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शरतचंद्र बोस

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शरतचंद्र बोस (जन्म- 7 सितंबर, 1889, कोलकाता; मृत्यु- 20 फरवरी, 1950) प्रसिद्ध सार्वजनिक कार्यकर्ता एवं राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने इंग्लैंड में कानून की पढ़ाई की और भारत आकर कोलकाता में वकालत आरम्भ कर दी।

परिचय

प्रसिद्ध सार्वजनिक कार्यकर्ता शरतचंद्र बोस का जन्म 7 सितंबर, 1889 ई. को कोलकाता में हुआ था। भारत में उनकी शिक्षा कटक और कोलकाता में हुई। फिर उन्होंने इंग्लैंड जाकर कानून की शिक्षा ग्रहण की और भारत लौटकर कोलकाता में वकालत करने लगे। सार्वजनिक कार्यों की ओर शरतचंद्र की शुरू से ही रुची थी।। सी. आर. दास के नेतृत्व में वह सार्वजनिक क्षेत्र में आए और शीघ्र ही बंगाल के कांग्रेस संगठन में उनका प्रमुख स्थान बन गया। वे गांधीजी के अहिंसा के सिद्धांत में विश्वास करते थे और क्रांतिकारियों के मुकदमे भी लड़ा करते थे। 1937 से 1939 ई. तक वे कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य भी रहे।[1]

पृथक राजनीतिक दल

शरतचंद्र बोस ने कांग्रेस छोड़कर 'सोशलिस्ट रिपब्लिकन पार्टी' नाम का नया दल बना लिया। ऐसा लगता है कि कांग्रेस के सामूहिक नेतृत्व से उनका विचार साम्य नहीं हो पाया। 1946 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने जो अंतरिम सरकार बनाई, उसमें शरतचंद्र बोस को भी सम्मिलित किया गया था, लेकिन शीघ्र ही वह इस्तीफा देकर अलग हो गए। 1949 में शरतचंद्र बोस ने बंगाल असेंबली के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार को बहुत बड़े अंतर से पराजित किया।

ब्रिटिश कैबिनेट का विरोध

ब्रिटिश कैबिनेट मिशन की योजना के अनुसार बंगाल के विभाजन का जो प्रस्ताव था, शरतचंद्र बोस ने उसका विरोध किया था। कुछ लोगों का कहना है कि शरतचंद्र बोस ने सुहरावर्दी से मिलकर भारत और पाकिस्तान से पृथक अखंड स्वतंत्र बंगाल देश बनाने का भी विचार किया था, किंतु बंगाल का विभाजन नहीं टल सका।

मृत्यु

शरतचंद्र बोस का 20 फरवरी, 1950 ई. को निधन हो जाने के कारण उनका जीवन व्रत समाप्त हो गया।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 832 |

बाहरी कड़ियाँ

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