हाजी मौला

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हाजी मौला दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन ख़िलज़ी (1296-1316 ई.) का असंतुष्ट राज्याधिकारी था। कोतवाल के चुनाव में अपनी उपेक्षा किये जाने से वह आक्रोश से भर गया था। जिस समय अलाउद्दीन रणथम्भौर की लड़ाई में लगा हुआ था, हाजी मौला ने बगावत कर दी।

  • सुल्तान के दिल्ली से बाहर होने का लाभ उठाकर हाजी मौला ने विद्रोह कर दिया, और नये कोतवाल का मार डाला।
  • लाल महल पर भी हाजी मौला द्वारा क़ब्ज़ा कर लिया गया।
  • अलाउद्दीन ख़िलज़ी के सरकारी ख़ज़ाने में भी हाजी मौला घुस गया और वहाँ की दौलत लूट कर अपने समर्थकों में बाँट दी।
  • हाजी मौला ने सुल्तान इल्तुतमिश के एक वंशज को दिल्ली का सुल्तान घोषित कर दिया। परंतु बगावत का यह झंडा केवल चार दिन तक ही बुलन्द रह सका।
  • सुल्तान अलाउद्दीन ख़िलज़ी के समर्थकों ने लाल महल पर फिर से अधिकार कर लिया और हाजी मौला तथा उसके द्वारा बैठाये गए शहज़ादे को मार डाला।
  • इस बगावत के फलस्वरूप अलाउद्दीन ख़िलज़ी का ध्यान अपने प्रशासन की त्रुटियों की ओर गया और उसने ऐसी व्यवस्था कर दी कि भविष्य में इस प्रकार की बगावत फिर न होने पाये।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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