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वसुंधरा राजे ने [[8 फ़रवरी]], [[2013]] को दूसरी बार राजस्थान भाजपा की प्रदेशाध्यक्ष का कार्यभार संभाला। आपने 'सुराज संकल्प यात्रा' के माध्यम से पूरे प्रदेश में लगभग 14 हज़ार किलोमीटर की यात्रा कर जनता से सीधा संवाद स्थापित किया तथा उनकी कठिनाइयों और समस्याओं के बारे में जानकारी हासिल की। वे 14वीं राजस्थान विधानसभा के लिए झालावाड़ के झालरापाटन क्षेत्र से फिर निर्वाचित हुई हैं।
 
वसुंधरा राजे ने [[8 फ़रवरी]], [[2013]] को दूसरी बार राजस्थान भाजपा की प्रदेशाध्यक्ष का कार्यभार संभाला। आपने 'सुराज संकल्प यात्रा' के माध्यम से पूरे प्रदेश में लगभग 14 हज़ार किलोमीटर की यात्रा कर जनता से सीधा संवाद स्थापित किया तथा उनकी कठिनाइयों और समस्याओं के बारे में जानकारी हासिल की। वे 14वीं राजस्थान विधानसभा के लिए झालावाड़ के झालरापाटन क्षेत्र से फिर निर्वाचित हुई हैं।
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*देश जब 62वाँ स्‍वाधीनता पर्व मना रहा था उस दौरान हमारे देश में लोकतंत्र की ऊँचाई एक बार फिर दिखी। ये प्रजातंत्र का ही करिश्‍मा है कि राजस्‍थान में सर्वोच्‍च पद पर आसीन रहीं वसुन्‍धरा राजे को आख़िरकार नेता प्रतिपक्ष से इस्‍तीफ़ा देने के लिये तैयार होना पड़ा।<ref>{{cite web |url=http://voiceofmp.com/sampadak.php?id=136  |title=राजे एपीसोड |accessmonthday=[[30 सितंबर]] |accessyear=[[2010]] |authorlink= |format= |publisher=वॉइस ऑफ़ एम पी डॉट कॉम |language=[[हिन्दी]] }}</ref> लेकिन इस्तीफ़ा देने वाली ये वसुंधरा पाँच साल पहले वाली केंद्र से थोपी गयीं वसुंधरा नहीं थीं। अब वसुंधरा राजे के साथ विधायकों का बहुमत था और आलाकमान की तमाम कोशिशों के बावज़ूद विधायक उनके साथ बने रहे। यानी ये कहा जा सकता है कि वसुंधरा अब एक कद्दावर नेता बन चुकी थीं और पार्टी के लिये उनसे पार पाना इतना आसान नहीं था। वसुंधरा चाहतीं तो पार्टी से बगावत करके अलग दल बनाने का हसीन ख्वाब देख सकती थीं<ref>{{cite web |url=http://khabar.ibnlive.in.com/blogs/16/321.html  |title=वसुंधरा राजे सिंधिया |accessmonthday=[[30 सितंबर]] |accessyear=[[2010]] |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=आई बी एन ख़बर|language=[[हिन्दी]] }}</ref>
 
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वसुन्धरा राजे [[9 दिसम्बर]], [[2013]] को सर्व सम्मति से [[भारतीय जनता पार्टी]] विधायक दल की नेता निर्वाचित हुईं। उन्होंने [[13 दिसम्बर]], 2013 को [[मुख्यमंत्री]] के रूप में राज्य शासन की दूसरी बार बागडोर संभाली है। श्रीमती राजे की परिकल्पना है कि राजस्थान समग्र रूप से विकसित एवं आधुनिक प्रदेश बने तथा देश में विकास की दृष्टि से प्रथम पंक्ति में अपना स्थान बनाए। उनका लक्ष्य राजस्थान का नव-निर्माण कर हर चेहरे पर मुस्कान लाना है। निःशक्त, निर्बल एवं निर्धन वर्गों को संबल प्रदान करना उनकी प्राथमिकता है।
 
==अभिरुचि==
 
==अभिरुचि==
श्रीमती वसुंधरा राजे की अध्ययन-मनन, [[संगीत]], घुड़सवारी तथा बाग़वानी में विशेष अभिरुचि है। आपने अब तक जनहित के उद्देश्य से इंग्लैण्ड, [[जापान]], [[चीन]], [[बांग्लादेश]], [[मिस्र]], मोरको, [[श्रीलंका]], दक्षिण कोरिया आदि देशों की यात्राएं की हैं। उनको [[वर्ष]] [[2007]] में [[संयुक्त राष्ट्र]] द्वारा महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए किये गये उल्लेखनीय कार्यों एवं प्रयासों के लिए “विमन टूगेदर अवार्ड” प्रदान किया गया।
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श्रीमती वसुंधरा राजे की अध्ययन-मनन, [[संगीत]], घुड़सवारी तथा बाग़वानी में विशेष अभिरुचि है। आपने अब तक जनहित के उद्देश्य से इंग्लैण्ड, [[जापान]], [[चीन]], [[बांग्लादेश]], [[मिस्र]], मोरको, [[श्रीलंका]], दक्षिण कोरिया आदि देशों की यात्राएं की हैं। उनको [[वर्ष]] [[2007]] में [[संयुक्त राष्ट्र]] द्वारा महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए किये गये उल्लेखनीय कार्यों एवं प्रयासों के लिए “विमन टूगेदर अवार्ड” प्रदान किया गया।  
==इस्‍तीफ़ा==
 
