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यास्क

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यास्क 'निरुक्त' के प्राचीन कालिक ख्याति प्राप्त रचयिता थे। 'निरुक्त' की गणना छ: वेदांगों में होती है। 'व्याकरण शास्त्र' में 'निरुक्त' का बडा महत्व है। यास्क का काल अनिश्चित है, किंतु वह यशस्वी वैयाकरण पाणिनी का पूर्वकालिक माना जाता है।

  • यास्क वैदिक संज्ञाओं के प्रसिद्ध व्युत्पतिकार एवं वैयाकरण थे। इन्हें 'निरुक्तकार' भी कहा गया है।
  • इनके द्वारा रचित 'निरुक्त' को तीसरा वेदांग माना जाता है।
  • यास्क ने पहले 'निघण्टु' नामक वैदिक शब्दकोश तैयार किया था। 'निरुक्त' उसी का विशेषण है।
  • 'निघण्टु' और 'निरुक्त' की विषय समानता के कारण ही सायणाचार्य ने अपने 'ऋग्वेद भाष्य' में 'निघण्टु' को ही 'निरुक्त' माना है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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