एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"।

सिद्धिविनायक

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
सिद्धिविनायक भगवान गणेश की प्रतिमा

सिद्धिविनायक महाराष्ट्र राज्य के सिद्धटेक नामक गाँव में स्थित है। सिद्धटेक अहमदनगर ज़िले की करजत तहसील में भीम नदी के किनारे स्थित एक छोटा-सा गाँव है। भगवान गणेश के 'अष्टविनायक' पीठों में से एक 'सिद्धिविनायक' को परम शक्तिमान माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहाँ सिद्धटेक पर्वत था, जहाँ पर भगवान विष्णु ने तप द्वारा सिद्धि प्राप्त की थी।

कथा

एक कथानुसार यह माना जाता है कि जब सृष्टि की रचना करते समय भगवान विष्णु को नींद आ गई, तब भगवान विष्णु के कानों से दो दैत्य मधुकैटभ बाहर आ गए। बाहर आने के बाद वे दोनों उत्पात मचाने लगे। सभी देवताओं को भी वे परेशान करने लगे। दैत्यों के आंतक से मुक्ति पाने हेतु देवताओं ने श्रीविष्णु की आराधना की। तब विष्णु शयन से जागे और दैत्यों को मारने की कोशिश की। परन्तु भगवान अपने इस कार्य में असफल रहें। तब विष्णु ने शिव की अराधना की। विष्णु कि पुकार सुनकर भगवान शिव प्रकट हुए। उन्होंने बताया कि जब तक गणेश का आशिर्वाद प्राप्त नहीं होता, यह कार्य पूर्ण नहीं हो पाएगा। तब भगवान विष्णु ने श्री गणेश का आहवान किया, जिससे गणेश जी प्रसन्न हुए और दैत्यों का संहार हुआ। इस कार्य के उपरांत भगवान विष्णु ने पर्वत के शिखर पर मंदिर का निर्माण किया तथा भगवान गणेश कि मूर्ति स्थापित की। ब्रह्माजी ने बाधारहित होकर सृष्टि की रचना की। तभी से यह स्थल 'सिद्धटेक' नाम से जाना जाता है। इसके अतिरिक्त इसी स्थान पर ऋषि व्यास ने भी तपस्या की थी।[1]

मुंबई का सिद्धिविनायक

सिद्धि विनायक, मुम्बई

वैसे तो सिद्घिविनायक के भक्त दुनिया के हर कोने में हैं, लेकिन महाराष्ट्र में इनके भक्त सबसे अधिक हैं। मुंबई के प्रभा देवी इलाके का सिद्धिविनायक मंदिर उन गणेश मंदिरों में से एक है, जहाँ केवल हिन्दू ही नहीं, बल्कि हर धर्म के लोग दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। हालांकि इस मंदिर की न तो महाराष्ट्र के 'अष्टविनायकों' में गिनती होती है और न ही सिद्धटेक से इसका कोई संबंध है, फिर भी यहाँ गणपति पूजा का ख़ास महत्व है। महाराष्ट्र के अहमदनगर के सिद्धटेक के गणपति भी सिद्धिविनायक के नाम से जाने जाते हैं और उनकी गिनती अष्टविनायकों में की जाती है। महाराष्ट्र में गणेश दर्शन के आठ सिद्ध ऐतिहासिक और पौराणिक स्थल हैं, जो 'अष्टविनायक' के नाम से प्रसिद्ध हैं। लेकिन अष्टविनायकों से अलग होते हुए भी इसकी महत्ता किसी सिद्ध-पीठ से कम नहीं है।[2]

चतुर्भुजी विग्रह

सिद्धिविनायक की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह चतुर्भुजी विग्रह है। उनके ऊपरी दाएं हाथ में कमल और बाएं हाथ में अंकुश है और नीचे के दाहिने हाथ में मोतियों की माला और बाएं हाथ में मोदक से भरा हुआ कटोरा है। गणपति के दोनों ओर उनकी दोनों पत्नियाँ रिद्धि-सिद्धि मौजूद हैं, जो धन, ऐश्वर्य, सफलता और सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने का प्रतीक हैं। मस्तक पर अपने पिता शिव के समान एक तीसरा नेत्र और गले में एक सर्प हार के स्थान पर लिपटा है। सिद्धिविनायक का विग्रह ढाई फीट ऊँचा है और यह दो फीट चौड़े एक ही काले शिलाखंड से बना होता है।

इतिहास

किंवदंती है कि इस मंदिर का निर्माण संवत 1692 में हुआ था। किंतु सरकारी दस्तावेजों के अनुसार इस मंदिर का 19 नवम्बर, 1801 में पहली बार निर्माण हुआ था। सिद्धिविनायक का यह पहला मंदिर बहुत छोटा था। पिछले दो दशकों में इस मंदिर का कई बार पुर्निर्माण हो चुका है। हाल ही में एक दशक पहले 1911 में महाराष्ट्र सरकार ने इस मंदिर के भव्य निर्माण के लिए 20 हज़ार वर्गफीट की जमीन प्रदान की। वर्तमान में सिद्धिविनायक मंदिर की इमारत पांच मंजिला है और यहाँ प्रवचन ग्रह, गणेश संग्रहालय व गणेश विद्यापीठ के अलावा दूसरी मंज़िल पर अस्पताल भी है, जहाँ रोगियों की मुफ़्त चिकित्सा की जाती है। इसी मंज़िल पर रसोई घर भी है।[2]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सिद्धिविनायक (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 30 जनवरी, 2013।
  2. 2.0 2.1 सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 30 जनवरी, 2013।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख