"सदस्य:लक्ष्मी गोस्वामी/अभ्यास5" के अवतरणों में अंतर

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==इतिहास==
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*[[व्रतसागर]]
{| class="bharattable-green" width="100%"
+
*[[व्रतसमुच्चय]]
|-
 
| valign="top"|
 
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{[[हड़प्पा]] निवासी किस वस्तु के उत्पादन में सर्वप्रथम थे?
+
*[[व्रतसार]]
|type="()"}
 
-मुद्राएँ
 
-कांसे के औजार
 
+[[कपास]]
 
-[[जौ]]
 
||[[चित्र:Cotton.jpg|120px|right|कपास के फूल]]कपास एक नक़दी फ़सल है। इससे रूई तैयार की जाती है। कपास को 'सफ़ेद सोना' भी कहा जाता है। लम्बे रेशे वाला [[कपास]] सबसे सर्वोत्तम प्रकार का माना जाता है। [[भारत]] में कपास का [[इतिहास]] काफ़ी पुराना है। हड़प्पा निवासी कपास के उत्पादन में संसार भर में प्रथम माने जाते थे। कपास उनके प्रमुख उत्पादनों में से एक था। विश्व में प्रतिवर्ष लगभग 150 लाख मीट्रिक टन कपास पैदा होता है। आज इसका विभिन्न उद्योगों में भी प्रयोग किया जाता है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कपास]]
 
  
{[[महावीर]] ने [[जैन धर्म|जैन]] संघ की स्थापना कहाँ की थी?
+
*[[व्रतविवेकभास्कर]]
|type="()"}
 
-[[कुण्डग्राम]]
 
-[[वैशाली]]
 
+[[पावापुरी]]
 
-[[वाराणसी]]
 
||[[कनिंघम]] ने 'पावापुरी' का अभिज्ञान 'कसिया' के दक्षिण पूर्व में 10 मील पर स्थित 'फ़ाज़िलपुर' नामक ग्राम से किया है। जैन ग्रंथ [[कल्पसूत्र]] के अनुसार [[महावीर]] ने [[पावापुरी]] में एक वर्ष बिताया था। यहीं उन्होंने अपना प्रथम धर्म-प्रवचन किया था, इसी कारण इस नगरी को [[जैन धर्म]] के संम्प्रदाय का [[सारनाथ]] माना जाता है। महावीर स्वामी द्वारा जैन संघ की स्थापना पावापुरी में ही की गई थी।
 
{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पावापुरी]]
 
  
{[[मौर्य काल]] में शिक्षा का प्रमुख केन्द्र क्या था?
+
*[[व्रतसंग्रह]]
|type="()"}
+
*[[व्रतसंपात]]
-[[वैशाली]]
+
*[[व्रताचार]]
-[[नालंदा]]
+
*[[व्रतार्क]]
+[[तक्षशिला]]
+
*[[व्रतोद्यापन]]
-[[उज्जैन]]
+
*[[व्रतोद्यापनकौमुदी]]
||[[चित्र:Taxila.jpg|तक्षशिला के अवशेष|100px|right]]तक्षशिला [[गांधार]] देश की राजधानी थी। यूँ तो गांधार की चर्चा [[ऋग्वेद]] से ही मिलती है, किंतु [[तक्षशिला]] की जानकारी सर्वप्रथम [[वाल्मीकि रामायण]] से होती है। [[अयोध्या]] के राजा [[राम]] की विजयों के उल्लेख के सिलसिले में हमें यह ज्ञात होता है कि, उनके छोटे भाई [[भरत]] ने अपने नाना केकयराज अश्वपति के आमंत्रण और उनकी सहायता से गंधर्वों के देश (गांधार) को जीता और अपने दो पुत्रों को वहाँ का शासक नियुक्त किया।
+
*[[व्रतोपवाससंग्रह]]
{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तक्षशिला]]
+
*[[व्रात्यप्रायश्चित्तनिर्णय]]
 
+
*[[व्रात्यताशुद्धिसंग्रह]]
{[[मौर्य काल]] में गुप्तचरों को क्या कहा जाता था?
+
*[[व्रात्यस्तोमपद्धति]]
|type="()"}
+
*[[शकुनार्णव]]
+गूढ़ पुरुष
+
*[[शंकरगीता]]
-गुप्तचर
+
*[[शंकुप्रतिष्ठा]]
-संस्था एवं संचार
+
*[[शंखचक्रधारणवाद]]
-खोजी
+
*[[शंखधरसमुच्चय]]  
 
+
*[[शतचण्डीपद्धति]]
{[[अशोक]] के बारे में जानने के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्रोत क्या हैं?
+
*[[शतचण्डीप्रयोग]]
|type="()"}
+
*[[शतचण्डीविधानपद्धति]]
-आहत मुद्रा
+
*[[शतचण्डीसहस्त्रचण्डीप्रयोग]]
-[[यूनानी]] लेख
+
*[[शतद्वयी]]  
+शिलालेख
+
*[[शतश्लोकी]]
-[[बौद्ध साहित्य]]
+
*[[शतानन्दसंग्रह]]  
 
