हाइड्रोजनीकरण

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हाइड्रोजनीकरण (अंग्रेज़ी: Hydrogenation) से अभिप्राय है कि केवल असंतृप्त कार्बनिक यौगिकों से हाइड्रोजन की क्रिया द्वारा संतृप्त यौगिकों को प्राप्त करना। जैसे हाइड्रोजनीकरण द्वारा एथिलीन अथवा ऐसेटिलीन से एथेन प्राप्त किया जाता है। हाइड्रोजनीकरण में एथिल ऐल्कोहॉल, ऐसीटिक अम्ल, एथिल ऐसीटेड, संतृप्त हाइड्रोकार्बन जैसे हाइड्रोकार्बनों में नार्मल हेक्सेन[1], डेकालिन और साइक्लोहेक्सेन विलयाकों का प्रयोग अधिकता से होता है।

इतिहास

नवजात अवस्था में हाइड्रोजन कुछ सहज अपचेय यौगिकों के साथ सक्रिय है। इस भाँति कीटोन से द्वितीयक ऐल्कोहॉल तथा नाइट्रो यौगिकों से ऐमीन सुगमता से प्राप्त हो जाते हैं। आजकल यह मान लिया गया है कि कार्बनिक पदार्थों का उत्प्रेरक के प्रभाव से हाइड्रोजन का प्रत्यक्ष संयोजन भी हाइड्रोजनीकरण है। ऐतिहासिक दृष्टि से उत्प्रेरकीय हाइड्रोजनीकरण से हाइड्रोजन तथा हाइड्रोजन साइनाइड के मिश्रण को प्लैटिनम कालिख पर प्रवाहित कर मेथिल ऐमिन सर्वप्रथम प्राप्त किया गया था। पाल सैवैटिये (1854-1941) तथा इनके सहयोगियों के अनुसंधानों से वाष्प अवस्था में हाइड्रोजनीकरण विधि में विशेष प्रगति हुई। 1905 में द्रव अवस्था हाइड्रोजनीकरण सूक्ष्म कणिक धातुओं के उत्प्रेरक उपयोगों के अनुसंधान आरंभ हुए और उसमें विशेष सफलता मिली, जिसके फलस्वरूप द्रव अवस्था में हाइड्रोजनीकरण औद्योगिक प्रक्रमों में विशेष रूप से प्रचलित है। बीसवीं शताब्दी में वैज्ञानिकों ने हाइड्रोजनीकरण विधि में विशेष प्रगति की और उसके फलस्वरूप हमारी जानकारी बहुत बढ़ गई।। स्कीटा तथा इनके सहयोगियों ने निकिल, कोबाल्ट, लोहा, ताँबा और सारे प्लेटिनम वर्ग की धातुओं की उपस्थिति में हाइड्रोजनीकरण का विशेष अध्ययन किया।

महत्त्व

आज के वैज्ञानिक युग में हाइड्रोजनीकरण बड़े महत्त्व का तकनीकी प्रक्रम है। पाश्चात्य देशों में तेलों में मारगरीन, भारत में तेलों से वनस्पति घी, कोयले से पेट्रोलियम, अनेक कार्बनिक विलायकों, प्लास्टिक माध्यम, लंबी श्रृंखला वाले कार्बनिक यौगिकों, जिनका उपयोग पेट्रोल या साबुन बनाने में आज होता है, हाइड्रोजनीकरण से तैयार होते हैं। ह्वेल और मछली के तेलों के इस प्रकार हाइड्रोजनीकरण से मारगरीन और मूँगफली के तेल से कोटोजेम, नारियल के तेल से फोकोजेम और मूँगफली के तेल से डालडा आदि बनते हैं। एथिलीन सदृश युग्मबंधवाले, ऐसीटिलीन सदृश त्रिकबंध वाले और कीटोन समूह वाले यौगिक शीघ्रता से हाइड्रोजनीकृत हो जाते हैं। ऐसे यौगिकों में यदि एल्किल समूह जोड़ा जाए तो हाइड्रोजनीकरण की गति उनके भार के अनुसार धीमी होती जाती है।


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शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. n-hexane

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