देश जब 62 वॉ स्‍वाधीनता पर्व मना रहा था उस दौरान हमारे देश में लोकतंत्र की ऊँचाई एक बार फिर दिखी। ये प्रजातंत्र का ही करिश्‍मा है कि राजस्‍थान में सर्वोच्‍च पद पर आसीन रही वसुन्‍धरा राजे को आख़िरकार नेता प्रतिपक्ष से इस्‍तीफ़ा देने के लिये तैयार होना पड़ा।<ref>{{cite web |url=http://voiceofmp.com/sampadak.php?id=136  |title=राजे एपीसोड |accessmonthday=[[30 सितंबर]] |accessyear=[[2010]] |authorlink= |format= |publisher=वॉइस ऑफ़ एम पी डॉट कॉम |language=[[हिन्दी]] }}</ref> लेकिन इस्तीफ़ा देने वाली ये वसुंधरा पाँच साल पहले वाली केंद्र से थोपी गयीं वसुंधरा नहीं थीं। अब वसुंधरा राजे के साथ विधायकों का बहुमत था और आलाकमान की तमाम कोशिशों के बावज़ूद विधायक उनके साथ बने रहे। यानी ये कहा जा सकता है कि वसुंधरा अब एक कद्दावर नेता बन चुकी थीं और पार्टी के लिये उनसे पार पाना इतना आसान नहीं था। वसुंधरा चाहतीं तो पार्टी से बगावत करके अलग दल बनाने का हसीन ख्वाब देख सकती थीं<ref>{{cite web |url=http://khabar.ibnlive.in.com/blogs/16/321.html  |title=वसुंधरा राजे सिंधिया |accessmonthday=[[30 सितंबर]] |accessyear=[[2010]] |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=आई बी एन ख़बर|language=[[हिन्दी]] }}</ref>
 
==स्वशाक्तीकरण के प्रयास==
 
2007 में यूएनओ द्वारा वसुंधरा को महिला के लिये स्वशाक्तीकरण के प्रयासों के लिये 'विमन टूगेदर अवार्ड' दिया गया। कुछ भी हो, वसुंधरा राजे ने हमेशा अपनी क़ाबिलियत का लोहा मनवाया और आगे बढ़ते हुए राजनीतिक विजय के झंडे गाड़े।<ref name="अपने विचार" />
 
  
 
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11:55, 27 फ़रवरी 2015 का अवतरण

वसुंधरा राजे सिंधिया
Vasundhara-Raje-Scindia.jpg
पूरा नाम वसुंधरा राजे सिंधिया
अन्य नाम वसुंधरा राजे
जन्म 8 मार्च, 1953 ई.
जन्म भूमि मुंबई
पति/पत्नी महाराजा हेमंतसिंह
संतान युवराज दुष्यंत सिंह
नागरिकता भारतीय
पार्टी भारतीय जनता पार्टी
पद राजस्थान की मुख्यमंत्री
कार्य काल 8 दिसंबर, 2003 से 11 दिसंबर, 2008 तक तथा 13 दिसंबर, 2013 से अब तक
शिक्षा स्नातक
विद्यालय प्रेजेंटेशन कॉन्वेंट स्कूल, सोफिया महाविद्यालय, मुंबई यूनिवर्सिटी
अन्य जानकारी वसुंधरा राजे सिंधिया राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री हैं।
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वसुंधरा राजे सिंधिया (जन्म- 8 मार्च, 1953, मुंबई, महाराष्ट्र) वर्ष 2013 से राजस्थान की मुख्यमंत्री हैं। राजनीति उन्हें विरासत में मिली है। इससे पूर्व वे 2003 से 2008 तक राजस्थान की 22वीं मुख्यमंत्री रही थीं। इस समय वसुंधरा राजे सिंधिया राजस्थान की 24वीं मुख्यमंत्री हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि वे राजस्थान की प्रथम महिला मुख्यमंत्री के रूप में जानी जाती हैं।

