिए इस सूचना पत्र में इन अनुदेशों का सारांश निहित किया गया है।

राष्‍ट्रगान बजाना

  • राष्‍ट्रगान का पूर्ण संस्‍करण निम्‍नलिखित अवसरों पर बजाया जाएगा:
    • नागरिक और सैन्‍य अधिष्‍ठापन;
    • जब राष्‍ट्र सलामी देता है (अर्थात इसका अर्थ है राष्‍ट्रपति या संबंधित राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों के अंदर राज्‍यपाल/लेफ्टिनेंट गवर्नर को विशेष अवसरों पर राष्‍ट्र गान के साथ राष्‍ट्रीय सलामी - सलामी शस्‍त्र प्रस्‍तुत किया जाता है);
    • परेड के दौरान - चाहे उपरोक्‍त (ii) में संदर्भित विशिष्‍ट अतिथि उपस्थित हों या नहीं;
    • औपचारिक राज्‍य कार्यक्रमों और सरकार द्वारा आयोजित अन्‍य कार्यक्रमों में राष्‍ट्रपति के आगमन पर और सामूहिक कार्यक्रमों में तथा इन कार्यक्रमों से उनके वापस जाने के अवसर पर ;
    • ऑल इंडिया रेडियो पर राष्‍ट्रपति के राष्‍ट्र को संबोधन से तत्‍काल पूर्व और उसके पश्‍चात;
    • राज्‍यपाल/लेफ्टिनेंट गवर्नर के उनके राज्‍य/संघ राज्‍य के अंदर औपचारिक राज्‍य कार्यक्रमों में आगमन पर तथा इन कार्यक्रमों से उनके वापस जाने के समय;
    • जब राष्‍ट्रीय ध्‍वज को परेड में लाया जाए;
    • जब रेजीमेंट के रंग प्रस्‍तुत किए जाते हैं;
    • नौ सेना के रंगों को फहराने के लिए।
  • राष्‍ट्र गान का संक्षिप्‍त संस्‍करण मेस में सलामती की शुभकामना देते समय बजाया जाएगा।
  • राष्‍ट्र गान उन अन्‍य अवसरों पर बजाया जाएगा जिनके लिए भारत सरकार द्वारा विशेष आदेश जारी किए गए हैं।
  • आम तौर पर राष्‍ट्र गान प्रधानमंत्री के लिए नहीं बजाया जाएगा जबकि ऐसा विशेष अवसर हो सकते हैं जब इसे बजाया जाए।
  • जब राष्‍ट्र गान एक बैंड द्वारा बजाया जाता है तो राष्‍ट्र गान के पहले श्रोताओं की सहायता हेतु ड्रमों का एक क्रम बजाया जाएगा ताकि वे जान सकें कि अब राष्‍ट्र गान आरंभ होने वाला है। अन्‍यथा इसके कुछ विशेष संकेत होने चाहिए कि अब राष्‍ट्र गान को बजाना आरंभ होने वाला है। उदाहरण के लिए जब राष्‍ट्र गान बजाने से पहले एक विशेष प्रकार की धूमधाम की ध्‍वनि निकाली जाए या जब राष्‍ट्र गान के साथ सलामती की शुभकामनाएं भेजी जाएं या जब राष्‍ट्र गान गार्ड ऑफ ओनर द्वारा दी जाने वाली राष्‍ट्रीय सलामी का भाग हो। मार्चिंग ड्रिल के संदर्भ में रोल की अवधि धीमे मार्च में सात कदम होगी। यह रोल धीरे से आरंभ होगा, ध्‍वनि के तेज स्‍तर तक जितना अधिक संभव हो ऊंचा उठेगा और तब धीरे से मूल कोमलता तक कम हो जाएगा, किन्‍तु सातवीं बीट तक सुनाई देने योग्‍य बना रहेगा। तब राष्‍ट्र गान आरंभ करने से पहले एक बीट का विश्राम लिया जाएगा।

