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लघु उद्योग दिवस

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लघु उद्योग दिवस
लघु उद्योग दिवस
विवरण 'लघु उद्योग दिवस' प्रत्येक वर्ष '30 अगस्त' को मनाया जाता है। लोगों में लघु उद्योगों के प्रति जागरुकता जगाने के लिए यह दिवस महत्त्वपूर्ण है।
तिथि 30 अगस्त
उद्देश्य लघु उद्योगों को बढ़ावा देना तथा रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराना।
संबंधित लेख भारत के उद्योग, लघु उद्योग, कुटीर उद्योग
अन्य जानकारी लघु उद्योग एवं कुटीर उद्योग का भारतीय अर्थव्यवस्था में अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। प्राचीन काल से ही भारत के लघु व कुटीर उद्योगों में उत्तम गुणवत्ता वाली वस्तुओं का उत्पादन होता रहा है।

लघु उद्योग दिवस (अंग्रेज़ी: Small Industry Day) प्रत्येक वर्ष '30 अगस्त' को मनाया जाता है।[1] यह दिवस लघु उद्योगों को बढ़ावा देने और बेरोज़गारों को रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से मनाया जाता है। भारत जैसे विकासशील देश में आर्थिक विकास के लिए लघु उद्योगों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। भारत के समग्र आर्थिक विकास में कार्यनीति महत्त्व को ध्‍यान में रखते हुए लघु उद्योग क्षेत्र के विकास के लिए आवश्‍यकता पर विशेष बल दिया गया है। तदनुसार लघु उद्योगों के लिए सरकार से नीति समर्थन की प्रवृत्ति लघु उद्यम वर्ग के विकास हेतु सहायक और अनुकूल रही है।

परिभाषा

सरकार ने समय-समय पर लघु तथा कुटीर उद्योगों की परिभाषा की है। लघु उद्योग वे उद्योग हैं, जो छोटे पैमाने पर किये जाते हैं तथा सामान्य रूप से मज़दूरों व श्रमिकों की सहायता से मुख्य धन्धे के रूप में चलाए जाते हैं। वे उद्योग जिनमें 10 से 50 लोग मज़दूरी के बदले में काम करते हों, लघु उद्योग के अंतर्गत आते हैं। लघु उद्योग एक औद्योगिक उपक्रम हैं, जिसमें निवेश संयंत्र एवं मशीनरी में नियत परिसं‍पत्ति होती है। यह निवेश सीमा सरकार द्वारा समय-समय पर बदलता रहता है। लघु उद्योग में माल बाहर से मंगाया जाता है और तकनीकी कुशलता को भी बाहर से प्राप्त किया जा सकता है।

लघु उद्योग

लघु उद्योग इकाई ऐसा औद्योगिक उपक्रम है, जहाँ संयंत्र एवं मशीनरी में निवेश 1 करोड़ रुपये से अधिक न हो, किन्तु कुछ मद, जैसे- हौजरी, हस्त-औजार, दवाइयों व औषधि, लेखन सामग्री मदें और खेलकूद का सामान आदि में निवेश की सीमा 5 करोड़ रुपये तक थी। लघु उद्योग श्रेणी को नया नाम लघु उद्यम दिया गया है।

मझौले उद्यम

ऐसी इकाई, जहाँ संयंत्र और मशीनरी में निवेश लघु उद्योग की सीमा से अधिक किंतु 10 करोड़ रुपये तक हो, मझौला उद्यम कहा जाता है।

भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान

लघु उद्योग एवं कुटीर उद्योग का भारतीय अर्थव्यवस्था में अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। प्राचीन काल से ही भारत के लघु व कुटीर उद्योगों में उत्तम गुणवत्ता वाली वस्तुओं का उत्पादन होता रहा है। यद्यपि ब्रिटिश शासन में अन्य भारतीय उद्योगों के समान इस क्षेत्र का भी भारी ह्रास हुआ, परंतु स्वतंत्रता के पश्चात इसका अत्यधिक तीव्र गति से विकास हुआ है।

लघु उद्योग मंत्रालय

'लघु उद्योग मंत्रालय' भारत में लघु उद्योगों की वृद्धि और विकास के लिए नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है। लघु उद्योगों का संवर्धन करने के लिए मंत्रालय नीतियाँ बनाता है और उन्‍हें क्रियान्वित करता है व उनकी प्रतिस्‍पर्धा बढ़ाता है। इसकी सहायता विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम करते हैं, जैसे-

  • 'लघु उद्योग विकास संगठन' (एसआईडीओ) अपनी नीति का निर्माण करने और कार्यान्‍वयन का पर्यवेक्षण करने, कार्यक्रम, परियोजना, योजनाएँ बनाने में सरकार को सहायता करने वाला शीर्ष निकाय है।
  • 'राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम लिमिटेड' (एनएसआईसी) की स्‍थापना 'भारत सरकार' द्वारा देश में लघु उद्योगों का संवर्धन, सहायता और पोषण करने की दृष्टि से की गई थी, जिसका संकेन्‍द्रण उनके कार्यों के वाणिज्यिक पहलुओं पर था।
  • मंत्रालय ने तीन राष्‍ट्रीय उद्यम विकास संस्‍थानों की स्‍थापना की है, जो प्रशिक्षण केन्द्र, उपक्रम अनुसंधान और लघु उद्योग के क्षेत्र में उद्यम विकास के लिए प्रशिक्षण और परामर्श सेवाएं में लगे हुए हैं। ये इस प्रकार हैं-
  1. हैदराबाद में 'राष्‍ट्रीय लघु उद्योग विस्‍तार प्रशिक्षण संस्‍थान' (एनआईएसआईईटी)
  2. नोएडा में 'राष्‍ट्रीय उद्यम एवं लघु व्यवसाय विकास संस्‍थान' (एनआईईएसबीयूडी)
  3. गुवाहाटी में 'भारतीय उद्यम संस्‍थान' (आईआईई)


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. Important Days of the Year (हिन्दी) GELI questionpapers। अभिगमन तिथि: 21 अगस्त, 2015।

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