"सुनील गावस्कर" के अवतरणों में अंतर

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पुस्तकें पढ़ने और संगीत सुनने का उन्हें बहुत ही शौक है। उन्होंने स्वयं भी 'सनी डेज़' नामक एक पुस्तक लिखी है और हमेशा लोगों से क्रिकेट की शब्दावली में बात करते हैं।  
 
पुस्तकें पढ़ने और संगीत सुनने का उन्हें बहुत ही शौक है। उन्होंने स्वयं भी 'सनी डेज़' नामक एक पुस्तक लिखी है और हमेशा लोगों से क्रिकेट की शब्दावली में बात करते हैं।  
 
कहते हैं कि एक बार वह अपनी कार में कहीं पर जा रहे थे उनकी कार के आगे एक आदमी आ गया। उन्होंने ब्रैक लगाया और कार से उतरकर उस आदमी के पास गए और बोले–"अरे भाई, देखकर चला करो, नहीं तो रन आउट हो जाओगे।" उस आदमी को यह पहचानने में ज़रा भी देर नहीं लगी कि यह तो सुनील गावस्कर है।  
 
कहते हैं कि एक बार वह अपनी कार में कहीं पर जा रहे थे उनकी कार के आगे एक आदमी आ गया। उन्होंने ब्रैक लगाया और कार से उतरकर उस आदमी के पास गए और बोले–"अरे भाई, देखकर चला करो, नहीं तो रन आउट हो जाओगे।" उस आदमी को यह पहचानने में ज़रा भी देर नहीं लगी कि यह तो सुनील गावस्कर है।  
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10:02, 31 जुलाई 2010 का अवतरण

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परिचय

  • सुनील गावस्कर भारत के क्रिकेट के पूर्व-खिलाड़ी हैं। ये क्रिकेट के महान बल्लेबाजों में गिने जाते हैं।
  • इन्होंने बल्लेबाजी से संबंधित कई कीर्तिमान स्थापित किए। इनका जन्म 10 जुलाई, 1949 को मुम्बई में हुआ।

भारतीय क्रिकेट में योगदान

लम्बे अर्से से भारतीय क्रिकेट को जिस उदघाटक (ओपनर) बल्लेबाज़ की तलाश थी, उसकी सही खोज 1971 में पूरी हुई। जब सुनील गावस्कर ने वेस्टइंडीज़ के विरुद्ध अद्वितीय प्रदर्शन किया। उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उस पहली श्रृंखला के चार टेस्ट मैचों में गावस्कर ने 774 रन (औसत 184.80) बनाकर एक कीर्तिमान स्थापित किया। पोर्ट आफ़ स्पेन के पाँचवें टेस्ट की पहली पारी में 124 व दूसरी पारी में 220 रन बनाकर वे विश्व विख्यात बल्लेबाज़ वाल्टर्स, जी0 एस0 चैपल और लारेन्स रौ की श्रेणी में आ खड़े हुए, जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में पहली पारी में शतक व दूसरी पारी में दोहरा शतक बनाने का रिकार्ड क़ायम किया है। 1975-76 में न्यूज़ीलैण्ड के दौरे के समय गावस्कर ने भारतीय टीम को नेतृत्व भी दिया—जिसमें भारत विजयी रहा। 1978-79 में वेस्टइंडीज़ की टीम ने भारत का दौरा किया था। उस समय उन्हें भारतीय टीम का कप्तान नियुक्त किया गया। उसमें सुनील गावस्कर ने एक साथ कई रिकार्ड और कीर्तिमान स्थापित किए। उन्होंने अब तक 34 शतक बनाए हैं। इस प्रकार शतक बनाने और सबसे अधिक रन बटोरने के मामले में वह जब सबसे आगे निकल गए थे।


कलकत्ता टेस्ट के दौरान 1 वर्ष में 1000 रन पूरे करने का गौरव उन्होंने दूसरी बार प्राप्त किया। इसके साथ ही वह 4000 रन पूरे करने का गौरव भी प्राप्त कर गए। जिस समय उन्होंने 49 रन पूरे किए तो उन्हें दूसरी बार एक ही वर्ष में 1000 रन बनाने का गौरव भी प्राप्त हुआ हो गया। पिछली बार उन्हें यह गौरव 30 दिसम्बर 1976 को प्राप्त हुआ था। इस प्रकार यह गौरव प्राप्त करने वाले वह दुनिया के दूसरे बल्लेबाज़ हैं। उनसे पहले इंग्लैण्ड के बेरिंगटन ने 1961 और 1963 में यह गौरव प्राप्त किया था। 1976 में उन्होंने 11 टेस्टों में (न्यूज़ीलैण्ड, वेस्टइंडीज़ और इंग्लैण्ड) 1,024 रन बनाए थे। इस बार उन्होंने 9 टेस्टों में ही यह गौरव प्राप्त किया था। ब्रैडमैन के केवल 6 टेस्टों में ही यह गौरव प्राप्त किया था। अब जनवरी 1973 में कानपुर में इंग्लैण्ड के विरुद्ध अपने जीवन का 11वाँ टेस्ट खेलते हुए उन्होंने 1000 रन पूरे किए। अप्रैल 1976 में पोर्ट आफ़ स्पेन में वेस्टइंडीज़ के विरुद्ध अपना 23वाँ टेस्ट खेलते हुए उन्होंने 2000 रन पूरे किए। दिसम्बर 1977 में पर्थ में आस्ट्रेलिया के विरुद्ध अपना 34वाँ टेस्ट खेलते हुए 3000 रन पूरे किए। दिसम्बर 1978 में कलकत्ता में वेस्टइंडीज़ के विरुद्ध अपना 43वाँ टेस्ट खेलते हुए 4000 रन पूरे किए थे, और सितम्बर 1979 में बेंगलौर में 52वाँ टेस्ट खेलते हुए 5000 रन पूरे किए।


सुनील गावस्कर के बारे में एक आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि वह अपने शरीर (कद 5 फ़ुट 5 इंच, वज़न 66 किलो) की ठीक-ठाक रखने के लिए क्रिकेट के मैदान से सीधे बैडमिंटन के मैदान में पहुँच जाते हैं। पुस्तकें पढ़ने और संगीत सुनने का उन्हें बहुत ही शौक है। उन्होंने स्वयं भी 'सनी डेज़' नामक एक पुस्तक लिखी है और हमेशा लोगों से क्रिकेट की शब्दावली में बात करते हैं। कहते हैं कि एक बार वह अपनी कार में कहीं पर जा रहे थे उनकी कार के आगे एक आदमी आ गया। उन्होंने ब्रैक लगाया और कार से उतरकर उस आदमी के पास गए और बोले–"अरे भाई, देखकर चला करो, नहीं तो रन आउट हो जाओगे।" उस आदमी को यह पहचानने में ज़रा भी देर नहीं लगी कि यह तो सुनील गावस्कर है।