विश्व धूम्रपान निषेध दिवस

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विश्व धूम्रपान निषेध दिवस / विश्व तंबाकू निषेध दिवस

विश्व धूम्रपान निषेध दिवस / विश्व तंबाकू निषेध दिवस

31 मई के दिन को विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों की ओर से 'अंतर्राष्ट्रीय धूम्रपान निषेध दिवस' का नाम दिया गया है। वर्ष 1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों ने 31 मई का दिन निर्धारित करके धूम्रपान के सेवन से होने वाली हानियों और ख़तरों से विश्व जनमत को अवगत कराके इसके उत्पाद एवं सेवन को कम करने की दिशा में आधारभूत कार्यवाही करने का प्रयास किया है। इसी दिशा में प्रतिवर्ष प्रतीकात्मक रूप में एक नारा निर्धारित किया जाता है। वर्ष 2012 में पूरी दुनिया में धूम्रपान के उत्पाद एवं उसके वितरण में धूम्रपान उद्योगों की स्पष्ट भूमिका के दृष्टिगत 31 मई को नारा दिया गया "सावधान! हम बहुराष्ट्रीय धूम्रपान उद्योगों को बंद कर देंगे" अंतर्राष्ट्रीय धूम्रपान निषेध दिवस के अंतिम दिनों में हम धूम्रपान के सेवन और मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले उसके विनाशकारी परिणामों के आंकड़ों के साक्षी हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की घोषणा के आधार पर इस समय समूचे विश्व में प्रतिवर्ष 50 लाख से अधिक व्यक्ति धूम्रपान के सेवन के कारण अपनी जान से हाथ धो रहे हैं। उल्लेखनीय है कि यदि इस समस्या को नियंत्रित करने की दिशा में कोई प्रभावी क़दम नहीं उठाया गया तो वर्ष 2030 में धूम्रपान के सेवन से मरने वाले व्यक्तियों की संख्या प्रतिवर्ष 80 लाख से अधिक हो जायेगी। धूम्रपान, इसका सेवन करने वालों में से आधे व्यक्तियों की मृत्यु का कारण बन रहा है और औसतन इससे उनकी 15 वर्ष आयु कम हो रही है। हर प्रकार का धूम्रपान- 90 प्रतिशत से अधिक फेफड़े के कैंसर, ब्रैन हैम्ब्रेज और पक्षाघात का महत्वपूर्ण कारण है। आज विश्व के मशीनी जीवन में कैंसर, मृत्यु का दूसरा कारण है और सिगरेट इस बीमारी में ग्रस्त होने का एक महत्वपूर्ण कारण है। अध्ययनकर्ताओं का मानना है कि फेफड़े के कैंसर से ग्रस्त होने और सिगरेट का सेवन करने वाले पुरूषों में मृत्यु की संभावना सिगरेट का सेवन न करने वाले पुरुषों से 23 गुना अधिक है जबकि इस कैंसर से ग्रस्त होने की संभावना सिगरेट का सेवन करने वाली महिलाओं में सिगरेट का प्रयोग न करने वाली महिलाओं से 13 गुना अधिक है। सिगरेट- मुंह, मेरुदंड, कंठ और मूत्राशय के कैंसर में सीधे रूप से प्रभावी हो सकता है। सिगरेट में मौजूद कैंसर जनक पदार्थ शरीर की कोशिकाओं पर ऐसा प्रभाव डालते हैं जिससे उसका उचित विकास नहीं हो पाता और शरीर की कोशिकाओं के विकास में ध्यानयोग्य विघ्न उत्पन्न होता है। इस प्रकार सिगरेट शरीर की कोशिकाओं के नष्ट होने और उनके कैंसर युक्त होने का कारण बनता है। शोध इस बात के सूचक हैं कि जो व्यक्ति सिगरेट का सेवन करते हैं उनमें मूत्राशय के कैंसर से ग्रस्त होने की संभावना उन लोगों से चार गुना अधिक होती है जिन्होंने अपने जीवन में एक बार भी सिगरेट को हाथ नहीं लगाया है। लम्बे समय तक सिगरेट सेवन के दूसरे दुष्परिणाम- मुंह, गर्भाशय, गुर्दे और पाचक ग्रंथि के कैंसर हैं। विभिन्न शोधों से जो परिणाम सामने आये हैं वे इस बात की पुष्टि करते हैं कि धूम्रपान, रक्त संचार की व्यवस्था पर हानिकारक प्रभाव डालता है। धूम्रपान का सेवन और न चाहते हुए भी उसके धूएं का सामना, हृदय और मस्तिष्क की बीमारियों का महत्वपूर्ण कारण है। इन अध्ययनों में पेश किये गये आंकड़े इस बात के सूचक हैं कि कम से कम सिगरेट का प्रयोग भी जैसे एक दिन में पांच सिगरेट या कभी कभी सिगरेट का सेवन अथवा धूम्रपान के धूएं से सीधे रूप से सामना न होना भी हृदय की बीमारियों से ग्रस्त होने के लिए पर्याप्त है। धूम्रपान के धूएं में मौजूद पदार्थ जैसे आक्सीडेशन करने वाले, निकोटीन, कार्बन मोनो आक्साइड जैसे पदार्थ हृदय, ग्रंथियों और धमनियों से संबंधित रोगों के कारण हैं। धूम्रपान का सेवन इस बात का कारण बनता है कि शरीर पर इन्सोलीन का प्रभाव नहीं होता है और इस चीज़ से ग्रंथियों एवं गुर्दे को क्षति पहुंच सकती है।

