गन्धयुक्ति कला
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जयमंगल के मतानुसार चौंसठ कलाओं में से यह एक कला है। इस कला के अन्तर्गत सुगन्धित धूप बनाना आता है। सुगन्धित धूप का प्रयोग भगवान की पूजा करने में प्रयोग किया जाता है।