सामूहिक गान

राष्‍ट्र गान को सामूहिक रूप से गाना

  • राष्‍ट्रगान का पूर्ण संस्‍करण निम्‍नलिखित अवसरों पर सामूहिक गान के साथ बजाया जाएगा:
    • राष्‍ट्रीय ध्‍वज को फहराने के अवसर पर, सांस्‍कृतिक अवसरों पर या परेड के अलावा अन्‍य समारोह पूर्ण कार्यक्रमों में (इसकी व्‍यवस्‍था एक कॉयर या पर्याप्‍त आकार के, उपयुक्‍त रूप से स्‍थापित तरीके से की जा सकती है, जिसे बैंड आदि के साथ इसके गाने का समन्‍वय करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। इसमें पर्याप्‍त सार्वजनिक श्रव्‍य प्रणाली होगी ताकि कॉयर के साथ मिलकर विभिन्‍न अवसरों पर जनसमूह गा सके);
    • सरकारी या सार्वजनिक कार्यक्रम में राष्‍ट्रपति के आगमन के अवसर पर (परंतु औपचारिक राज्‍य कार्यक्रमों और सामूहिक कार्यक्रमों के अलावा) और इन कार्यक्रमों से उनके विदा होने के तत्‍काल पहले।
    • राष्‍ट्र गान को गाने के सभी अवसरों पर सामूहिक गान के साथ इसके पूर्ण संस्‍करण का उच्‍चारण किया जाएगा।
    • राष्‍ट्र गान उन अवसरों पर गाया जाए, जो पूरी तरह से समारोह के रूप में न हो, तथापि इनका कुछ महत्‍व हो, जिसमें मंत्रियों आदि की उपस्थिति शामिल है। इन अवसरों पर राष्‍ट्र गान को गाने के साथ (संगीत वाद्यों के साथ या इनके बिना) सामूहिक रूप से गायन वांछित होता है।
    • यह संभव नहीं है कि अवसरों की कोई एक सूची दी जाए, जिन अवसरों पर राष्‍ट्र गान को गाना (बजाने से अलग) गाने की अनुमति दी जा सकती है। परन्‍तु सामूहिक गान के साथ राष्‍ट्र गान को गाने पर तब तक कोई आपत्ति नहीं है जब तक इसे मातृ भूमि को सलामी देते हुए आदर के साथ गाया जाए और इसकी उचित ग‍रिमा को बनाए रखा जाए।
    • विद्यालयों में, दिन के कार्यों में राष्‍ट्र गान को सामूहिक रूप से गा कर आरंभ किया जा सकता है। विद्यालय के प्राधिकारियों को राष्‍ट्र गान के गायन को लोकप्रिय बनाने के लिए अपने कार्यक्रमों में पर्याप्‍त प्रावधान करने चाहिए तथा उन्‍हें छात्रों के बीच राष्‍ट्रीय ध्‍वज के प्रति सम्‍मान की भावना को प्रोत्‍साहन देना चाहिए।

सामान्‍य

  • जब राष्‍ट्र गान गाया या बजाया जाता है तो श्रोताओं को सावधान की मुद्रा में खड़े रहना चाहिए। यद्यपि जब किसी चल चित्र के भाग के रूप में राष्‍ट्र गान को किसी समाचार की गतिविधि या संक्षिप्‍त चलचित्र के दौरान बजाया जाए तो श्रोताओं से अपेक्षित नहीं है कि वे खड़े हो जाएं, क्‍योंकि उनके खड़े होने से फिल्‍म के प्रदर्शन में बाधा आएगी और एक असंतुलन और भ्रम पैदा होगा तथा राष्‍ट्र गान की गरिमा में वृद्धि नहीं होगी।
  • जैसा कि राष्‍ट्र ध्‍वज को फहराने के मामले में होता है, यह लोगों की अच्‍छी भावना के लिए छोड दिया गया है कि वे राष्‍ट्र गान को गाते या बजाते समय किसी अनुचित गतिविधि में संलग्‍न नहीं हों।