+
*[[शरदक्षस्मृति]]  
{निम्नलिखित में से कौन-सा शहर [[चोल]] राजाओं की राजधानी था?
+
*[[शाकटायनस्मृति]]  
|type="()"}
+
*[[शाकलस्मृति]]  
-[[सांची]]
+
*[[शांखायनगृह्यपरिशिष्ट]]  
+[[तंजौर]]
+
*[[शांखायनगृह्यसंस्कारपद्धति]]
- [[मदुरै]]
+
*[[शांखायनगृह्यसंस्कार]]  
-त्रिचिनापल्ली
+
*[[शांखायनगृह्यसूत्र]]
||[[चित्र:Brihadeeshwara-Temple-Tanjore.jpg|बृहदेश्वर मंदिर, तंजौर|100px|right]][[तमिलनाडु]] के पूर्वी मध्यकाल में [[तंजौर]] या [[तंजावूर]] नगरी [[चोल साम्राज्य]] की राजधानी के रूप में काफ़ी विख्यात थी। तंजौर को मन्दिरों की नगरी कहना कहीं अधिक उपयुक्त होगा, क्योंकि यहाँ पर 75 छोटे-बड़े मन्दिर हैं। [[चोल वंश]] ने 400 वर्ष से भी अधिक समय तक [[तमिलनाडु]] पर राज किया। इस दौरान तंजावुर ने बहुत उन्नति की। इसके बाद नायक और [[मराठा|मराठों]] ने यहाँ शासन किया।
+
*[[शांखायना]]
{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तंजौर]]  
+
*[[शाण्डिल्यगृह्य]]
 
+
*[[शाण्डिल्यधर्मशास्त्र]]
{निम्न में से [[संगीत]] के किस [[वाद्य यंत्र]] को [[हिन्दू]]-[[मुस्लिम]] गान वाद्यों का सबसे श्रेष्ठ मिश्रण माना गया है?
+
*[[शाण्डिल्यस्मृति]]
|type="()"}
+
*[[शातातपस्मृति]]
-[[वीणा]]
+
*[[शांतिकमलाकार]]
-[[ढोलक]]
+
*[[शांतिकल्पदीपिका]]
+[[सितार]]
+
*[[शांतिकल्पप्रदीप]]
-[[सारंगी]]
+
*[[शांतिकविधि]]
||[[चित्र:Sitar.jpg|right|120px|सितार]]5 तार वाले [[वाद्य यंत्र]] आज भी 'परशिया' के लोक-संगीत में इस्तेमाल किये जाते हैं। सम्भव है कि इस वाद्य के प्रचार में [[अमीर ख़ुसरो]] का विशेष हाथ रहा हो। [[हिन्दू]] तथा [[मुसलमान]], इन दोनों के श्रेष्ठ वाद्य यंत्रों के मिश्रण से [[सितार]] की उत्पत्ति मानी जाती है। सितार परंपरिक वाद्य होने के साथ ही सबसे अधिक लोकप्रिय है, और सितार ऐसा वाद्य यंत्र है, जिसने पूरी दुनिया में हिन्दुस्तान का नाम लोकप्रिय किया।
+
*[[शांतिकौमुदी]]  
{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सितार]]
+
*[[शांतिगणपति]]
 
+
*[[शांतिचिंतामणि]]
{किस [[मुग़ल]] शासक को 'आलमगीर' कहा जाता था?
 
|type="()"}
 
-[[अकबर]]
 
-[[शाहजहाँ]]
 
+[[औरंगजेब]]
 
-[[जहाँगीर]]
 
||[[चित्र:Darbarscene-Aurangzeb.jpg|right|120px|औरंगज़ेब का दरबार]]1636 ई. से 1644 ई. एवं 1652 ई. से 1657 ई. तक [[औरंगज़ेब]] [[गुजरात]], मुल्तान एवं [[सिंध]] का भी गर्वनर रहा। [[आगरा]] पर क़ब्ज़ा कर जल्दबाज़ी में औरंगज़ेब ने अपना राज्याभिषक 'अबुल मुजफ़्फ़र मुहीउद्दीन मुजफ़्फ़र औरंगज़ेब बहादुर आलमगीर' की उपाधि से 31 जुलाई, 1658 ई. को [[दिल्ली]] में करवाया। ‘खजुवा’ एवं ‘देवराई’ के युद्ध में सफल होने के बाद 15 मई, 1659 ई. को औरंगज़ेब ने दिल्ली में प्रवेश किया, जहाँ [[शाहजहाँ]] के शानदार महल में औरंगज़ेब का दूसरी बार राज्याभिषेक हुआ।
 
{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[औरंगजेब]]
 
 
 
