संगम (इलाहाबाद)

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इलाहाबाद में गंगा और यमुना नदियों का संगम भी बहुत महत्त्व रखता है। यह माना जाता है कि प्रसिद्ध पौराणिक नदी सरस्वती अदृश्य रूप में संगम में आकर मिलती है। गंगा-यमुना के संगम स्थल को पुराणों[1] में 'तीर्थराज' अर्थात "तीर्थों का राजा" नाम से अभिहित किया गया है। इस संगम के सम्बन्ध में ॠग्वेद[2] में कहा गया है कि जहाँ 'कृष्ण' (काले) और 'श्वेत' (स्वच्छ) जल वाली दो सरिताओं का संगम है, वहाँ स्नान करने से मनुष्य स्वर्गारोहण करता है। पुराणोक्ति यह है कि प्रजापति ने आहुति की तीन वेदियाँ बनायी थीं-

  1. कुरुक्षेत्र
  2. प्रयाग
  3. गया

उपर्युक्त तीनों वेदियों में प्रयाग मध्यम वेदी है। माना जाता है कि यहाँ गंगा, यमुना और सरस्वती (पाताल से आने वाली) तीन सरिताओं का संगम हुआ है पर सरस्वती का कोई बाह्य अस्तित्व दृष्टिगत नहीं होता। पुराणों[3] के अनुसार जो प्रयाग का दर्शन करके उसका नामोच्चारण करता है तथा वहाँ की मिट्टी का अपने शरीर पर आलेप करता है, वह पापमुक्त हो जाता है। वहाँ स्नान करने वाला स्वर्ग को प्राप्त होता है तथा देह त्याग करने वाला पुन: संसार में उत्पन्न नहीं होता। यह केशव को प्रिय (इष्ट) है। इसे 'त्रिवेणी' कहकर भी सम्बोधित किया जाता हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मत्स्य 109.15; स्कन्द, काशी0 7.45; पद्म 6.23.27-34 तथा अन्य
  2. ऋग्वेद खिल सूक्त (10.75
  3. मत्स्य (104.12), कूर्म (1.36.27) तथा अग्नि (111.6-7) आदि

बाहरी कड़ियाँ

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