शिवसंकल्पोपनिषद

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

शुक्ल यजुर्वेद के इस उपनिषद में कुल छह मन्त्र हैं, जिनमें मन की अद्भुत सामर्थ्य का वर्णन करते हुए, मन को 'शिवसंकल्पयुक्त' बनाने की प्रार्थना की गयी है। मन्त्रों का गठन अतयन्त सारगर्भित है।
येनेदं भूतं भुवनं भविष्यत् परिगृहीतममृतेन सर्वम्।
येन यज्ञस्तायते सप्तहोता तन्मे मन: शिवसंकल्पमस्तु॥4॥
अर्थात जिस अविनाशी मन की सामर्थ्य से सभी कालों का ज्ञान किया जा सकता है तथा जिसके द्वारा सप्त होतागण यज्ञ का विस्तार करते हैं, ऐसा हमारा मन श्रेष्ठ कल्याणकारी संकल्पों से युक्त हो।

संबंधित लेख

श्रुतियाँ