{[[पटना]] को प्रातीय राजधानी किसने बनाया था?
 
|type="()"}
 
+[[शेरशाह]] ने
 
-[[दारा शिकोह]] ने
 
-[[इब्राहिम लोदी]] ने
 
-[[बाबर]] ने
 
||[[चित्र:Shershah-Suri.jpg|शेरशाह सूरी|80px|right]]शेरशाह सूरी ने ही सर्वप्रथम अपने शासन काल में आज की भारतीय मुद्रा [[रुपया]] को जारी किया था। इसीलिए इतिहासकार [[शेरशाह सूरी]] को आधुनिक रुपया व्यवस्था का अग्रदूत भी मानते है। [[मौर्य राजवंश|मौर्यों]] के पतन के बाद [[पटना]] को पुनः प्रान्तीय राजधानी बनाया गया था। अतः आधुनिक पटना को शेरशाह द्वारा बसाया माना जाता है।
 
{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शेरशाह]]
 
 
 
{[[मुग़ल]] सम्राट [[अकबर]] के समय का प्रसिद्ध चित्रकार कौन था?
 
|type="()"}
 
-[[अबुल फ़ज़ल]]
 
-[[बिशनदास]]
 
+दशवत
 
-उस्ताद मसूर
 
 
 
{'[[अकबरनामा]]' किसके द्वारा लिखा गया था?
 
|type="()"}
 
-[[रहीम|अब्दुल रहीम ख़ानख़ाना]]
 
-[[फ़ैज़ी]]
 
-[[बदायूँनी|अब्दुल क़ादिर बदायूँनी]]
 
+[[अबुल फ़ज़ल]]
 
||अबुल फ़ज़ल बहुत वर्षों तक [[अकबर]] का विश्वासपात्र वज़ीर और सलाहकार रहा। वह केवल दरबारी और आला अफ़सर ही नहीं था, वरन बड़ा विद्वान था और उसने अनेक पुस्तकें भी लिखी थीं। उसकी [[आइना-ए-अकबरी]] में अकबर के साम्राज्य का विवरण मिलता है और [[अकबरनामा]] में उसने अकबर के समय का [[इतिहास]] लिखा है। उसका भाई [[फ़ैज़ी]] भी अकबर का दरबारी शायर था।
 
{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अबुल फ़ज़ल]]
 
 
 
{[[शिवाजी]] के राजनीतिक गुरु एवं संरक्षक कौन थे?
 
|type="()"}
 
-[[समर्थ रामदास]]
 
-[[शाहजी भोंसले]]
 
+दादाजी कोण्डदेव
 
-इनमें से कोई नहीं
 
 
 
{किसे अंतिम महान [[पेशवा]] कहा जाता है?
 
|type="()"}
 
-[[माधवराव नारायण]]
 
-[[नारायणराव]]
 
-[[रघुनाथराव]]
 
+[[माधवराव प्रथम]]
 
||माधवराव प्रथम के समय ऐसा प्रतीत हो रहा था कि, [[पानीपत]] की तीसरी लड़ाई के फलस्वरूप [[मराठा|मराठों]] की शक्ति को जितनी क्षति पहुँची थी, उस सब की भरपाई कर ली गई है। इसी समय अचानक 1772 ई. में महान [[पेशवा]] [[माधवराव प्रथम]] का देहान्त हो गया। इस बारे में 'ग्राण्ट डफ़' ने लिखा है कि, '[[मराठा साम्राज्य]] के लिए पानीपत का मैदान उतना घातक सिद्ध नहीं हुआ, जितना इस श्रेष्ठ शासक का असामयिक देहावसान'।
 
{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[माधवराव प्रथम]]
 
 
 
{निम्नलिखित में से कौन बीजगणित के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए विशेष रूप से जाना जाता है?
 
|type="()"}
 
-[[आर्यभट्ट]]
 
-भास्कर
 
-लल्ल
 
+[[ब्रह्मगुप्त]]
 
||ब्रह्मगुप्त गणित ज्योतिष के बहुत बड़े आचार्य थे। [[आर्यभट्ट]] के बाद [[भारत]] के पहले गणित शास्त्री 'भास्कराचार्य प्रथम' थे। उसके बाद [[ब्रह्मगुप्त]] हुए। ब्रह्मगुप्त खगोलशास्त्री भी थे, और आपने 'शून्य' के उपयोग के नियम खोजे थे। इसके बाद अंकगणित और बीजगणित के विषय में लिखने वाले कई गणितशास्त्री हुए।
 
{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ब्रह्मगुप्त]]
 
 
 
{[[बाल गंगाधर तिलक]] द्वारा शुरु की गई साप्ताहिक पत्रिका कौन-सी थी?
 
|type="()"}
 
-यंग इंडिया
 
-कामरेड
 
+केसरी
 
-अल हिलाल
 
</quiz>
 
|}
 
|}
 
__NOTOC__
 

12:45, 11 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण