आकाशमुखी
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आकाशमुखी एक प्रकार के शैव साधु होते हैं, जो अपनी गरदन को पीछे की ओर झुकाकर आकाश में निगाहें केन्द्रित रखते हैं।[1]
- ये शैव साधु अपनी दृष्टि आकाश की ओर तब तक केन्द्रित रखते हैं, जब तक कि मांसपेशियाँ सूख न जाएँ।
- आकाश की ओर मुख करके साधना करने के कारण ही ये साधु 'आकाशमुखी' कहलाते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दू धर्मकोश |लेखक: डॉ. राजबली पाण्डेय |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 72 |