जन्म

वसुंधरा राजे सिंधिया का जन्म 8 मार्च, 1953 ई. को मुंबई में हुआ था। वसुंधरा राजे ग्वालियर के शासक जीवाजी राव सिंधिया और उनकी पत्नी राजमाता विजया राजे सिंधिया की चौथी संतान हैं।

शिक्षा

वसुंधरा राजे ने प्रेजेंटेशन कॉन्वेंट स्कूल, से प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करने के बाद सोफिया महाविद्यालय, मुंबई यूनिवर्सिटी से इकॉनॉमिक्स और साइंस आनर्स से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की है। वसुंधरा राजे की शादी धौलपुर राजघराने के महाराजा हेमंतसिंह के साथ हुई थी। वसुंधरा राजे तब से ही राजस्थान से जुड़ गईं थी। वसुंधरा राजे अध्ययन, संगीत, घुड़सवारी, फ़ोटोग्राफ़ी और बागबानी की शौक़ीन हैं। विभिन्न प्रकार की महँगी साड़ियाँ पहनना और उच्च रहन-सहन वसुंधरा राजे का शौक़ है। यह रूतबा देख कर राजस्थान की जनता ही नहीं, पक्षविपक्ष के नेता विधानसभा तक में उन्हें महारानी ही कहते थे।[1]

विवाह

वसुंधरा राजे सिंधिया का विवाह 17 नवम्बर, 1972 को धौलपुर, राजस्थान के पूर्व महाराजा हेमन्त सिंह के साथ हुआ। तभी से श्रीमती राजे का राजस्थान से संबंध है, जो समय के साथ और व्यापक एवं प्रगाढ़ होता जा रहा है। आप एक पुत्र की माता है।

गुण तथा संस्कार

वसुंधरा राजे सिंधिया को अपनी माता विजया राजे सिन्धिया से समाज सेवा तथा राजनीतिक चेतना के संस्कार मिले। आप बाल्यावस्था से ही जन कल्याणकारी कार्यों में सक्रिय योगदान देती रही हैं। जनसेवा और राजनीति के माहौल में पली-बढ़ी श्रीमती राजे में परमार्थ सेवा के गुण स्वतः ही विकसित होते गए।

राजनीतिक शुरुआत

वसुंधरा राजे को सन् 1984 में भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किया गया था। वसुंधरा राजे की कार्यक्षमता, विनम्रता और पार्टी के प्रति वफ़ादारी के चलते 1998-1999 में अटलबिहारी वाजपेयी मंत्रीमंडल में वसुंधरा को विदेश राज्य मंत्री बनाया गया। वसुंधरा राजे को अक्टूबर, 1999 में फिर केंद्रीय मंत्रीमंडल में राज्यमंत्री के तौर पर स्माल इंडस्ट्रीज, कार्मिक एंड ट्रेनिंग, पेंशन व पेंशनर्स कल्याण, न्यूक्लियर एनर्जी विभाग एवं स्पेस विभाग का स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया।

  • वसुंधरा ने देश की राजनीति में अपनी क़ाबलियत से एक पहचान क़ायम कर ली। इसी बीच राजस्थान में भैरों सिंह शेखावत के उपराष्ट्रपति बनने से प्रदेश में किसी दमदार नेता का अभाव खटकने लगा। वसुंधरा के पुराने बैकग्राउंड को देखते हुए केंद्रीय पार्टी ने उन को राज्य इकाई का अध्यक्ष बना कर भेज दिया।
  • वसुन्धरा राजे 12 सितम्बर, 2002 से 7 दिसम्बर, 2003 तक राजस्थान भाजपा की प्रदेशाध्यक्ष रहीं। इस दौरान श्रीमती राजे ने परिवर्तन यात्रा के माध्यम से पूरे प्रदेश की सघन यात्रा की और विकास बाधाओं और जनसमस्याओं को निकटता से देखा-समझा। आप 12वीं राजस्थान विधानसभा के लिए झालावाड़ के झालरापाटन क्षेत्र से निर्वाचित हुईं।
  • वसुंधरा राजे ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिये 2007-2008 के बजट में शिक्षा, रोज़गार, बालविवाह प्रथा पर रोक जैसे पाँच सूत्री कार्यक्रम बनाए थे।[1]

