विटामिन

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विटामिन (अंग्रेज़ी:Vitamin) जटिल कार्बनिक पदार्थ होते हैं तथा शरीर की उपापचयी क्रियाओं में भाग लेते हैं। इन्हें वृद्धिकारक भी कहते हैं। इनकी कमी से अपूर्णता रोग हो जाते हैं। ये कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन तथा गन्धक आदि तत्वों से बने सक्रिय एवं जटिल कार्बनिक यौगिक हैं। ये अल्पांश में हमारे शरीर को स्वस्थ एवं निरोग रखने के लिए आवश्यक होते हैं। इनकी कमी से अनेक रोग हो जाते हैं। इन्हें दो वर्गों में विभक्त किया जाता है-

  1. जल में घुलनशील विटामिन, जैसे- विटामिन 'B', 'C'।
  2. वसा में घुलनशील विटामिन, जैसे- विटामिन 'A', 'D', 'K' आदि।

खोज

विटामिन की खोज एफ.जी. हाफकिन्स ने की थी, परन्तु इसे विटामिन का नाम फुन्क महोदय ने दिया। विटामिन कार्बनिक यौगिक है, जो शरीर के विकास एवं रोगों से रक्षा के लिए आवश्यक है। ये ऊतकों में एन्जाइम का निर्माण करते है। विटामिन "डी" हमारे शरीर में स्वतः बनता है जबकि विटामिन "के" आंत्र में उपस्थित ‘कोलोन’ नामक वैक्टीरिया बनाता है।

विटामिन की कमी से होने वाले मुख्य रोग
  1. विटामिन 'A' की कमी से—रेटीनाल व जीरोफ्थैल्मिया।
  2. विटामिन 'B' की कमी से—बेरी–बेरी, रक्ताल्पता आदि।
  3. विटामिन 'C' की कमी से—स्कर्वी।
  4. विटामिन 'D' की कमी से—रिकेट्स व आटोमैलेशिया।
  5. विटामिन 'E' की कमी से—प्रजनन शक्ति का कम हो जाना।
  6. विटामिन 'K' की कमी से—रुधिर का थक्का देर से जमना।
विटामिन, उनके स्रोत, कार्य एवं प्रभावों की संक्षिप्त सारिणी
क्रम नाम स्रोत कायिकों पर प्रभाव कमी या प्रभाव
वसा में घुलनशील
1 A-रटिनाल दूध, मक्खन, अण्डा, जिगर, मछली का तेल। नेत्र की रोड्स में राडाप्सिन का संश्लेषण एपिथिलियम स्तर में वृद्धि। रंतौधी।
2 D-अगाकल्सोफराल कालोकल्सोफराल मक्खन, जिगर, मछली का तेल, गेंहू, अण्डा में। कैल्शियमफॉस्फोरस का उपापचय, हड्डियाँ और दाँतों की वृद्धि। सूखा रोग, तथा आस्टियामलसिया
3 E-टाकाफरोल हरी पत्तियाँ, गेहूँ, अण्डे की जर्दी। जननिक एपिथीलियम की वृद्धि, पेशियों की क्रियाशीलता। जनन क्षमता की कमी, पेशियाँ कमज़ोर।
4 K-नफ्थनक्विनान हरी पत्तियाँ, पनीर, अण्डा, जिगर, टमाटर जिगर में पाथांम्बिन का निर्माण। रक्त का थक्का नहीं जमता।
जल में घुलनशील
(i) विटामिन बी कॉम्पलैक्स
1 B-1 थायमीन अनाज, फलियाँ, यीस्ट, अण्ड, माँस, कार्बोहाइड्रेट एवं वसा उपापचय के लिए ज़रूरी बेरी–बेरी
2 B-2(G) राइबोफ्लेविन पनीर, अण्डा, यीस्ट, हरी पत्तियाँ, गेहूँ, जिगर, माँस। उपापचय व महत्त्वपूर्ण, F AD का घटक। कोलासिस, ग्लासाइटिस तथा साबारिक डमटाइसिस।
3 B-3 पन्टाथोनिक अम्ल यीस्ट, अण्ड, जिगर, माँस, दूध, टमाटर, मूँगफली, गन्ना। कटबालिज्म के का एन्जाइम A का घटक। चर्म रोग, वृद्धि कम, बाल सफ़ेद, जनन क्षमता कम।
4 B-5 नायसिन निकाटिनिक अम्ल यीस्ट, माँस, जिगर, मछली, अनाज, दाल, दूध, अण्डा। उपापचय व महत्त्वपूर्ण, NAD घटक। पलागा।
5 B-6 पाइरोडोक्सिन दूध, यीस्ट, माँस, अनाज, जिगर, सब्जी, दाल व फल प्रोटीन एवं अमीनों अम्ल उपापचय में महत्त्वपूर्ण। रक्ताल्पता, चर्म रोग, पेशीय ऐठन।
6 B-12 सायनाकाबालमीन माँस, मछली, अण्डा जिगर, दूध, बक्टोरिया। वृद्धि रुधिराणुओं का निर्माण। रक्तक्षीणता और धीमी वृद्धि।
7 फालिक अम्ल समूह हरी पत्तियाँ, जिगर, सोयाबीन, यीस्ट, गद। वृद्धि, रुधिराणुओं का निर्माण, DNA का संश्लेषण। रक्तक्षीणता, धीमी वृद्धि।
8 H-बायाटिन यीस्ट, गेहूँ, अण्डा, मूँगफली, चॉकलेट, सब्ज़ी, फल। वसीय अम्लों के संश्लेषण एवं ऊर्जा उत्पादन के लिए ज़रूरी चर्म रोग, बालों का झड़ना, तन्त्रिका तन्त्र में विकार।
(ii) C-एस्कांबिक अम्ल नीबू वंश के फल, टमाटर, सब्जियाँ, आलू व अन्य फल। अन्तराकोशिकीय सोमट, कालजन, तन्तुओं, हड्डियों के मटिक्स, दाँतों के डेन्टोन का निर्माण। स्कर्वी रोग।


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