लाला भगवानदीन
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लाला भगवानदीन (जन्म- सन 1866, फ़तेहपुर, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 1930) प्रसिद्ध साहित्य सेवी और हिन्दी के विद्वान थे। इन्होंने हिन्दी शब्दसागर के निर्माण में बहुमूल्य योगदान दिया था।[1]
- लाला भगवानदीन का जन्म बरबट गाँव, फ़तेहपुर (उत्तर प्रदेश) में सन 1866 में हुआ था।
- वर्ष 1907 में भगवानदीन उर्दू के शिक्षक नियुक्त हुए थे।
- ये छन्दशास्त्र के ज्ञाता थे। काशी (वर्तमान बनारस) मुख्य रूप से इनकी कर्मस्थली रही थी।
- डॉ. श्यामसुन्दर दास तथा आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के ये प्रमुख सहयोगी रहे थे।
- लाला भगवानदीन गया से प्रकाशित होने वाली पत्रिका के सम्पादक भी रहे।
- धर्म और विज्ञान, वीर प्रताप, वीर बालक इनकी प्रारम्भिक रचनाएँ थीं। 'रामचन्द्रिका', 'कविप्रिया', 'रसिकप्रिया, कवितावली', 'बिहारी सतसई' की प्रामाणिक टीकाएँ भी इन्होंने लिखीं।
- ‘अलंकार मंजूषा’, 'व्यंगार्थ मंजूषा’ हिन्दी काव्यशास्त्र की महत्वपूर्ण पुस्तक रही।
- ‘नवीन बीन’ तथा ‘नदी में दीन’ लाला भगवानदीन के काव्य रचना संग्रह है। ‘वीर पंचरत्न’ वीरतापूर्ण काव्य संग्रह है।
- वर्ष 1930 में लाला भगवानदीन स्वर्ग गमन कर गये।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ काशी के साहित्यकार (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 11 जनवरी, 2014।
बाहरी कड़ियाँ
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