राजस्थान की मुख्यमंत्री

वसुंधरा राजे ने चुनावों के मद्देनज़र प्रदेश भर में परिवर्तन यात्रा निकाली। वसुंधरा राजे इस यात्रा के ज़रिये वे आम जनता से मिलती थीं। ख़ासतौर से वसुंधरा राजे महिलाओं को लुभाने के लिये जिस इलाके में जातीं उसी इलाके की वेशभूषा पहन कर जाती थीं। नतीजा यह हुआ कि विधानसभा चुनावों में वसुंधरा राजे भारी बहुमत के बल पर पार्टी को सत्ता में ले आईं। वे 1 दिसंबर, 2003 में राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। श्रीमती वसुन्धरा राजे को 8 दिसम्बर, 2003 से 10 दिसम्बर, 2008 तक राजस्थान की प्रथम महिला मुख्यमंत्री के बतौर कार्य करने का गौरव मिला। इस दौरान आपने राजस्थान के समग्र विकास तथा विकास से वंचित लोगों के उत्थान के कार्यों को सर्वाधिक महत्त्व दिया। उनके इस कार्यकाल के दौरान 'अक्षय कलेवा', 'मिड-डे-मील योजना', 'पन्नाधाय', 'भामाशाह योजना' एवं 'हाडी रानी बटालियन' तथा 'महिला सशक्तीकरण' जैसे कार्य उल्लेखनीय हैं। आप 13वीं राजस्थान विधान सभा के लिए झालावाड़ के झालरापाटन क्षेत्र से पुनः निर्वाचित हुईं। 2 जनवरी, 2009 से 25 फ़रवरी, 2010 तक वे राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहीं।

भाजपा की प्रदेशाध्यक्ष

वसुंधरा राजे ने 8 फ़रवरी, 2013 को दूसरी बार राजस्थान भाजपा की प्रदेशाध्यक्ष का कार्यभार संभाला। आपने 'सुराज संकल्प यात्रा' के माध्यम से पूरे प्रदेश में लगभग 14 हज़ार किलोमीटर की यात्रा कर जनता से सीधा संवाद स्थापित किया तथा उनकी कठिनाइयों और समस्याओं के बारे में जानकारी हासिल की। वे 14वीं राजस्थान विधानसभा के लिए झालावाड़ के झालरापाटन क्षेत्र से फिर निर्वाचित हुई हैं।

  • देश जब 62वाँ स्‍वाधीनता पर्व मना रहा था उस दौरान हमारे देश में लोकतंत्र की ऊँचाई एक बार फिर दिखी। ये प्रजातंत्र का ही करिश्‍मा है कि राजस्‍थान में सर्वोच्‍च पद पर आसीन रहीं वसुन्‍धरा राजे को आख़िरकार नेता प्रतिपक्ष से इस्‍तीफ़ा देने के लिये तैयार होना पड़ा।[2] लेकिन इस्तीफ़ा देने वाली ये वसुंधरा पाँच साल पहले वाली केंद्र से थोपी गयीं वसुंधरा नहीं थीं। अब वसुंधरा राजे के साथ विधायकों का बहुमत था और आलाकमान की तमाम कोशिशों के बावज़ूद विधायक उनके साथ बने रहे। यानी ये कहा जा सकता है कि वसुंधरा अब एक कद्दावर नेता बन चुकी थीं और पार्टी के लिये उनसे पार पाना इतना आसान नहीं था। वसुंधरा चाहतीं तो पार्टी से बगावत करके अलग दल बनाने का हसीन ख्वाब देख सकती थीं[3]

पुन: मुख्यमंत्री

वसुन्धरा राजे 9 दिसम्बर, 2013 को सर्व सम्मति से भारतीय जनता पार्टी विधायक दल की नेता निर्वाचित हुईं। उन्होंने 13 दिसम्बर, 2013 को मुख्यमंत्री के रूप में राज्य शासन की दूसरी बार बागडोर संभाली है। श्रीमती राजे की परिकल्पना है कि राजस्थान समग्र रूप से विकसित एवं आधुनिक प्रदेश बने तथा देश में विकास की दृष्टि से प्रथम पंक्ति में अपना स्थान बनाए। उनका लक्ष्य राजस्थान का नव-निर्माण कर हर चेहरे पर मुस्कान लाना है। निःशक्त, निर्बल एवं निर्धन वर्गों को संबल प्रदान करना उनकी प्राथमिकता है।

अभिरुचि

श्रीमती वसुंधरा राजे की अध्ययन-मनन, संगीत, घुड़सवारी तथा बाग़वानी में विशेष अभिरुचि है। आपने अब तक जनहित के उद्देश्य से इंग्लैण्ड, जापान, चीन, बांग्लादेश, मिस्र, मोरको, श्रीलंका, दक्षिण कोरिया आदि देशों की यात्राएं की हैं। उनको वर्ष 2007 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए किये गये उल्लेखनीय कार्यों एवं प्रयासों के लिए “विमन टूगेदर अवार्ड” प्रदान किया गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 वसुंधरा राजे सिंधिया (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) अपने विचार। अभिगमन तिथि: 30 सितंबर, 2010
  2. राजे एपीसोड (हिन्दी) वॉइस ऑफ़ एम पी डॉट कॉम। अभिगमन तिथि: 30 सितंबर, 2010
  3. वसुंधरा राजे सिंधिया (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) आई बी एन ख़बर। अभिगमन तिथि: 30 सितंबर, 2010

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