अब न चढ़े कोई भी रंग सखी री -कैलाश शर्मा
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कवि
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कैलाश शर्मा
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जन्म
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20 दिसम्बर, 1949
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जन्म स्थान
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मथुरा, उत्तर प्रदेश
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सम्मान
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‘तस्लीम परिकल्पना सम्मान - 2011'
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अन्य जानकारी
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कैलाश शर्मा जी की 'श्रीमद्भगवद्गीता' (भाव पद्यानुवाद)’ पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है। ब्लॉग लेखन के अतिरिक्त विभिन्न पत्र/पत्रिकाओं, काव्य-संग्रहों में भी इनकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं।
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इन्हें भी देखें
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कवि सूची, साहित्यकार सूची
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अब न चढ़े कोई भी रंग सखी री।
अपने रंग रंगी कान्हा ने, चढ़े न दूजो रंग सखी री।
तन का रंग तो छुट भी जाये, मन का रंग न धुले सखी री।
अब तो श्याम रंग ही भावे, श्याम रंग मैं रंगी सखी री।
कोई जतन नजर न आवे, कैसे छूटे यह रंग सखी री।
क्यों खेलन को आयी होली, कैसे घर मैं जाऊँ सखी री।
अब तो श्याम चरण बस जाऊँ, दीखे न कोई ठांव सखी री।
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