केतकी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:23, 25 अक्टूबर 2017 का अवतरण (Text replacement - "khoj.bharatdiscovery.org" to "bharatkhoj.org")
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

केतकी एक छोटा सुवासित झाड़। इसकी पत्तियाँ लंबी, नुकीली, चपटी, कोमल और चिकनी होती हैं, जिसके किनारे और पीठ पर छोटे-छोटे काँटे होते हैं। केतकी के फूलों से इत्र बनाया जाता है, साथ ही जल को सुगंधित करने में भी इसका प्रयोग होता है।[1]

  • केतकी दो प्रकार की होती है- एक सफ़ेद, दूसरी पीली। सफ़ेद केतकी को लोग प्राय: 'केवड़ा' के नाम से जानते और पहचानते हैं और पीली अर्थात्‌ 'सुवर्ण' केतकी को ही केतकी कहते हैं।
  • वर्षा ऋतु में इसमें फूल लगते हैं, जो लंबे और सफ़ेद रंग के होते है और जिसमें तीव्र सुगंध होती है।
  • केतकी का फूल बाल की तरह होता है और ऊपर से लंबी पत्तियों से ढका रहता है। इसके फूल से इत्र बनाया और जल सुगंधित किया जाता है। इससे कत्थे को भी सुवासित करते हैं। केवड़े का प्रयोग केशों की दुर्गंध दूर करने के लिए किया जाता है।
  • प्रवाद है कि केतकी के फूल पर भ्रमर नहीं बैठते। इसका फूल भगवान शिव पर नहीं चढ़ाया जाता।
  • केतकी की पत्तियों की चटाइयाँ, छाते और टोपियाँ बनती हैं। इसके तने से बोतल बंद करने वाले काग बनाए जाते हैं। कहीं-कहीं लोग इसकी नरम पत्तियों का साग भी बनाकर खाते हैं। वैद्यक में इसके शाक को कफ़नाशक बताया गया है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. केतकी (हिन्दी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 12 जुलाई, 2014।

संबंधित लेख