शहद की शुद्धता

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शहद की शुद्धता
शहद
विवरण शहद अथवा 'मधु' एक प्राकृतिक मधुर पदार्थ है जो मधुमक्खियों द्वारा फूलों के रस को चूसकर तथा उसमें अतिरिक्त पदार्थों को मिलाने के बाद छत्ते के कोषों में एकत्र करने के फलस्वरूप बनता है।
शहद के घटक रासायनिक विश्लेषण करने पर शहद में बहुत से पोषक तत्व होते है जैसे- फ्रक्टोज़ 38.2%, ग्लूकोज़: 31.3%, सुकरोज़: 1.3%, माल्टोज़: 7.1%, जल: 17.2%, उच्च शर्कराएं: 1.5%, भस्म: 0.2%, अन्य: 3.2%। वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध कर दिया है कि शहद पौष्टिक तत्वों से युक्त शर्करा और अन्य तत्वों का मिश्रण होता है।
औषधीय गुण शहद का प्रयोग औषधि रूप में भी होता है। जिससे कई पौष्टिक तत्व मिलते हैं जो घाव को ठीक करने और ऊतकों के बढ़ने के उपचार में मदद करते हैं। प्राचीन काल से ही शहद को एक जीवाणु-रोधी (एंटीबैक्टीरियल) के रूप में जाना जाता रहा है। शहद का पीएच मान 3 से 4.8 के बीच होने से जीवाणुरोधी गुण स्वतः ही पाया जाता है।
अन्य जानकारी आयुर्वेद के ऋषियों ने भी माना है कि तुलसी व मधुमय पंचामृत का सेवन करने से संक्रमण नहीं होता और इसका विधिवत ढंग से सेवन कर अनेक रोगों पर विजय पाई जा सकती है।

शहद शुद्ध होने पर ही लाभदायक है। शुद्ध शहद को जब धार बना कर छोड़ा जाता है। तो वह सांप की तरह कुंडली बना कर गिरता है जबकि नकली फ़ैल जाता है। शीशे की प्लेट पर शहद टपकाने पर यदि उसकी आकृति साँप की कुंडली जैसी बन जाए तो शहद शुद्ध है। काँच के एक साफ़ ग्लास में पानी भरकर उसमें शहद की एक बूँद टपकाएँ। अगर शहद नीचे तली में बैठ जाए तो यह शुद्ध है और यदि तली में पहुँचने के पहले ही घुल जाए तो शहद अशुद्ध है। शुद्ध शहद में मक्खी गिरकर फँसती नहीं बल्कि फड़फड़ाकर उड़ जाती है। शुद्ध शहद आँखों में लगाने पर थोड़ी जलन होगी, परंतु चिपचिपाहट नहीं होगी। शुद्ध शहद कुत्ता सूँघकर छोड़ देगा, जबकि अशुद्ध को चाटने लगता है। शुद्ध शहद का दाग़ कपड़ों पर नहीं लगता। शुद्ध शहद दिखने में पारदर्शी होता है। रुई की बत्ती बनाकर उसे शुद्ध शहद में डुबो कर जलायें, वह मोमबत्ती की तरह जलती रहेगी। अखबार या कपड़े पर शहद की बूंद गिरा कर पोछ दें, सतह उसे सोखेगी नहीं। जबकी नकली, कपड़े या काग़ज़ में जज्ब (शोषित) हो जायेगा। असली शहद पर मक्खी बैठ कर उड़ जायेगी जबकी नकली में वहीं फंस कर रह जाती है। शुद्ध शहद खुशबूदार होता है। यह गर्मी पाकर पिघल जाता है और शीत में जमने लगता है।

बाज़ार का शहद

आजकल चीन से आयातित शहद और मुनाफा कमाने में अंधी कम्पनीयों के एक घपले को उजागर किया गया है जिसमे सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (C.S.E.) के शोध के अनुसार बाज़ार में बिक रहे बड़ी-बड़ी कम्पनीयों के शहद में प्रतीजैवीक एंटी-बायोटिक्स की मात्रा अंतर्राष्ट्रीय मानकों से दोगुना तक मिली है। ऐसे शहद को अगर लगातार खाया जाता है तो हमारे शरीर के एंटी बायटिक के प्रति रजीस्ट बनने का ख़तरा हो जाएगा और बिना ज़रूरत के इन प्रतिजैविक पदार्थों के शरीर में जाने से जो साइड इफेक्ट्स होंगे वो भी खतरनाक होंगे। इनके दवारा जांचे गए शहद में एजिथ्रोमाइसिन, सिप्रोफ्लॉक्सेसिन और ऑक्सीटेट्रासाइक्लिन, क्लोरैंमफेनिकल, एंफीसिलीन आदि प्रतिजैविक पदार्थ पाए गए। यह प्रतिजैविक शहद में आते कहाँ से है जब मधु पालन के छत्तों में इनको बीमारी से बचने के लिए इन प्रतिजैविक का प्रयोग किया जाता है तब ये शहद में आते है ठीक उसी प्रकार जैसे गाय भैंस को बीमार होने पर प्रतिजैविक का कोर्स दिया जाता है तो उनके दूध में भी प्रतिजैविक का असर आ जाता है इस दूध को पीने वाले के शरीर में अनायास ही ये एंटीबायोटिक चले जाते हैं और हानि करते हैं।


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