संबंध स्वामी

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संबंध स्वामी (जन्म- 7वीं शताब्दी, मद्रास) दक्षिण भारत के प्रसिद्ध नालवारों में से एक थे। मान्यता है कि उन्होंने एक गाना गाया, तभी एक देवी ज्वाला दिखाई दी और संबंध स्वामी अपनी पत्नी सहित उसमें प्रविष्ट हो गये।

परिचय

दक्षिण के प्रसिद्ध नालवारों में से एक संबंध स्वामी का जन्म सातवीं शताब्दी में मद्रास के सिरकली नामक स्थान में हुआ था। इनके संबंध में अनेक आलौकिक बांतें प्रचलित हैं। 3 वर्ष की उम्र में जब उनके पिता मंदिर के तालाब में स्नान कर रहे थे, संबंध स्वामी को शिव के दर्शन हुए और ज्ञान प्राप्त हुआ। पिता के आने पर बालक ने पहला 'तेवरम्' (भजन) गाया। बाद में पिता के कंधे पर बैठकर उन्होंने दक्षिण भारत के तीर्थों की यात्रा की और अनेक चमत्कार दिखाए। इस यात्रा में उन्हें सोने का मंजीरा और मोती की पालकी मिली।

आलौकिक बातें

संबंध स्वामी के संबंध में अनेक आलौकिक बांतें प्रचलित हैं। 3 वर्ष की उम्र में उनको शिव के दर्शन हुए और ज्ञान प्राप्त हुआ। उन्होंने एक लड़की और मदुरई के पांड्य राजा को रोगमुक्त किया और सर्पदंश से मृत एक व्यापारी को जीवनदान दिया। संबंध स्वामी का दूसरा नाम संबंदर भी था।[1]

शैव अनुयायी

संबंध स्वामी शैव मत के प्रबल समर्थक थे। उनका कहना था कि भक्ति के द्वारा ही भगवान के चरणों तक पहुंचा जा सकता है।

रचना कार्य

संबंध स्वामी के रचे हुए 1000 गीत उपलब्ध हैं। इनमें 'तेवरम' की संख्या 348 है, जो उपमा, सौंदर्य और अर्थ माधुरी की दृष्टि से बेजोड़ माने जाते हैं। संबंदर ने नंबियंदर नंबि की पुत्री से विवाह किया।

मान्यता

मान्यता है कि उन्होंने एक गाना गाया था, तभी एक देवी ज्वाला दिखाई दी और संबंध स्वामी अपनी पत्नी के सहित उस ज्वाला में समा गये।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 881 |

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