सिगरेट के सेवन से

धूम्रपान के सेवन के हानिकारक प्रभावों से केवल लोगों के स्वास्थ्य को ख़तरा नहीं है बल्कि इससे आर्थिक क्षति भी पहुंचती है विशेषकर यह निर्धन लोगों की निर्धनता में वृद्धि का कारण है। धूम्रपान के उद्योगों को बनाने का मूल उद्देश्य, ग्राहकों एवं नशेड़ी व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि है और जाने -अनजाने एवं न चाहते हुए भी यह निर्धन वर्ग को क्षति पहुंचाता है। अधिकांश देशों में धूम्रपान का सेवन धनी लोगों की अपेक्षा निर्धन लोगों में अधिक है और कुछ अवसरों पर यह भी देखने को मिलता है कि कम आय वाले लोग अधिक संख्या में धूम्रपान का सेवन करते हैं।

तीसरी दुनिया के देशों में सिगरेट पीने वालों की आयु कम होती है और इन देशों की युवा जनसंख्या के दृष्टिगत उनमें मादक पदार्थों की लत पड़ जाने और दूसरी सामाजिक एवं सांस्कृतिक बुराइयों में वृद्धि की आशंका होती है। इस संबंध में होने वाले अध्ययन के अनुसार यद्यपि सिगरेट का सेवन करने वाला हर व्यक्ति नशेड़ी नहीं बन जाता है परंतु सिगरेट का सेवन करने वाले अधिकांश लोग बड़ी जल्दी नशेड़ी बन जाते हैं। वास्तव में सिगरेट नशेड़ी बनने के प्रवेश द्वार की भूमिका निभाता है। स्पष्ट है कि समाज में सिगरेट का सस्ता होना, उसकी तस्करी और उस तक सरल पहुंच, कम आय वाले वर्ग एवं युवाओं में सिगरेट पीने के रुझान में वृद्धि का महत्वपूर्ण कारण है।

अंतर्राष्ट्रीय धूम्रपान निषेध दिवस आम जनमत को धूम्रपान के विनाशकारी प्रभावों से अधिक जागरुक बनाकर समाज के लोगों को धूम्रपान के सेवन से बचाने की दिशा में महत्वपूर्ण अवसर है क्योंकि धूम्रपान समाज के स्वास्थ्य के लिए एक ख़तरनाक व हानिकारक चीज़ है। अंतर्राष्ट्रीय धूम्रपान निषेध सप्ताह में, जो 25 मई से आरंभ होता है/ धूम्रपान उद्योग, स्वास्थ्य के लक्ष्यों को व्यवहारिक होने की दिशा में रुकावट, धूम्रपान उद्योग के मुक़ाबले में धार्मिक मान्यताएं, धूम्रपान उद्योग की एक अन्य चाल हुक्का, युवा, नवयुवा और महिलाएं धूम्रपान उद्योग के लक्ष्य, धूम्रपान को रोकना सबकी ज़िम्मेदारी, धूम्रपान के विस्तार के मुक़ाबले में विधि पालिका, न्याय पालिका और कार्यपालिका की ज़िम्मेदारी और अंततः धूम्रपान की अंतर्राष्ट्रीय कम्पनियों को बंद किया जाये जैसे विषयों की समीक्षा की जाती है ताकि इस मार्ग से धूम्रपान के सेवन में कमी और आम जनमत के स्वास्थ्य में वृद्धि की दिशा में महत्वपूर्ण क़दम उठाया जा सके। स्पष्ट है कि केवल नारों से धूम्रपान की बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से न तो मुक़ाबला किया जा सकता है और न ही इस संघर्ष की समाप्ति की आशा की जा सकती है। जिन लोगों ने वर्षों से सिगरेट के व्यापार और धूम्रपान के दूसरे पदार्थों से असाधारण लाभ कमाया है वे अपने हितों की रक्षा के लिए किसी प्रकार के काम में संकोच से काम नहीं लेंगे। धूम्रपान के सेवन के ख़तरनाक परिणामों से आम जनमत की जानकारी में वृद्धि, विभिन्न विशेषकर प्रगतिशील देशों में सिगरेट के सेवन को कम सकती है। धूम्रपान के सेवन का सामना कर रहे देशों के अधिकारियों का भी भारी दायित्व है। क्योंकि धूम्रपान को कम करने के लिए हर प्रकार का प्रयास आम समाज के स्वास्थ्य की दिशा में एक क़दम है।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

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