"सातवाहन वंश" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replace - "पू0" to "पू॰")
छो (Text replace - "हिंदू" to "हिन्दू")
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|-
 
|-
 
| style="width:30%; font-size:100%;background-color:#FFFCF0;border:1px solid black; padding:10px;" valign="top" |
 
| style="width:30%; font-size:100%;background-color:#FFFCF0;border:1px solid black; padding:10px;" valign="top" |
सातवाहन भारत का एक राजवंश था । जिसने केन्द्रीय दक्षिण भारत पर शासन किया । इस वंश का आरंभ सिभुक अथवा सिंधुक नामक व्यक्ति ने दक्षिण में कृष्णा और गोदावरी नदियों की घाटी में किया था।  इसे '''आंध्र राजवंश''' भी कहते हैं। वंश के संस्थापक विभुक ने 60 ई॰पू॰ से 37 ई॰पू॰ तक राज्य किया।  उसके बाद उसका भाई कृष्ण और फिर कृष्ण का पुत्र सातकर्णी प्रथम  गद्दी पर बैठा। इसी के शासनकाल में सातवाहन वंश को सबसे अधिक प्रतिष्ठा प्राप्त हुई।  वह ,खारवेल का समकालीन था।  '''उसने गोदावरी के तट पर प्रतिष्ठानगर को अपनी राजधानी बनाया।'''  इस वंश में कुल 27 शासक हुए।  ये हिंदू धर्म के अनुयायी थे।  साथ ही इन्होंने [[बौद्ध]] और [[जैन]] विहारों को भी सहायता प्रदान की। यह [[मौर्य वंश]] के पतन के बाद शक्तिशाली हुआ  8 वीं सदी ईसा पूर्व में इनका उल्लेख मिलता है । [[अशोक]] की मृत्यु (सन् 232 ईसा पूर्व) के बाद सातवाहनों ने स्वयं को स्वतंत्र घोषित कर दिया था ।
+
सातवाहन भारत का एक राजवंश था । जिसने केन्द्रीय दक्षिण भारत पर शासन किया । इस वंश का आरंभ सिभुक अथवा सिंधुक नामक व्यक्ति ने दक्षिण में कृष्णा और गोदावरी नदियों की घाटी में किया था।  इसे '''आंध्र राजवंश''' भी कहते हैं। वंश के संस्थापक विभुक ने 60 ई॰पू॰ से 37 ई॰पू॰ तक राज्य किया।  उसके बाद उसका भाई कृष्ण और फिर कृष्ण का पुत्र सातकर्णी प्रथम  गद्दी पर बैठा। इसी के शासनकाल में सातवाहन वंश को सबसे अधिक प्रतिष्ठा प्राप्त हुई।  वह ,खारवेल का समकालीन था।  '''उसने गोदावरी के तट पर प्रतिष्ठानगर को अपनी राजधानी बनाया।'''  इस वंश में कुल 27 शासक हुए।  ये हिन्दू धर्म के अनुयायी थे।  साथ ही इन्होंने [[बौद्ध]] और [[जैन]] विहारों को भी सहायता प्रदान की। यह [[मौर्य वंश]] के पतन के बाद शक्तिशाली हुआ  8 वीं सदी ईसा पूर्व में इनका उल्लेख मिलता है । [[अशोक]] की मृत्यु (सन् 232 ईसा पूर्व) के बाद सातवाहनों ने स्वयं को स्वतंत्र घोषित कर दिया था ।
 
|-
 
|-
 
|}
 
|}
 
[[Category:इतिहास कोश]]
 
[[Category:इतिहास कोश]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

03:32, 7 अप्रैल 2010 का अवतरण

सातवाहन / Satvahan

सातवाहन भारत का एक राजवंश था । जिसने केन्द्रीय दक्षिण भारत पर शासन किया । इस वंश का आरंभ सिभुक अथवा सिंधुक नामक व्यक्ति ने दक्षिण में कृष्णा और गोदावरी नदियों की घाटी में किया था। इसे आंध्र राजवंश भी कहते हैं। वंश के संस्थापक विभुक ने 60 ई॰पू॰ से 37 ई॰पू॰ तक राज्य किया। उसके बाद उसका भाई कृष्ण और फिर कृष्ण का पुत्र सातकर्णी प्रथम गद्दी पर बैठा। इसी के शासनकाल में सातवाहन वंश को सबसे अधिक प्रतिष्ठा प्राप्त हुई। वह ,खारवेल का समकालीन था। उसने गोदावरी के तट पर प्रतिष्ठानगर को अपनी राजधानी बनाया। इस वंश में कुल 27 शासक हुए। ये हिन्दू धर्म के अनुयायी थे। साथ ही इन्होंने बौद्ध और जैन विहारों को भी सहायता प्रदान की। यह मौर्य वंश के पतन के बाद शक्तिशाली हुआ 8 वीं सदी ईसा पूर्व में इनका उल्लेख मिलता है । अशोक की मृत्यु (सन् 232 ईसा पूर्व) के बाद सातवाहनों ने स्वयं को स्वतंत्र घोषित कर दिया था ।