आया अनआया भया -कबीर
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अर्थ सहित व्याख्या
कबीरदास कहते हैं कि हे मानव! जीव संसार के विषयों में इतना अनुरक्त हो जाता है कि उसका संसार में आना न आने के बराबर है अर्थात् संसार में जन्म लेकर उसे जो सीखना था, उसे वह न सीख सका। इसलिए उसका जीवन व्यर्थ हो जाता है। भुलावे में पड़कर वह ग़ाफ़िल हो गया। सांसारिक विषयों के मायाजाल में वह अपनी नैसर्गिक आत्मीय चेतना खो बैठता है और अपनी कुबुद्धि के कारण जीवन की बाजी हार जाता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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