शीत ऋतु

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
शीत ऋतु
शीत ऋतु
विवरण शीत ऋतु भारत की प्रमुख 4 ऋतुओं में से एक ऋतु है। वर्षा ऋतु के पश्चात् जब मानूसन पवनें लौटती हैं तो देश के उत्तरी पश्चिमी भाग में तापमान तेज़ीसे कम होने लगता है।
समय मार्गशीर्ष-फाल्गुन (नवंबर-फ़रवरी)
मौसम शीत ऋतु में तमिलनाडु के कोरोमण्डल तट पर भी कुछ वर्षा प्राप्त होती है, जिसका कारण उत्तर पूर्वी मानसूनी पवनों का लौटते समय बंगाल की खाड़ी के ऊपर से गुजरते हुए आर्द्रता ग्रहण कर लेना है।
अन्य जानकारी शीत ऋतु दो भागों में विभक्त है। हल्के गुलाबी जाड़े को हेमंत ऋतु का नाम दिया गया है और तीव्र तथा तीखे जाड़े को शिशिर ऋतु। दोनों ऋतुओं ने हमारी परंपराओं को अनेक रूपों में प्रभावित किया है।

शीत ऋतु (अंग्रेज़ी: Winter Season) दो भागों में विभक्त है। हल्के गुलाबी जाड़े को हेमंत ऋतु का नाम दिया गया है और तीव्र तथा तीखे जाड़े को शिशिर ऋतु। दोनों ऋतुओं ने हमारी परंपराओं को अनेक रूपों में प्रभावित किया है। शीत ऋतु में भूमध्यसागरीय क्षेत्र से उत्पन्न होने वाले शीतोष्ण चक्रवातीय के ईरान तथा पाकिस्तान को पार करते हुए भारत के उत्तरी-पश्चिमी भाग में पहुंच जाने के कारण जम्मू-कश्मीर, पश्चिमी पंजाब तथा राजस्थान में कुछ वर्षा भी हो जाती है। यह माना जाता है कि इन भागों में इस समय की वर्षा पश्चिमी विच्छोभों के कारण होती है। यद्यपि इस वर्षा की मात्रा बहुत ही कम होती है, किन्तु इन क्षेत्रों में रबी की फसल के लिए इसे लाभप्रद माना जाता है। जम्मू कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश में इन अवदाबों के कारण ही बड़ी मात्रा में हिमपात भी होता है। इनके समाप्त हो जान के बाद प्रायः उत्तर भारत शीत-लहरों के प्रभाव में आ जाता है।

समय

देश में 15 दिसम्बर से 15 मार्च तक का समय शीत ऋतु के अन्तर्गत आता है। इस समय देश के अधिकांश भागों में महाद्वीपीय पवनों चलती हैं, जो कि पाकिस्तान में पेशावर के समीपवर्ती क्षेत्रों से भारत में प्रवेश करती है इनका सबसे प्रमुख प्रभाव यह होता है कि उत्तर भारत में कम तापमान[1] पाया जाता है। ज्यों-ज्यों उत्तर से दक्षिण की ओर बढ़ते जायें, सागरीय समीपता एवं उष्णकटिबन्धीय स्थिति के कारण तापमान बढ़ता जाता है। जनवरी में चेन्नई तथा कोझिकोड का तापमान जहाँ 240 से 250 सें.ग्रे. तक होता है, वहीं उत्तर के विशाल मैदान में यह 100 से 150 सें.ग्रे. तक ही पाया जाता है। पश्चिमी राजस्थान में तो रात के समय तापमान हिमांक बिन्दु अर्थात 00 सें.ग्रे. से भी नीचे चला जाता है।

मौसम

शीत ऋतु में तमिलनाडु के कोरोमण्डल तट पर भी कुछ वर्षा प्राप्त होती है, जिसका कारण उत्तर पूर्वी मानसूनी पवनों का लौटते समय बंगाल की खाड़ी के ऊपर से गुजरते हुए आर्द्रता ग्रहण कर लेना है। चूंकि तापमान तथा वायु दाब में विपरीय सम्बन्ध पाया जाता है, अतः शीतकाल में उत्तरी भारत में उच्च वायुदाब तथा दक्षिण भारत में निम्न वायुदाब का क्षेत्र स्थापित हो जाता है। इस काल में होने वाली वर्षा देश की कुल औसत वार्षिक वर्षा का लगभग 2 प्रतिशत होती है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. लगभग 180 सें.

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख