संगम (इलाहाबाद)

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
कुम्भ मेला से संबंधित लेख
Disamb2.jpg संगम एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- संगम (बहुविकल्पी)

संगम स्थल जहां भारत की पवित्र नदियों गंगा-यमुनासरस्वती का संगम होता है। हालांकि सरस्वती दिखती नहीं पर लोगों की मान्यता है कि वह अदृश्य रूप में होकर गंगा व यमुना की धाराओं के नीचे बहती है इसीलिए यहां के संगम स्थल को त्रिवेणी संगम कहलाता है। त्रिवेणी संगम के धार्मिक महत्व के बारे में ऐसी धारणा है कि समुद्र मंथन के समय जब अमृत कलश प्राप्त हुआ तब देवता लोग इस अमृत कलश को असुरों से बचाने के प्रयास मे लगे थे इसी खींचातानी में अमृत कि कुछ बूंदें धरती पर गिरी थी और जहां-जहां भी यह बूंदें पडी उन स्थानों पर कुंभ का मेला लगता है यह स्थान उज्जैन, हरिद्वार, नासिकप्रयाग थे। इस स्थान पर कलश से अमृत की बूदें छ्लकी थी इसी कारण लोगों का विश्वास है कि संगम में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते है व स्वर्ग की प्राप्ति होती है। दूर-दूर से श्रद्धालु लोग इस पावन तीर्थयात्रा के लिये यहां आते हैं पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं तथा पूजा-अर्चना करते हैं। अन्य उल्लेखों द्वारा भगवान ब्रह्मा ने यहां प्राकृष्ट यज्ञ किया था जिस कारण इलाहाबाद को प्रयाग नाम से संबोधित किया गया।[1]

महत्त्व

इलाहाबाद में गंगा और यमुना नदियों का संगम भी बहुत महत्त्व रखता है। यह माना जाता है कि प्रसिद्ध पौराणिक नदी सरस्वती अदृश्य रूप में संगम में आकर मिलती है। गंगा-यमुना के संगम स्थल को पुराणों[2] में 'तीर्थराज' अर्थात "तीर्थों का राजा" नाम से अभिहित किया गया है। इस संगम के सम्बन्ध में ॠग्वेद[3] में कहा गया है कि जहाँ 'कृष्ण' (काले) और 'श्वेत' (स्वच्छ) जल वाली दो सरिताओं का संगम है, वहाँ स्नान करने से मनुष्य स्वर्गारोहण करता है। पुराणोक्ति यह है कि प्रजापति ने आहुति की तीन वेदियाँ बनायी थीं-

  1. कुरुक्षेत्र
  2. प्रयाग
  3. गया

उपर्युक्त तीनों वेदियों में प्रयाग मध्यम वेदी है। माना जाता है कि यहाँ गंगा, यमुना और सरस्वती (पाताल से आने वाली) तीन सरिताओं का संगम हुआ है पर सरस्वती का कोई बाह्य अस्तित्व दृष्टिगत नहीं होता। पुराणों[4] के अनुसार जो प्रयाग का दर्शन करके उसका नामोच्चारण करता है तथा वहाँ की मिट्टी का अपने शरीर पर आलेप करता है, वह पापमुक्त हो जाता है। वहाँ स्नान करने वाला स्वर्ग को प्राप्त होता है तथा देह त्याग करने वाला पुन: संसार में उत्पन्न नहीं होता। यह केशव को प्रिय (इष्ट) है। इसे 'त्रिवेणी' कहकर भी सम्बोधित किया जाता हैं।

कुम्भ मेला

संगम तट पर लगने वाले कुम्भ मेले के बिना इलाहाबाद का इतिहास अधूरा है। प्रत्येक बारह वर्ष में यहाँ पर 'महाकुम्भ मेले' का आयोजन होता है, जो कि अपने में एक लघु भारत का दर्शन करने के समान है। इसके अलावा प्रत्येक वर्ष लगने वाले माघ स्नान और कल्पवास का भी आध्यात्मिक महत्व है। महाभारत के अनुशासन पर्व के अनुसार माघ मास में तीन करोड़ दस हज़ार तीर्थ इलाहाबाद में एकत्र होते हैं और विधि-विधान से यहाँ ध्यान और कल्पवास करने से मनुष्य स्वर्गलोक का अधिकारी बनता है। 'पद्मपुराण' के अनुसार इलाहाबाद में माघ मास के समय तीन दिन पर्यन्त संगम स्नान करने से प्राप्त फल पृथ्वी पर एक हज़ार अश्वमेध यज्ञ करने से भी नहीं प्राप्त होता-

प्रयागे माघमासे तु त्र्यहं स्नानस्य यत्फलम्।
नाश्वमेधसस्त्रेण तत्फलं लभते भुवि।।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. इलाहाबाद त्रिवेणी संगम (हिंदी) astrobix धर्म। अभिगमन तिथि: 12 जनवरी, 2013।
  2. मत्स्य 109.15; स्कन्द, काशी0 7.45; पद्म 6.23.27-34 तथा अन्य
  3. ऋग्वेद खिल सूक्त (10.75
  4. मत्स्य (104.12), कूर्म (1.36.27) तथा अग्नि (111.6-7) आदि

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख